क्रोध के सौ नुकसान है,क्षमा के हजार फायदे - राष्ट्रसंत ललितप्रभ
संबोधि धाम में पावर योगा और मेडिटेशन के प्रयोग
जोधपुर :- राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि गुस्सा इंसान को बर्बादी की तरफ ले जाता है। गुस्से में अगर नौकरी छोड़ोगे तो करियर बर्बाद होगा, मोबाइल तोड़ोगे तो धन बर्बाद होगा, परीक्षा न दोगे तो वर्ष बर्बाद होगा और पत्नी पर चिल्लाओगे तो रिश्ता खराब होगा। क्योंकि गुस्सा हमारा मुंह खोल देता है पर आंखें बंद कर देता है। यह पागलपन से शुरू होता है और प्रायश्चित पर पूरा होता है। उन्होंने कहा कि गुस्सा करने से पहले सौ बार सोचें, इससे लाभ नहीं नुकसान ही होना है। जो काम रुमाल से निपट सकता है भला उसके लिए रिवाॅल्वर का उपयोग क्यों किया जाए।संतप्रवर संबोधि धाम में आयोजित सत्संग क्लास के दौरान साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गुस्सा आ भी जाए तब भी वाणी पर नियंत्रण रखने की कोशिश कीजिए नहीं तो आप हानि उठाएंगे। मां के पेट से निकला बच्चा और मुंह से निकले बोल वापस कभी अंदर नहीं जाते। उन्होंने कहा कि अगर गुस्सा करना ही है तो किसी को सुधारने के लिए करें, अहंकार जताने या किसी को नीचा दिखाने के लिए गुस्सा ना करें।
गुस्से को जीतने के टिप्स देते हुए संत प्रवर ने कहा कि विरोध के वातावरण में भी मुस्कान को तवज्जो दीजिए, गुस्से को जीतने के लिए क्रोध के वातावरण से दूर रहिए, मौन का अभ्यास बढ़ाइए, सकारात्मक व्यवहार कीजिए, विनोदी स्वभाव के मालिक बनिए, सप्ताह में 1 दिन क्रोध का उपवास अवश्य कीजिए। अगर आप शांति के वातावरण में क्रोध करते हैं तो दुनिया की नजर में आप उग्रवादी कहलाएंगे वहीं यदि क्रोध के वातावरण में भी आप शांत रहेंगे तो किसी देवदूत की तरह पहचाने जाएंगे।
इसे पुर्व साधक भाई बहनों ने क्लैपिंग थेरेपी, रबिंग थेरेपी और स्माइलिंग थेरेपी के प्रयोग किए। डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर ने साधकों को प्रॉपर रिलैक्सेशन के प्रयोग सिखाएं।
क्लास में मंच संचालन हनुमान प्रसाद चौहान और आभार सुजाता शर्मा ने दिया। क्लास में बड़ी संख्या में साधक भाई-बहन मौजूद थे।
इसे पुर्व साधक भाई बहनों ने क्लैपिंग थेरेपी, रबिंग थेरेपी और स्माइलिंग थेरेपी के प्रयोग किए। डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर ने साधकों को प्रॉपर रिलैक्सेशन के प्रयोग सिखाएं।
क्लास में मंच संचालन हनुमान प्रसाद चौहान और आभार सुजाता शर्मा ने दिया। क्लास में बड़ी संख्या में साधक भाई-बहन मौजूद थे।
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