साधु - साध्वीजी भगवंतों को मिलते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
सभी जैन संघों में गुरु भगवंतों के चातुर्मासिक प्रवेश हो चुके है । चरित्र आत्माओं की सुरक्षा हेतु श्रावक,श्राविका भी चातुर्मास में निम्न बातों का ध्यान रखें -
(1) हाथों को Sanitize करके ही भवन में उपर चढे।
(2) भवन में मास्क लगाकर ही प्रवेश करें।
(3) संत सतियों के चरण स्पर्श बिल्कुल नहीं करें एवं उनसे एक मीटर की दूरी बनाकर ही धर्म चर्चा करें।
(4) भवन में बैठते वक्त भी परस्पर दूरी बनाये रखें।
(5) जहां तक संभव हो, भवन की चीजों को छुने से बचाव रखे यथा गेट, खिडकी, सीढ़ियों की ग्रिल, आदि।
(6) धर्म लाभ लेने वाले बंधु, हो सके तो अपना आसन स्वयं घर से लाएं ताकी अन्य बंधूओं द्वारा प्रयोग किए आसनों से संक्रमण से बचाव रहे।
(7) भवन से कोई पुस्तक लेनी हो तो आवश्यक होने पर ही छूएं या लें, हाथ Sanitize करने के बाद ही।
(8) स्वस्थ व्यक्ति ही गोचरी हेतु साथ जाए, मास्क लगाकर जाए, घरों से बाहर ही खडे रहे।
(9)आपके घर पर संत आएं तो अधिक सदस्य के हाथ न परोसें इस वक्त भावना से अधिक सुरक्षा आवश्यक है।
(10) भवन में अपने अपने धर्म उपकरण ही उपयोग में लें, दूसरों से उपकरण लेने देने से भी संक्रमण की संभावना बनी रहती है, अतः सावधानी रखें।
(11)सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित एवं लंबी बिमारी वाले व्यक्ति अपने घरों में रहकर ही धर्मअराधना करें।
(12) ग्रुप बनाकर दर्शन हेतु न जाएं, परिचितों ,यार, दोस्तों के साथ जाने के मोह एवं आदत को त्यागें।
स्थानीय संघ द्वारा बनाये नियमों का कड़ाई से पालन करें व करवाएं
(1) हाथों को Sanitize करके ही भवन में उपर चढे।
(2) भवन में मास्क लगाकर ही प्रवेश करें।
(3) संत सतियों के चरण स्पर्श बिल्कुल नहीं करें एवं उनसे एक मीटर की दूरी बनाकर ही धर्म चर्चा करें।
(4) भवन में बैठते वक्त भी परस्पर दूरी बनाये रखें।
(5) जहां तक संभव हो, भवन की चीजों को छुने से बचाव रखे यथा गेट, खिडकी, सीढ़ियों की ग्रिल, आदि।
(6) धर्म लाभ लेने वाले बंधु, हो सके तो अपना आसन स्वयं घर से लाएं ताकी अन्य बंधूओं द्वारा प्रयोग किए आसनों से संक्रमण से बचाव रहे।
(7) भवन से कोई पुस्तक लेनी हो तो आवश्यक होने पर ही छूएं या लें, हाथ Sanitize करने के बाद ही।
(8) स्वस्थ व्यक्ति ही गोचरी हेतु साथ जाए, मास्क लगाकर जाए, घरों से बाहर ही खडे रहे।
(9)आपके घर पर संत आएं तो अधिक सदस्य के हाथ न परोसें इस वक्त भावना से अधिक सुरक्षा आवश्यक है।
(10) भवन में अपने अपने धर्म उपकरण ही उपयोग में लें, दूसरों से उपकरण लेने देने से भी संक्रमण की संभावना बनी रहती है, अतः सावधानी रखें।
(11)सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित एवं लंबी बिमारी वाले व्यक्ति अपने घरों में रहकर ही धर्मअराधना करें।
(12) ग्रुप बनाकर दर्शन हेतु न जाएं, परिचितों ,यार, दोस्तों के साथ जाने के मोह एवं आदत को त्यागें।
स्थानीय संघ द्वारा बनाये नियमों का कड़ाई से पालन करें व करवाएं
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