जब तक बच्चे की धड़कन है, तब तक जीवन है...

गर्भवती माताएं ध्यान दे

दवा के साथ साथ दुआ भी जरूरी हैं - भक्तामर मंत्रों में अपार शक्ति


डॉ. अनीश जैन,
आध्यात्मिक स्कॉलर और भक्तामर गर्भ संस्कार प्रणेता, ने हाल ही में दो माताओं के केस के बारे में बताया कि जो गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की रिपोर्ट से चिंतित थीं। दोनों मामलों में डॉक्टर ने माताओं बताया कि बच्चे के दिल में समस्या है, लेकिन दोनों माताओं की प्रतिक्रिया में बड़ा अंतर था।

पहली मां: भारत की एक मां को डॉक्टर ने सलाह दी कि गर्भ को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि बच्चे के दिल में समस्या है। वह मां डर गई और टूट गई, और उसने गर्भ समाप्त करने के लिए दवाएं लेनी शुरू कर दीं।

दूसरी मां: अमेरिका से आई एक अन्य मां को भी डॉक्टर ने यही सलाह दी, लेकिन उसने कहा,"मैं भारत भूमि की बेटी हूं और जब तक मेरे बच्चे की धड़कन है, तब तक मैं उसका साथ नहीं छोड़ सकती।"

यह सुनने के बाद डॉ. जैन ने कहा कि यह खेल मेडिकल रिपोर्ट का नहीं, संस्कारों का है। उन्होंने कहा कि मातृत्व का धर्म है कि जब तक जीवन है, तब तक साथ देना चाहिए क्योंकि भक्तामर और णमोकार मंत्र के प्रभाव से कई बार चमत्कार होते हैं और बच्चे ठीक हो जाते हैं।

निष्कर्ष:

डॉ. जैन ने माता-पिता से प्रार्थना की कि वे डॉक्टरी निष्कर्ष सुनें लेकिन अंतिम निर्णय अपने संस्कार, धैर्य, और ईश्वर के प्रति विश्वास के साथ लें। जब तक धड़कन है, तब तक जीवन है, और जब तक जीवन है, तब तक आशा है।

डॉ. अनीश जैन का लेख पढ़ने के बाद, यह स्पष्ट होता है कि गर्भावस्था के दौरान माताओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब डॉक्टरों की राय और आधुनिक सोच का दबाव होता है। लेकिन डॉ. जैन हमें यह सोचने के लिए प्रेरित करते हैं कि जब तक जीवन है, तब तक चमत्कार भी संभव है। आइए उनके कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करें:

महत्वपूर्ण बिंदु :-

गर्भ एक मंदिर है : डॉ. जैन गर्भ को एक पवित्र स्थान मानते हैं जहां एक आत्मा निवास करती है। इसलिए, माताओं को अपने गर्भ में पल रहे जीवन का सम्मान करना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए।

मां की भूमिका : डॉ. जैन के अनुसार, एक सच्ची मां वह होती है जो अपने बच्चे की हर धड़कन तक उसके साथ खड़ी रहती है, चाहे अंत आए या चमत्कार।

चिकित्सा बनाम संस्कार :- डॉ. जैन कहते हैं कि यह मामला चिकित्सा का नहीं, संस्कारों का है। माताओं को अपने निर्णयों में अपनी आत्मा की बात सुननी चाहिए।

चमत्कार की संभावना :- डॉ. जैन बताते हैं कि जब तक जीवन है, तब तक चमत्कार भी संभव है। उन्होंने कई मामलों में देखा है जहां डॉक्टरी रिपोर्ट ने "जीरो चांस" बताया, लेकिन बच्चे भक्तामर और णमोकार मंत्र सुनते-सुनते जीवित रहे या मुक्ति की शांति को प्राप्त हुए।

अंत में, उन्होंने सभी माताओं से प्रार्थना करते हैं कि वे डॉक्टरों की राय सुनें, लेकिन अंतिम निर्णय अपनी आत्मा से लेंजब तक धड़कन है, तब तक जीवन है, और जीवन है तो चमत्कार भी संभव है।

क्या ये उपकार है...? या मातृत्व से पलायन...?


डॉ. जैन ने आध्यात्मिक स्कॉलर और भक्तामर गर्भ संस्कार प्रणेता, ने एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की है जो माताओं और गर्भस्थ शिशुओं के जीवन से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सलाह और माताओं के निर्णय में बड़ा अंतर होता है।

डॉक्टर की सलाह:

डॉक्टर बड़ी सहजता से समझाते हैं कि गर्भ को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि बच्चे के दिल में समस्या है। लेकिन मां को यह समझना चाहिए कि यह निर्णय कितना महत्वपूर्ण है।

मां का निर्णय:

मां को यह समझना चाहिए कि वह अपने बच्चे के साथ क्या कर रही है। वह अपने बच्चे को दवाओं से मारने की कोशिश कर रही है या उसे प्रेम और करुणा से पालने की कोशिश कर रही है।

विकल्प :

डॉ. अनीश  ने कहा कि भक्तामर और णमोकार मंत्र के प्रभाव से कई बार चमत्कार होते हैं और बच्चे ठीक हो जाते हैं। मां को यह विकल्प भी विचार करना चाहिए।

निष्कर्ष :

डॉ. अनीश जैन ने माता-पिता से प्रार्थना की है कि वे डॉक्टरी निष्कर्ष सुनें लेकिन अंतिम निर्णय अपने संस्कार, धैर्य, और ईश्वर विश्वास के साथ लें। जब तक धड़कन है, तब तक जीवन है, और जब तक जीवन है, तब तक आशा है।

संतान अल्लाह की है… जान लेना मेरा हक नहीं

एक मुस्लिम मां ने डॉ. अनीश जैन को बताया कि अगर बच्चे को कोई शारीरिक कमी हो सकती है, तो भी वह गर्भ को समाप्त नहीं करेगी। उसने कहा, "संतान अल्लाह की दी हुई है। जब उसने दी है — तो वही संभालेगा। मैं कौन होती हूं उसकी जान लेने वाली?"

संदेश :

डॉ. अनीश जैन ने सभी माताओं से कहा है कि जब बच्चा पेट में है और धड़कन चल रही है, तो वह सिर्फ शरीर नहीं, ईश्वर की धड़कती अमानत है। उसे दवा से मिटाना नहीं — प्रार्थना, करुणा और मंत्रों से थामना चाहिए।

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