मेडिकल एडमिशन नीति में बदलाव जरूरी है

ईडियन मेडिकल एसोसिएशन का सुझाव


आइएमए दे रहा ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा 'चलो गांव चले' योजना शुरू की गई है। इसके अनुसार संस्था की दो हजार शाखाओं द्वारा गांवों को गोद लिया जा रहा है। एसोसिएशन के विशेषज्ञ डॉक्टर उन लोगों के दरवाजे पर जा रहे हैं जो गांव में चिकित्सा सेवाएं नहीं दे सकते हैं और उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।यह जानकारी एसोसिएशन के महाराष्ट्र अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कुटे ने दी।

भायंदर :- सरकार की चिकित्सा शिक्षा नीति ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैयारी की कमी एक प्रमुख कारण है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पत्रकार परिषद में यह राय व्यक्त की।उन्होंने कहा कि इसे सरकार द्वारा बदलने की जरूरत है। संस्था की ओर से सम्मेलन मेडिकॉन 2023 का आयोजन मीरा रोड में किया गया। इस कांफ्रेंस में प्रदेश भर से विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हुए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा उपचार में बदलाव, सर्जरी, लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, नई दवाओं, नए एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग आदि जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।

मेडिकॉन 2023 का आयोजन मीरा भायंदर शाखा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. रवि वानखेडकर ने कहा कि हमेशा यह रोना रोया जाता है कि विशेषज्ञ डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जा रहे हैं उसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के विशेषज्ञ चिकित्सको के लिए बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारण है व इसके लिए सरकार की चिकित्सा शिक्षा नीति भी जिम्मेदार है। इस नीति में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। यह स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। अब हर जिला स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं।

डॉ. रविंद्र ने कहा कि वर्तमान में भारत मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग जैसे बीमारियों का हब बन गया है. समाज के हर वर्ग में इन बीमारियों के मरीज हैं, जिन्हें इन बीमारियों से संबंधित दवाओं का निरंतर प्रयोग करना पड़ता है. इन दवाइयों के गुणवत्ता और रेट (दर) पर सरकार को नियंत्रण करना चाहिए. ऐसे बीमारियों की तकनीकी, विश्व स्तर पर मेडिकल के क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे उल्लेखनीय दवाओं पर सब्सिडी दी जानी चाहिए, देश में होने वाली नई-नई शोध, नए नियमों कार्यों में अपने-अपने ब्रांच के उपलब्धियों में प्रतिवर्ष 40% मरीज़ इन बीमारियों से आदि के बारे में समय-समय पर सदस्य की जानकारी सभी सदस्य तक ग्रस्त पाए जाते हैं।

मरीजों का शोषण रोकने का प्रयास

निजी कारपोरेट अस्पतालों द्वारा मरीजों के आर्थिक शोषण को रोकने के लिए संस्था की ओर से बताया गया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जिला स्तर पर आम लोगों को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल शुरू करने की पहल की है।

परिजनों को नहीं मिला मुआवजा

डॉ. जयेश लेले ने बताया कि कोविड काल के दौरान आईएमए के करीब 2 हजार सदस्य डॉक्टर की मरीजों का ईलाज करने के दौरान मौत हो गई, लेकिन सरकार द्वारा घोषित की गई मुआवजा राशि अभी तक उनके परिजनों को नहीं मिली है।डॉ. शिवकुमार उत्तरे ने आईएमए के बारे में जानकारी देते हुए बताया की इस संस्था में महाराष्ट्र स्तर पर 48,500 सदस्य हैं और 250 ब्रांच हैं।

रिक्शा चालकों की महत्वपूर्ण भूमिका

आइएमए के महाराष्ट्र अध्यक्ष रविंद्र कुंटे ने कहा कि मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में रिक्शा चालकों की अहम भूमिका होती है। इसके लिए रिक्शा चालकों को हृदय संबंधित सीपीआर प्रशिक्षण दिया जा रहा है और संघ 24 हजार रिक्शा चालकों को प्रशिक्षण देने जा रहा है.

इस अवसर पर डॉ. अशोक आधव, डॉ. जयेश लेले, डॉ. शिवकुमार उत्तुरे, डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. राखी अग्रवाल आदि मौजूद थे।




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