मूंछों वाले महावीर के नाम, से प्रसिद्ध विश्व की एकमात्र प्रतिमा

जनजन की आस्था का केंद्र है श्री मुछाला महावीरजी तीर्थ


यहां है हाजरा हजूर है, भैरव देव

पाली जिले के घाणेराव के पास स्थित श्री मुछाला महावीरजी तीर्थ जन जन की आस्था का केंद्र हैं।मूछों वाले महावीर के नाम से यह विश्व की एकमात्र प्रतिमाजी हैं।कहा जाता है कि प्रसिद्ध विचारक ओशो (रजनीश) ने साधना केन्द्रों की शुरुआत यहीं से की थी।

राजस्थान के गोडवाड़ क्षेत्र की पंचतीर्थी का मुख्य तीर्थ 'श्री मुछाला महावीर तीर्थ' जो चौबीस देहरियों युक्त विशाल कलात्मक शिखरबंध भव्य-दिव्य जिनलाय में 2500  वर्ष प्राचीन श्री महावीर स्वामी भगवान की श्वेतवर्णी, पद्मासनस्थ, लगभग साढ़े चार फुट की अलौकिक परीकरयुक्त प्रतिमा विराजमान है। इस देव विमान समान जिनालय के मंडप, स्तंभों व भमति में उत्कीर्ण कला के नमूने दर्शनीय हैं । गगनचुम्बी शिखर, बड़ा रंगमंच तथा झरोखों की विविध कलापूर्ण जालियां, यहां की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है । नृत्य करती देवी-देवताओं की मूर्तियां बड़ी मोहक लगती हैं ।

वर्तमान गंभारा लगभग 1500  वर्ष प्राचीन होने का अनुमान है। मूर्ति के नीचे संवत 1903 का एक लेख है जिसके अनुसार इसकी प्राण प्रतिष्ठा तपा्गच्छीय श्री शांति सागरसूरीश्वरजी म.सा. ने की है । इसके अलावा एक और देवकुलीका में श्री मुनिसुव्रत स्वामी प्रतिमा पर संवत1893 में प्रतिष्ठित होने का उल्लेख है।मूलनायक  महावीर स्वामी की प्रतिमा 11 वीं सदी की प्राचीन है । भगवान महावीर के बड़े भाई नंदीवर्धन राजा द्वारा मूर्ति भरवाने का भी उल्लेख मिलता है।*

उत्तर मुखी इस मंदिर के द्वार के दोनो ओर विशाल हाथी खड़े हैं।दायीं ओर के हाथी के पीछे चमत्कारिक व हाज़राहुजूर अधिष्टायक श्री भैरवदेव की प्रतिमा प्रतिष्ठित है व अखंड ज्योत प्रज्वलित है। जैन-अजैन सभी यहां अपनी मन्नत पूरी करने आते है।

 मुछाला महावीर के नाम से क्यों जाने जाते हैं प्रभु 

प्रचलित एक दंतकथा के अनुसार मंदिर की प्रतिष्ठा के बाद किसी समय मेवाड़ के राजा कुंभा ( कहीं-कहीं महाराणा राजसिंहजी का हवाला है ) अपने सामंतों के साथ यहाँ दर्शनार्थ पधारे थे।मंदिर के पुजारी ने महाराणा को भगवान का पक्षाल जल  देकर आदर किया पर जल में एक बाल देख एक हजूरिये ने व्यंग में कहा की क्या आपके भगवान मूँछो वाले हैं? पुजारी अक्षयचक्र ने विश्वास के साथ कहा कि दाढ़ी-मूंछ क्या, हमारे भगवान तो अनेक रूप धारण करने में समर्थ हैं । इस पर महाराणा कुंभा ने पुजारी को यह सब तीन दिन में सिद्ध करने को कहा, अन्यथा सज़ा  देने को कहा। पुजारी ने अठ्ठम तप स्वीकारा व प्रभु के सक्षम आसान लगा दिया । 

पुजारी की असीम दृढ़ता से तीसरे दिन रात्रि में अधिष्ठाता देव भैरव जी ने प्रत्यक्ष होकर आशीर्वाद दिया । सुबह पुजारी महाराणा को प्रभु मंदिर ले गया । मुख्य द्वार खुलते ही सभी को दाढ़ी-मूंछ सहित प्रभु प्रतिमा के दर्शन हुए । सभी आश्चर्यचकित हुए ओर अभिवृदित भाव से सभी नतमस्तक हुए । मगर हास्य व्यक्त करने वाले उसी हजूरिये ने शंका व्यक्त की ओर वास्तविकता का पता लगाने हेतु प्रभु प्रतिमा के मूंछ का एक बाल खींचा, जिसमें से दूध की धारा प्रवाहित होने लगी ओर हजुरिया आशातना से गिरकर तड़पने लगा, सभी आश्चर्य से कांपने लगे ।पुजारी से यह आशातना सहन न हुई और उसने हजुरिये को श्राप दिया की 'जा तेरे वंश मे सात पीढ़ी तक दाढ़ी-मूंछो रहित पुरुष होंगे। उदयपुर के रहने वाले उस हजुरिये के परिवार में कई पीढ़ियो तक दाढ़ी-मूंछो रहित पुरुष पैदा हुए । आज तक यह परिवार 'नमूछिया' नाम से प्रसिध्द हैं, इसी चमत्कार से की वजह से प्रभु श्री मुछाला महावीरजी के नाम से प्रसिद्ध हुए ।

 पाली जिले के घाणेराव से 6 किमी. की दूरी पर स्थित यह तीर्थ राणकपुर, नारलाई, नाडोल और वरकाणा के साथ "गोडवाड़ की पंच तीर्थी" बनती हैं।उदयपुर से 120 किमी. देसूरी से 12 किमी. राणकपुर से 25 किमी. घाणेराव से 6 किमी. फालना से 40 किमी. की दूरी पर स्थित है।

व्यवस्था संचालन - शेठ आणंदजी कल्याणजी, मुछाला महावीर तीर्थ, घाणेराव, जिला पाली (राज.) 306704

📱99280 20698 /  81047 87314

श्री मुछाला महावीर जैन भोजनशाला

📱93149 89196 / 86963 56124

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