विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में है जैन धर्म का महत्व

 

 भगवान आदिनाथ के निर्वाण दिवस पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार

लखनऊ :- भगवान ऋषभदेव के निर्वाण दिवस के उपलक्ष में उनके जीवन और शिक्षाओं के माहात्म्य पर प्रकाश डाला गया । अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन इतिहास एवं संस्कृति शोध संगठन लखनऊ और तीर्थ संरक्षिणी महासभा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया । 

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में प्रोफेसर रह चुके डॉ० संकटा प्रसाद शुक्ला के अनुसार प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का उल्लेख बड़े सम्मान के साथ लिया गया है। उनका जन्म लगभग सात हजार वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है । उनका संबंध श्रमण परंपरा से था जिसका उल्लेख ऋग्वेद आदि ग्रंथों में हुआ है। ऋषभ तथा  शिव एक परंपरा ही संबंधित रहे हैं । उन्होंने सभी प्रकार का ज्ञान सहित योग, तप  त्याग का मार्ग भी प्रशस्त किया। ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष  प्रसिध्द हुआ । 

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ० डी० पी० शर्मा ने बताया कि जैन कला की प्राचीनता पांच हजार ईसा पूर्व से पहले तक जाती है जिसकी प्रमाणिकता सिंधु सभ्यता की नग्न मूर्तियों वृषभ, हांथी गैंडा सिंह आदि की सीलों का तीर्थंकरों के चिन्ह (लाँछन) के रूप में और स्वास्तिक धर्मचक्र, कल्पवृक्ष, कायोत्सर्ग आदि प्रतीकों के जैन परंपरा से सम्बन्ध और वैदिक एवं पौराणिक उल्लेखों से स्वयं सिद्ध होती है । प्रोफेसर शर्मा के कथनानुसार जैन परंपरा और कला वैदिक बौद्ध कलाओं से भी प्राचीन है । 

इतिहास एवं संस्कृति शोध संगठन के शैलेन्द्र जैन ने अपनी प्रस्तुति में चर्चा को आगे बढ़ाते  हुए कहा कि विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं में है श्रमण वृषभ और दिगम्बरत्व का महत्व । मिश्र में एपिस बैल को निर्माण का देवता और हम्मूराबी के शिलालेखों सुमेरु सभ्यता एवं ईरान में ऋषभ को देव ही माना गया है और संभवतः ऐसा कृषि की प्रधानता के कारण ऐसा हुआ हो । नाभि ऋषभ समस्त जम्बू  द्वीप (एशिया) के अधिपति थे और वहाँ उनकी स्तुति की जाती थी ।  रेशेफ  (ऋषभ) चाइल्डियन देवता नाबू (नाभि) और मूरी (मरुदेवी) के पुत्र माने जाते थे । 

ए एस आई के पू महानिदेशक ने कहा की मुझे अच्छा लगा इन दोनो का वक्तव्य उनमे कई जानकारिया नही थी।महासभा अध्यक्ष निर्मल कुमार जैन ने कहा की आपने बहुत अच्छे तरह से प्रमाणो के साथ अपनी बात कही आगे भी ऐषे कार्यक्रम करते रहेगे।जैन ने सभी का आभार  व्यक्त किया।

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