यातायात के लिये सिरदर्द बना भायंदर रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण

चार माह से निर्माण कार्य ठप्प

विनोद मिश्र / भायंदर

भायंदर रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण का निर्माण कार्य विगत चार माह से ठप्प पड़ा हुआ है। जिससे भायंदर पश्चिम व पूर्व में रेलवे स्टेशन के पास हंमेशा ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है, जो वाहन चालकों व यातायात के लिए सिरदर्द बन गई है।

क्यों होती है ट्रैफिक जाम

भायंदर स्टेशन के बाहर ही रिक्शा स्टैंड, एसटी, बीईएसटी तथा एमबीएमटी का बस पड़ाव बना हुआ है। इतना ही नही तो इस से सटा ही भायंदर पश्चिम व पूर्व को जोड़ने वाली भूमिगत मार्ग भी बनी हुई है। जिससे खुले जगह के अभाव में यहां ट्रैफिक जाम की भारी समस्या उत्तपन्न हो जाती है। वहीं कोरोना महामारी के संक्रमण काल मे आम नागरिकों के रेल यात्रा पर लगाई गई बंदिश भी अब हटा दी गई है। जिससे अब रेल प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई है।इसका असर भी ट्रैफिक जाम पर पड़ी है।

सौंदर्यीकरण के निर्माण का कार्य क्यों है ठप्प

२९ जून २०१७ को तत्कालीन मनपा आयुक्त नरेश गीते ने राज्य सरकार के नगरविकास विभाग के सचिव को पत्र लिख कर बेसिक अमेनिटीज डेवलपमेंट फंड की मांग की थी। जिस के तहत भायंदर पूर्व में रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए १ करोड़ रुपये व पश्चिम के लिए २ करोड़ रुपये खर्च की अनुमति दी गई थी और यह खर्च सरकार से अनुदान लेकर करना था। इसके बाद बिना नगर विकास विभाग की अनुमति के भायंदर पूर्व के सौंदर्यीकरण में १ करोड़ १६ लाख रुपये तथा पश्चिम के लिए २ करोड़ की बजाय ८ करोड़ २२ लाख रुपये खर्च की मान्यता मनपा की सत्ताधारी भाजपा ने दे दी। इतना ही नही तो राज्य सरकार के नगर विकास विभाग की बिना अनुमति लिए सितंबर २०१९ में सौंदर्यीकरण के कार्य की शुरुआत कर दी गई।  करदाता नागरिकों के पैसों की बर्बादी , मनपा की बदहाल आर्थिक स्थिति तथा टेंडर-कमीशन की बंदरबांट का आरोप करते हुए शिवसेना विधायिका गीता जैन ने इस खर्च को अनावश्यक व नियमबाह्य होने की शिकायत कर इस पर आक्षेप लिया था। 

नमक विभाग की शिकायत पर निर्माण कार्य बंद

केंद्र सरकार के अधीन आने वाली नमक विभाग ने भी भायंदर पश्चिम में रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण का कार्य उनकी जमीन में किये जाने का दावा करते हुए निर्माण कार्य बंद करा दिया। इस निर्माण कार्य के विरोध में नमक विभाग ने १४ अक्टूबर २०१९ को भायंदर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है।

जगह है कम

सौंदर्यीकरण के बाद यहां जगह बहुत कम हो जाएगी और दिनोदिन समस्या इसके कारण बढ़ती जाएगी।रेलवे ने भी कैसे अनुमति दी यह समझ से परे हैं।प्रशासन को यहां फिर से सर्वे कर निर्णय लेना चाहिये.


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