पितृहृदय वसंत सूरीश्वरजी
भावपूर्ण श्रद्धांजलि
-श्रीमती अनु दीपक जैन / जयपुर
नहीं है इतनी शक्ति की गुरु के उपकारों को शब्दों में बांध सकें, नही है इतना सामर्थ्य की उनकी स्मृति को कागज़ पर उतार सकें जय जय नन्दा - जय जय भद्दा, महायोगी का महाप्रयाण है, पितृहृदय वसंत सूरी हमारे दिलों में विराजमान हैं ||1||
वल्लभ सूरिजी की सम्पदा थे, विद्या विचार गुण विशाल थे, स्वाध्याय, तपस्या, समर्पण और संयम की जीती जागती मिसाल थे। जिनकी तप ज्योति से जिनशासन जाज्वल्यमान है, पितृहृदय वसंत सूरि जी हमारे दिलों में विराजमान है ||2||
सम्यक तप की भाषा में ही जो धर्म के पाठ पढ़ाते थे, करुणा भाव अंतर्मन में रख हमेशा हाथ बढ़ाते थे उनकी "आओ राजा, आओ बेटी" ध्वनि कानों में गुंजायमान है, पितृहृदय वसंत सूरि जी हमारे दिलों में विराजमान हैं ||3||
आत्म वल्लभ सी उनमे दृढ़ता, समुद्र इंद्र से गम्भीर थे, वर्षीतप आराधना में तत्पर, वे धीरों के भी धीर थे। उनकी प्रदत्त संस्कार सलिला, हम सब के भाव प्राण हैं, पितृहृदय वसंत सूरि जी हमारे दिलों में विराजमान हैं ||4||
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