जैन मंदिर की नींव में पानी की जगह घी लिया गया था
भांडाशाह जैन मन्दिर बीकानेर-504 वर्ष प्राचीन है
मुनि सत्वरत्व विजयजी म.सा. (संजू महाराज)
बीकानेर :- सेठ भांडाशाह घी के व्यापारी थे। मन्दिर बनाने का विचार करने के बाद सोमपुरा को बुलाया गया।नक्शे आदि देखकर वे चर्चा कर रहे थे कि उनके पास रखे घी के पात्र में 1 मक्खी आकर गिर गयी।
मक्खी तो मर गयी पर सेठजी ने जीवदया के भाव से उस मक्खी पर लगे घी को अपनी पगरखी से पोंछ लिया ताकि अन्य चींटी आदि जीवों की हिंसा न हो।
ये घटना देखकर सोमपुरा ने सोचा कि इतना कंजूस सेठ कैसे ऐसा मन्दिर बनायेगा तो उसने कहा कि मन्दिर के दीर्घायु और निर्विघ्न पूरा करने के लिए इस मंदिर की नींव में घी और कोपरा डाला जाए। सेठजी ने बिना विचार किये तुरंत अपने सेवकों को आदेश दे दिया। घी की नदियां बहा दी अब सोमपुरा को पश्चाताप हुआ और उसने सब बात सेठजी को बताई।सेठजी ने कहा कि अब तो ये घी इसी में डाला जाएगा।40000 मण घी इसकी नीव में डाला गया है।
त्रिलोक्य दीपक प्रासाद की नींव हर दीवार में 4 हाथी जितनी गहरी और 8 से 10 हाथ चौड़ी है।पूरा मंदिर लाल और पीले पत्थर से बना है।तीन मंजिलों में चतुर्मुख भगवान विराजमान हैं।इस मंदिर मे पाँचवे तीर्थंकर श्री सुमतिनाथजी मूलनायक है । श्री भांडाशाह मंदिर का निर्माण गोदा नामक वास्तुशास्त्री की देखरेख मे किया गया था ।
Bahut hi rochak kissa .kisi ko bhi uske bahari swaroop se parakhna nahi chahiye.aapas me vichaar vimarsh karke hi natije par aana chahiye. Bina soche samjhe Amulya vastu ko barbaad nahi karna chahiye.
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