आज के दौर में गांधी के सिद्धान्त

बदलाव का दौर बनिये जो आप देखना चाहते हो 

- प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री


गां
धी केवल व्यक्ति नही, आत्मा और शरीर नही बल्कि एक मानसिकता है। वह मानसिकता जो स्वयं बने। जिन्होंने अपनी जिंदगी के साथ प्रयोग करके अपने सिद्धान्त को जागरूक किया। जिन्होंने विकारो के दैत्य से सामना करके अपने सत्य को जाना। सत्य , अहिंसा, सर्वोदय तथा सत्यग्रह जैसे हथियार की खोज की। प्रार्थना, सदाचार , सदा जीवन और उच्च विचारो से संसार को नई पाठ सिखलाई। आज कोरोना के बाद की स्थिति को देख कर तो यही लगता है कि गांधी जी के विचारो पर और भी काम करने की जरूरत है।

अनंत काल से मनुष्य इस पृथ्वी पर अलग अलग युग मे रहता आ रहा है। अच्छी बातों को जानने और उसे अमल करने में बहुत कम लोग सफल हुए। जिन्होंने उस बात को जागृति से जाना, समझा और अमल किया वह सफल बने। लोगो के लिए आदर्श बने। 

 सफलता का सिंद्धान्त

मैं स्वयं सफलता के सिंद्धान्त का खोजी रहा हूँ। बहुत सी किताबो का अध्ययन किया। पढ़ा, समझा लेकिन कंही न कंही सारे व्याख्या अधूरे लग रहे थे। आखिर एक दिन वह सिंद्धान्त महात्मा गांधी की पुस्तक से मिल ही गयी। 

इंसान जो सोचता है, महसूस करता है, बोलता है और  वही करने लगे तो सफ़ल हो जाता है। माइंड, फीलिंग, सोल और बॉडी का अलाइन्मेन्ट। 

- शांति की खोज

गांधी का युद्ध महायुद्ध था। बिना हथियार के। साथ थे तो सत्य और अहिंसा। इसी के बलबूते पर उनकी असत्य के साथ सत्यग्रह आंदोलन चल रहा था। सबसे बड़ी बात अध्यात्म का प्रयोग कर वह ऐसे ही माहौल  में शांति से रहते। शांत रहकर उन्होंने पूरे संसार को हिला कर रख दिया था। 

- आत्मनिर्भर और स्वदेशी को बढ़ावा

महात्मा गांधी का खादी आंदोलन 1918 में इस विचार को बढ़ावा देने के लिए शुरू हुआ था कि भारतीय उच्च लागत वाले विदेशी कपड़ों पर भरोसा किए बिना स्थानीय संसाधनों के साथ अपने स्वयं के कपड़ों का उत्पादन कर सकते हैं। आज के तारीख में जंहा हम ग्लोबल विलेज में रह रहे है वहां वंही हमारे बनाये " मेक इन इंडिया " का प्रचार प्रसार होना जरूरी है।  गांधी जी इस बात तो आजादी से पहले ही समझ गए थे कि "आत्मनिर्भरता और स्व-शासन" से ही भारत सक्षम बनेगा। 

- जबरजस्त आत्मशक्ति और आत्मविश्वास 

गांधी जी के पास कुछ  भौतिक रूप से ज्यादा कुछ नही था। फिर भी आत्मशक्ति कूट कूट के भरी थी। यह शक्ति उन्हें उनके सत्य प्रयोग से प्राप्त हुआ था। आज का बेरोजगार युवा, नया स्टार्टअप या कोई उद्योजक थोड़ा भी असफल होता है तो वह डगमगाने लगता है। आत्मविश्वास को बढ़ाये। कुछ है या नही, लोग साथ है या नही, सामग्री है या नही, जीत में हार में विश्वास से भरे रहे।

- एक निडर लीडर

महात्मा गांधी कहते थे कि कायर कभी माफ नही कर सकते। केवल बहादुर लोग ही माफ कर सकते है। महात्मा गांधी ने यह भी संदेश दिया कि हर दिन सोने से पहले अपने क्रोध का अंत करके सो जाओ। आज भी कॉरपोरेट जगत में गांधी के सिंद्धान्त को अपनाया जाता है। गांधी के सत्य, सादगी और कड़ी मेहनत के सिद्धांतों का पालन करने से भारत को विकसित करने और बाधाओं से बहादुरी के साथ लड़ने में मदद करती रहेंगी।

उनके विचारो पर चलना आज के दौर में थोड़ा कठिन जरूर हो सकता है लेकिन उस सिंद्धान्त के साथ जीना आसान हो जाता है। 

(लेखक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु हैं) 

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