आत्मा का वर्चस्व अहिंसा से ही कायम हो सकता है
अध्यात्म विद्या पर विश्व सम्मेलन में उदघोष
नई दिल्ली : भारतीय संस्कृति का मूल स्वरुप आध्यात्मिकता और धार्मिकता है।आत्मा में ही परमात्मा का अस्तित्व है और आत्मा का वर्चस्व अहिंसा से ही कायम हो सकता है।अहिंसा परमो धर्म की स्थापना करके विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। आचार्य श्री अनेकांत सागर जी ने, यह विचार डाक्टर्स फोरम, एनिमल वैलफेयर सोसायटी आफ इंडिया और ज्ञानसागर साइंस फाउंडेशन द्वारा एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर, कनाट प्लेस में आयोजित अध्यात्म विद्या पर विश्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । सम्मेलन में उपस्थित रहे देश, विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विभिन्न धर्मों के गुरु, विद्वान, डाक्टर, वैज्ञानिक, दर्शन शास्त्री, युवा जिज्ञासु सभी ने बीमारियों से बचने के लिए सप्त व्यसन और मांसाहार से दूरी बनाकर, प्लांट बेस्ड डाइट और शाकाहार को शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ हेतु महत्वपूर्ण बताते हुए अपनी विज्ञान आधारित और तार्किक प्रस्तुतियाँ और विचार रखे। सभी ने यह माना कि अध्यात्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं और दोनो का लक्ष्य सत्य की खोज है
आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रख्यात न्यूरोसर्जन डा. डीसी जैन ने डा.आकृति जैन के शोधपत्र जूनोटिक (पशु जन्य ) रोगों की प्रस्तुति के संदर्भ से बताया कि यह बात जो कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने तिजारा जी के डॉक्टर्स कॉन्फ्रेंस में भी कही थी, वह कोविड 19 जैसी संक्रामक जूनोटिक (पशु जन्य) रोगों की बढ़ती संख्या के बाद विश्व के लिए चिंता का विषय बन चुका है और सारा विश्व और डब्लू एच ओ भी वन हेल्थ एप्रोच के जरिए मनुष्य, पशु पक्षी, और पर्यावरण को जोड़ कर मानव स्वास्थ्य और कल्याण की बात करने लगा है। उन्होंने कहा कि हमें पशु-पक्षियों के साथ भी सामंजस्य करना होगा, अनइथिकल ट्रेड से बचना होगा, वन हैल्थ एप्रोच का प्रबंध करना होगा। उन्होंने बताया कि 1998 से पूर्व, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वास्थ्य की परिभाषा में फिजिकल, मेंटल, सोशल हेल्थ के साथ स्पिरिचुअल हेल्थ को भी जोड़ा था।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए आचार्य श्री लोकेश मुनि ने कहा कि यदि हमारी आत्मा निर्मल और स्वस्थ है तो हम परमपद को भी प्राप्त कर सकते हैं । अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष उमर अहमद इलियासी ने इस अवसर पर कहा कि जातियां, धर्म व पूजा पद्धति अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारे भीतर का इंसान और इंसानियत एक ही है । उन्होंने अपील की कि दुनिया में जिस तरह से हिंसा का माहौल है उसको रोकने के हम और कुछ नहीं तो कम से कम दुआ तो कर सकते हैं । भारत में यहूदी समुदाय के प्रमुख ईजेकील इसहाक मालेकर ने इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा मुंह ब्रह्मांड और शब्द ब्रह्मास्त्र हैं इसलिए हमें हमेशा ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे किसी को दुख न पहूंचे । निरंकारी संत हरपाल सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक इंसान के अंदर परमात्मा का एक अंश होता है जिसे हम आत्मा कहते हैं । आर्य समाज के आचार्य चंद्रदेव ने कहा कि जिसने अपनी आत्मा को जान लिया तो उसने अपने जीवन को जान लिया । वहीं बौद्ध धर्म गुरु येशी फुंत्सोक, ने शरीर को गाड़ी और आत्मा को ड्राइवर बताते हुए कहा कि यदि आत्मा शक्तिशाली है तो शरीर भलीभांति चलता है ।
पतंजलि हरिद्वार के डा.रोमेश शर्मा ने विलुप्त होते पशु-पक्षियों के संरक्षण, इसरो के डा. राजमल जैन ने अहिंसा की अवधारणा, डा. वीरसागर ने आत्मा के विज्ञान, प्रो. अनेकांत जैन ने स्याद्वाद, प्रो. फूलचंद जैन ने अहिंसक जीवन शैली, मोटीवेटर अशोक अग्रवाल ने जैव विविधता, डा. संध्या गुप्ता ने तम्बाकू से बचने ,डॉ. प्राची जैन ने कैंसर से बचने के लिए सात्विक व्यसन मुक्त जीवन शैली के सुझाव दिए ।, डॉ. ए सी धारीवाल और डा.आकृति जैन ने जूनोटिक (पशु जन्य) रोगों कोविड-19 की तरह भविष्य में भी एनिमल से होने वाली जूनोटिक बीमारियों का बडा खतरा बताया । डॉ. चक्रेश जैन ने हॉलिस्टिक जीवन , आदीश जैन ने चेतन आत्मा, डा. राहुल ने वृक्षारोपण करने व डा. एसके पोखरन, डा. अरिहंत, डा. राजेश जैन, साध्वी संगीता प्रज्ञा, ज्ञान तीर्थ से आईं अनीता दीदी, डा. प्रियदर्शन ने आत्मा के उत्थान पर जोर दिया। डा. एन एल कछारा ने विज्ञान को चुनौती पर शोध प्रस्तुत किया। डा. जीवराज जैन, डा. दीपक शुक्ला, डा.अभिनंदन कुमार जैन, मनोज जैन ने भी विचार व्यक्त किए।
डा. जयकुमार उपाध्याय, जीतो अध्यक्ष ए. के. श्रीमाल, डा. नीलम जैन ने भी विचार व्यक्त किए । डा. सुदीप जैन ने प्रलोभन के प्रबंधन पर अपने अपने शोधपत्र और विचार रखे। ब्रिटेन से प्रो.पीटर फ्लूगेल ने आनलाइन अपने विचार रखे और शुभकामनाएं दी। डा.के. एम. गंगवाल -पूणे, डा.चिरंजी लाल बगडा -कोलकाता ने बताया कि वे अब तक देवी-देवताओं के सामने बली होने वाले 12 लाख पशु-पक्षियों को बचा चुके हैं। डा. के सी जैन ने कैटल हास्टल की योजना बताते हुए कहा कि गुजरात में इसकी शुरूआत हो चुकी है। डा. अभिषेक गर्ग ने गीता का उदाहरण देते हुए नानकम्यूनिकेबल डिसीज से बचने को जीवन शैली बदलने की प्रेरणा दी।
मनोज जैन ने विश्व सम्मेलन का संचालन किया। डा. इंदु जैन ने वर्ल्ड पीस प्रेयर प्रस्तुत की। कार्यक्रम के महासचिव डॉ. एच. एस. जैन ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. एस. पी. गौतम, डॉ. जे. डी. वर्मा, आदीश जैन, डॉ. चक्रेश जैन और नीलमकांत जैन के संपादन में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तार्किक विचारों की स्मारिका भी प्रकाशित हुई। स्वराज जैन, रमेश जैन ( नवभारत टाइम्स ), प्रदीप जैन सहित आयोजन समिति के सभी सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। शहीद बिशन सिंह मेमोरियल स्कूल के बच्चों ने अपनी प्रेरक नाट्य प्रस्तुति से पशु-पक्षी हत्या रोकने के लिए एक मार्मिक अपील की ।
अध्यात्म विद्या पर विश्व सम्मेलन का उद्देश्य मनुष्य, पशु और प्रकृति के बीच आपसी संबंधों को समझकर पूरी दुनिया को अध्यात्म से जोड़ना, जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानना और आत्मा और आध्यात्मिकता के साथ इसकी कनेक्टिविटी से मानव जीवन को सार्थक और आनंदमय बनाना है। इस कॉन्फ्रेंस के जरिए लोगों में जीवों के प्रति एक संवेदनशील नजरिया अपनाने पर भी जोर दिया गया ।
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