समाज मे शैक्षणिक स्तर बढ़ने के बाद मानवीय मूल्यों में गिरावट चिंतनीय :- भगतसिंह कोश्यारी
राज्यपाल की उपस्थिति में मानव अधिकार दिवस मनाया
मुंबई :- एक ओर जहां समाज सुशिक्षित हो रहा है, वहीं शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। लेकिन दूसरी ओर मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है जो चिंता का विषय हैं। उपरोक्त विचार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने व्यक्त किए।
उपरोक्त विचार राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने राजभवन में अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मूल्यों के इस पतन को रोकने के लिए शिक्षा के साथ-साथ संस्कृति को भी महत्व दिया जाना चाहिए।कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमलकिशोर तातेड, मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सत्यरंजन धर्माधिकारी, आयोग के सदस्य भगवंतराव मोरे, एम. ए.सईद, आयोग के सदस्य सचिव रवींद्र शिसवे व आमंत्रित विद्धार्थी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि भारत मे महिलाओं को देवी का स्थान दिया हैं।लेकिन आज संस्कारों के अभाव में महिलाओ से दुर्व्यवहार किया जाता हे जो खेदजनक हैं। महिलाओं व बच्चों पर संकट में देख उनकी मदद ना कर हम फ़ोटो निकालने में व्यस्त होते है।इस पार्श्वभूमी पर महिला, अपंग,छोटे बच्चों के अधिकारों के प्रति समाज को अधिक जागरूक होने की जरूरत हैं।उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन पद्धती में केवल मानव का नहीं बल्कि पशु पक्षी, पेड़ पौधों के साथ नदी नालों का भी विचार किया गया है।सभी प्राणियों में विवेक, बुद्धी केवल मनुष्य को मिली हैं,इसलिए उन्हें समाज मे उपेक्षित लोगों के अधिकारों का विचार करना चाहिए।उन्होंने आयोग द्वारा किये जा रहे कामों की प्रशंसा करते हुए न्यायाधीश तातेड़ को बधाई दी।उन्होंने कहा कि राज्य आयोग पूरी निष्ठा से इसे से लोकाभिमुख करने जनजागृती कर रहा है यह बहुत प्रशंसनीय हैं।
न्या. सत्यरंजन धर्माधिकारी ने कहा कि मानवाधिकार दिवस केवल 10 दिसंबर तक मर्यादित ना रखे वह अपने जीवन का हिस्सा होना चाहिए।आयोग के अध्यक्ष न्या. तातेड ने मानवाधिकार आयोग ने किए कामों की जानकारी दी। इस अवसर पर ‘अमर रहे मानवाधिकार’ इस नाटक का मंचन किया गया। राज्यपाल ने कार्यक्रम में आरोग्य अधिकार विषय पर टाटा समाज विज्ञान विभाग के अहवाल का प्रकाशन किया।
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