वसई में बनेगा राज राजेन्द्र जयन्तसेन आराधना भवन
शुक्रवार को भायंदर पधारेंगे निपुणरत्न विजयजी
भायंदर :- पुण्यसम्राट् गुरुदेव श्री के शिष्य समतागुणरसिक मुनिराज श्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. आदि ठाणा अगासी तीर्थ (विरार) से विहार करके वसई पधारे। वसई में आकोली (थराद) निवासी वाघजीभाई भोगीलाल भणसाली परिवार रहता है, जो तीन दिनों से पूज्य श्री को पधारने की विनंती कर रहा था। परिवार की तरफ से सामैया कराया गया और गृहांगण में प्रवचन हुआ।
प्रवचन का विषय
निपुणरत्न विजयजी ने प्रवचन में शुद्ध भावों का महत्व समझाते हुए कहा कि जिनशासन में शुर्भ निमित्तों की अढलक संख्या है, लेकिन ये निमित्त हमें अच्छे लगेंगे और हम उनसे जुड़ेंगे, तभी शुर्भ भाव प्रगट करेंगे। निमित्त अच्छे तभी लगते हैं जब हमें शुर्भ भाव में रहने का और उसके परिणामस्वरूप मिलने वाली सद्गति में रस हो।
आराधना भवन का निर्माण
परिवार ने अपने आनंद से पूज्य श्री के आगमन पर आराधना भवन बनाने की भावना प्रगट की। पूज्य श्री ने आराधना भवन का नाम श्री राज राजेन्द्र जयन्तसेन आराधना भवन रखने की प्रेरणा की।
आगामी कार्यक्रम
पूज्य श्री शुक्रवार 13 जून को पूज्य गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वरजी की उपस्थिति में भायंदर नगर प्रवेश करेंगे। सूरत से 13 दिनों में 225 किमी का विहार करके पूज्य श्री मुंबई नगर में चातुर्मास के लिए पधारे हैं।

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