जीवन का पहला पन्ना जन्म है और आखिरी पन्ना मृत्यु है :- रजतचन्द्र विजयजी म.सा

स्वार्थ के रिश्ते ज्यादा नहीं टिकते


मुंबई :-
सुरि राजेंद्र ज्ञानपथ चातुर्मास पर्व-24 के अंतर्गत सुरि ऋषभ कृपापात्र आज्ञानुवर्ति शिष्य तपस्वी मुनिप्रवर श्री पीयूषचंद्र विजयजी,मुनिप्रवर रजतचंद्र विजयजी बंधु बेलडी़ का मंगलकारी चातुर्मास चल रहा है।

जैन मंदिर में चल रहे प्रवचन में मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने कहा बिना संघर्ष के कोई भी मनुष्य महान नहीं बन सकता । सिन्दूर प्रकर ग्रंथ में ग्रन्थ रचियता आचार्य श्री सोमप्रभ सुरिजी ने बताया वह मानव मूर्ख है जो सोने के बर्तन में कचरा भर कर रखता है। स्वार्थ से परमार्थ में जीवन लगाना चाहिए तभी मनुष्य का जीवन सार्थक होगा। जिस रिशते में स्वार्थ हो वह ज्यादा दिन नहीं टिकता । जीवन का कोई भरोसा नहीं है इसलिए धर्म करते रहो। जन्मदिन उसको मनाना चाहिए जिसके दिल में धर्म की भावना हो । विवेक से जीवन आगे बढ़ता है। जीवन का पहला पन्ना जन्म है और आखिरी पन्ना मृत्यु है। बीच के पन्नों को जप - तप से सार्थक करना है। रोज एक अच्छा कर्म करना चाहिए न हो तो एक बुरा कार्य छोडऩा चाहिए ।

आने वाले रविवार 4 अगस्त को आत्मा स्पर्शी शिविर का विराट आयोजन किया गया है।01 से 03 अगस्त तक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दादा के अट्ठम तपाराधना का त्रिदिवसीय भव्यतम आयोजन  जमनाबाई भोमचंदजी ताराजी भंसाली परिवार द्वारा किया गया है।

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