ईर्ष्या परमाणु बम से भी खतरनाक हैं :- कमलमुनि

भायंदर (पूर्व) के ओस्तवाल बगीची में कार्यक्रम


भायंदर :-
ईर्ष्या के कीटाणु जिसकी वजह से हमारे अंदर निर्मित होते हैं उससे अगले का नुकसान हो या ना हो अपने सद्गुण कईबार जलकर उसमें स्वाहा हो जाते हैं।यह परमाणु बम से भी खतरनाक है धार्मिक और सज्जन व्यक्ति को भी शैतान और राक्षस बना देती है

 उपरोक्त विचार भायंदर (ईस्ट) के ओस्तवाल बगीची में सभी जैन समुदायों द्वारा करवाएं जा रहे चातुर्मास कार्यक्रम में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए संत कमलमुनि  कमलेश ने व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि ईर्ष्या परमाणु बम से भी खतरनाक है यह धार्मिक और सज्जन व्यक्ति को भी शैतान और राक्षस बना देती है।मुनि कमलेश ने कहा कि आज के समय में किसी का अच्छा दूसरों को बर्दाश्त नहीं होता है,और इससे बड़ी हिंसा क्या हो सकती है,यह अनर्थ की खान है।जैन संत ने कहा कि विश्व के सभी धर्म ने ईर्षा को दुर्गति का कारण शांति भंग का खतरनाक हथियार बताया है

मुनिराज ने कहा कि दुश्मन के घर में मंगल काम सुनकर आनंद माने वही सच्चा धार्मिक है और वह अपने से आगे निकलने वाले का अनुमोदन करता है। ईर्षा की बीमारी डॉक्टर के पकड़ में नहीं आती हैं, इसीलिए उसका कोई इलाज नहीं हैं।यह व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक असाध्य रोगों का शिकार बनाती है और इसके लिए आध्यात्मिक चिंतन रामबाण औषधि है।

तपस्वी हस्तीमल बोकाडिया 31 उपवास एवं वर्षा जैन का 16 उपवास के लिए अभिनंदन किया गया।इस अवसर पर अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली के पंकज जैन, नरेंद्र जैन, अभिषेक जैन, आदर्श जैन कोटा, इंदिरा जैन इंदौर ने तपस्वियों का स्वागत किया। 24 अगस्त को बैरागी तपस्वी अभय जैन के 36 उपवास का अभिनंदन समारोह आयोजित किया जा रहा है

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