शिष्य त्यागी फिर गुरु महात्यागी

घाटकोपर में बना सेवा और मानवता का महामंदिर


मुंबई :-
महानगर के उनगर घाटकोपर में आराध्य स्वास्थ्य एवं शिक्षा केंद्र का उद्घाटन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द् फड़नवीस ने किया। इस स्वास्थ्य और शिक्षा केंद्र का निर्माण घाटकोपर के विधायक पराग शाह ने कराया था। तीन साल पहले उन्होंने राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के 50वें जन्मदिन पर पचास करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया और उससे एक नया पारसधर्मरूपी जैन परिसर बनाने का प्रयास किया।जब पारसधाम जैन कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हो गया तो राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब ने उनसे कहा कि यहां सिर्फ पूजा-अर्चना का स्थान ही नहीं बल्कि मानवता का मंदिर भी बनना चाहिए, मंदिर बनाना सबसे अच्छा माना जाता है लेकिन मानवता के लिए एक महान मंदिर का निर्माण करना सर्वोत्तम बताया गया। इसलिए यहां पारसधाम नहीं बल्कि मानवता, सेवा, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए कुछ किया जाना चाहिए। और परागभाई ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मातुश्री पूज्य आराध्याजी महासतीजी के नाम पर आराध्या स्वास्थ्य एवं शिक्षा केंद्र का लोकार्पण किया।

उद्घाटन समारोह में सांसद मनोज कोटक,पूर्व सांसद किरीट सोमैया, विधायक राम कदम आदि उपस्थित थे।इस केंद्र में 28 डायलिसिस मशीनें, ब्लड बैंक आदि कई सुविधाएं हैं।

समारोह में पारसी परिवार के बरजिसभाई देसाई की सेवा की प्रशंसा करते हुए परम गुरुदेव ने कहा कि श्री बरजिसभाई जो परागभाई के साथी हैं, परागभाई जितना दान करते हैं उसका आधा हिस्सा हमेशा के लिए उसका है।जब परम गुरुदेव ने बरजिस भाई को खड़े होकर लोगों के बीच अपनी पहचान बताने को कहा तो वह खड़े ही नहीं हुए और कहा कि मेरे लिए गुरु की आज्ञा सर्वोपरि हैं।नम्रमुनि म.सा. प्रेरित मानवता और आध्यात्मिकता के संगम पर स्थित एक शानदार परिसर को किसी नाम या प्रसिद्धि की आवश्यकता नहीं है। पारसी परिवार से होने के बावजूद उन्होंने जो सद्भावना दिखाई है वह अद्वितीय है।

आज घाटकोपर में लगभग 60 करोड़ की लागत से बने स्वास्थ्य एवं शिक्षा केंद्र के उद्घाटन समारोह में लोगों के दिलों में बस एक ही शब्द घूम रहा था कि शिष्य दानी तो गुरु महात्यागी। गुरु ने घाटकोपर के सर्वोत्तम पारसधाम परिसर को, मानवता के मंदिर के रूप में रोटरी क्लब को, लायंस क्लब को, समर्पण ब्लड बैंक को और शिक्षा के लिए अन्य संगठनों को समर्पित करके एक उदार भावना का उदाहरण दिया है।

ऐसा हमेशा होता है कि अपने ही धर्म के अनुयायियों के लिए मंदिर बनाने की हर प्रेरणा होती है, लेकिन घाटकोपर में परम गुरुदेव ने आम लोगों की सेवा के लिए यह मानवीय कार्य कर उत्कृष्ट काम किया हैं।। इस कार्य में देवेनभाई चितलिया, जयभाई देसाई आदि टीम ने भी दिन-रात काम किया और कार्यक्रम को सफल बनाया।

श्री उवसग्गहरम साधना ट्रस्ट वल्लभ बाग लेन, तिलक रोड, घाटकोपर (ई), मुंबई-400 077. फोन नंबर: 32043232।





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम