पद, मद और कद के जरिए आखिर किस पर वसुंधरा का निशाना?

राजनीति का दूसरा नाम है उतार-चढ़ाव, 


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जनीति में हर शब्द का अपना एक खास इशारा होता है और हर इशारे के अपने निशाने। सधे हुए धीर गंभीर राजनेता अक्सर अपने इशारे इन शब्दों के तीर के जरिए छोड़ते हैं और उन्हीं के जरिए अपनी ताकत भी दिखाते हैं। फिर बात अगर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हो, तो उनके शब्द बाण तो सीधे निशाने पर लगने वाले होते हैं और निशाना भी कोई अल्लू – पल्लू नहीं, बल्कि सीधे सबसे खास ही होता है। इसीलिए राजस्थान में नए बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ के पद ग्रहण समारोह में उनके ‘पद, मद और कद’ वाले बयान को राजनीति के कई नजरियों से देखा जा रहा है। वसुंधरा के इस बयान को खास तौर से हाल ही में लोकसभा चुनाव के बाद और पहले के प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक हालात और मुख्यमंत्री न बनाए जाने के उनके दर्द से जोड़कर देखा जा रहा है।

आखिर ऐसा क्या कहा वसुंधरा ने?

जयपुर में बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के पदग्रहण समारोह में बोलते हुए उन्होंने राजनीति की जबरदस्त व्याख्या की और उससे आने वाले पद, मद और कद के साथ - साथ जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के अलावा जनता के प्रेम की भी बात की। उन्होंने कहा, ‘राजनीति का दूसरा नाम है उतार-चढ़ाव, हर व्यक्ति को इस दौर से गुजरना पड़ता है, इसमें व्यक्ति के सामने तीन चीजें आती है – पद, मद और कद। पद और मद स्थाई नहीं होते, लेकिन कद स्थाई होता है। राजनीति में यदि किसी को पद का मद आ जाए, तो फिर उसका कद कम हो जाता है। आज कल लोगों को पद का मद आ ही जाता है। उन्होंने कहा कि उनकी नजर में सबसे बड़ा पद है – जनता की चाहत, जनता का प्यार और जनता का विश्वास। ये ऐसा पद है, जिसे कोई किसी से नहीं छीन सकता। ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ नारे का जिक्र करते हुए वसुंधरा ने कहा – ‘मुझे यकीन है कि मदन राठौड़ इस नारे को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, वह सबको साथ लेकर चलेंगे। यह बहुत मुश्किल काम है और बहुत सारे लोग विफल भी हुए हैं। लेकिन मुझे विश्वास है इस काम को आप पूरी लगन से करेंगे।’

तो क्या सीधे मोदी पर निशाना?

राजस्थान की राजनीति के जानकार कहते हैं कि राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे ने इशारों - इशारों में बहुत बड़ी बात कह दी। उन्होंने न तो नरेंद्र मोदी का नाम लिया और न ही अमित शाह का, लेकिन संभव है कि तंज सीधे उन्हीं पर किया हो। वसुंधरा ने राजनीतिक उतार चढ़ाव की बात के बहाने सभी को संदेश दिया है कि हर किसी को आगे जाकर उतार पर आना ही है। विश्लेषक वसुंधरा के पद का मद हो जाने पर कद भी कम हो जाने की व्याख्या करते हुए इसे सीधे प्रधानमंत्री मोदी के वर्तमान हालात से जोड़ते हैं। राजस्थान में बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बावजूद मुख्यमंत्री न बनाए जाने से वसुंधरा राजे एक रहस्यपूर्ण चुप्पी साधे बैठी रही और संगठन से इतनी दूरी बना ली कि वे 2023 में हुए चुनाव के बाद प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में भी शायद ही आई हो। लेकिन अब, जब आईं, तो अपने एक ही बयान से सीधे तहलका मचा गई। वसुंधरा राजे के मदन राठौड़ के पदग्रहण समारोह में आकर इस बयान ने राजस्थान की राजनीति का फोसक फिर से एक खास कोण में शिफ्ट कर दिया है, जिसमें गुटबाजी भी है, नाराजगी भी है और सब कुछ ठीक-ठाक भी नहीं है।

मतलब, सब कुछ ठीक तो नहीं

राजस्थान की राजनीति में अचानक हलचल आ गई है और उस हलचल के केंद्र में हैं वसुंधरा राजे। दरअसल, एक राजनेता और प्रशासक के नाते वसुंधरा राजे काफी दमदार नेता मानी जाती हैं और राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। लेकिन मुख्यमंत्री न बनने विधानसभा चुनाव के 9 महीनों बाद आखिरकार उनका दर्द छलक ही गया। राजे ने पद, मद और कद का जिक्र करके पार्टी में खलबली मचा दी है। वसुंधरा राजे अपना ये भाषण पहले से तैयार कर के लाई थी। जिससे मतलब साफ है कि वे जो भी बोल रही थीं, सोच समझ कर बोल रही थीं। उन्होंने नये अध्यक्ष को गुटबाजी से बचने की सलाह देकर पार्टी की भीतरी गुटबाजी की तरफ भी इशारा कर दिया और चुटकी ली कि कहने को तो सभी बड़े प्यारे हैं, लेकिन सबको साथ लेकर चलना आसान भी नहीं है। हालांकि राजे के इस बयान के बाद अभी तक किसी भी नेता की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि राजस्थान बीजेपी में सब कुछ कोई बहुत ठीक – ठाक नहीं है, जंग अभी भी जारी है।

राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)

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