मां कामाख्या देवी मंदिर की प्रतिकृति बनी आकर्षण का केंद्र

देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक है असम की प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर

12 वर्षों से शक्तिपीठों की प्रतिकृति कर रहे स्थापित

मराठा प्रतिष्ठान का आयोजन

विनोद मिश्रा 


भायंदर :- 
हिंदू नववर्ष के आरंभ में 9 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र माह का नवरात्रोत्सव सभी जगह आस्था पूर्वक मनाई जा रही है। भायंदर पूर्व के नर्मदा नगर में जिद्दी मराठा प्रतिष्ठान द्वारा इस वर्ष असम के प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर की हूबहू प्रतिकृति की स्थापना की गई है, जो देवी भक्तों,शक्ति के उपासकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया और ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। मान्यता है कि 52 विभिन्न स्थानों पर सती के अंग गिरे थे, लेकिन प्रत्यक्ष में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है।इन्हीं शक्तिपीठों में से एक असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती का 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं मां भगवती की महामुद्रा योनिकुंड में स्थित है।यह मंदिर तंत्र मार्ग के साधकों के लिए प्रसिद्ध मंदिर है। जून माह का मध्य जब सूर्य मिथुन राशि में स्थानांतरित होता है, तब इस मंदिर में अंबुवाची मेला का भव्य आयोजन होता है, जिसमें देश के बड़े-बड़े तांत्रिक शामिल होते हैं।

बता दें कि जिद्दी मराठा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रदीप जंगम भी मां शक्ति के साधक हैं और पिछले 12 वर्षों से मीरा-भायंदर शहर में देवी भक्तों के दर्शनार्थ विभिन्न शक्तिपीठों की प्रतिकृति स्थापित करते हैं।

प्रतिष्ठान ने अब तक नासिक शक्तिपीठ वणी माता, लोणावला एकवीरा, कोल्हापुर महालक्ष्मी, सोलापुर तुलजा भवानी, माहूर रेणुका माता, गुजरात खोडीयार

माता, चोटीला गुजरात अंबाजी माता, कटरा वैष्णो देवी माता, पाकिस्तान में स्थित शक्तिपीठ हिंगलाज माता, कोलकाता की मोरपंखी दुर्गा माता आदि प्रसिद्ध मंदिरों की प्रतिकृति स्थापित किए हैं।

प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रदीप जंगम ने शहर के सभी देवी भक्तों से मां कामख्या देवी के प्रसिद्ध मंदिर की प्रतिकृति का दर्शन करने की अपील की है.

वर्तमान के दैनिक भागदौड़ की जिंदगी में लोग चाहकर भी कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों, मंदिरों, शक्तिपीठों के दर्शन हेतु नहीं पहुंच पाते. मेरा प्रयास रहता है कि ऐसे भक्तों को अपने शहर में ही उन मंदिरों की प्रतिकृति के दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराएं, जिससे वर्ष के आरंभ से ही उनको मां अंबे का आशीर्वाद प्राप्त हो.

प्रदीप जंगम, अध्यक्ष, जिद्दी मराठा प्रतिष्ठान

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