जैन समाज का बहादुर बेटा अमर शहीद अर्चित वार्डिया जैन....

अर्चित जैन का संदेश था – हर एक को मरना है लेकिन मेरी मौत सबको याद रहे।

(Jain Dharma / Riya Jeet Rathod)


उदयपुर :- अर्चित वार्डिया जैन का जन्म झीलों की नगरी उदयपुर में २० जनवरी, १९८८ को हुआ था। आप बहुत धार्मिक एवं प्रतिष्ठित परिवार से थे। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के तृतीय आचार्य श्री  देवेन्द्र मुनि के सांसारिक परिवार में आप उनके भतीजे लगते थे। अर्चित अपनी माँ वीना वार्डिया, बहिन दिव्यांशी के साथ रहते थे। पिताजी का अवसान पहले ही हो चुका था।

अपने पिता श्री दिनेश वार्डिया के स्वप्न को पूरा करने के लिए बी० काम० की पढ़ाई के बाद आपने भारतीय सेना में मार्च २०१० में प्रवेश लिया। सेना प्रवेश से पहले एन० डी० ए० की परीक्षा में पूरे भारत में ९वाँ स्थान प्राप्त किया था। एक साल की ट्रेनिंग के लिए चेन्नई गये, ट्रेनिंग के पूरा होते ही जम्मू- कश्मीर में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए। ६ महीने तक उन्होंने आर्टीलरी की ट्रेनिंग भी ली।

लेफ्टिनेंट अर्चित वार्डिया ने १७५ मेड रेजीमेंट में प्रवेश किया, उनने अपनी माँग पर सियाचीन ग्लेसियर जैसी सबसे कठिन पोस्ट ली। २० जुलाई, २०११ में रात्रि ९ बजे सियाचीन ग्लेसियर में दुश्मनों के बम ब्लास्ट से बहुत सारे सैनिकों एवं अपने सीनियर की रक्षा के लिए २० हजार फीट की ऊँचाई से अद्भुत साहस दिखाते हुए जलते हुए बंकर में कूद पड़े। जलने एवं दम घुटने के कारण अर्चित ने शहादत प्राप्त की। साथ में मेजर गुरफेज सिंह भी मृत्यु की गोद में समा गये।

(फ़ेसबुक से साभार)



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