कवियत्री डॉ. शाकुन्तल पांडेय का निधन

एक मिलनसार व्यक्तित्व
राष्ट्रीय कवि शाकुंतल पांडेय का निधन अत्यंत दुखद है.उनके जाने से साहित्य जगत ने एक अनमोल रत्न खो दिया हैं. राष्ट्रभाषा पुरस्कार के माध्यम से उन्होंने कई प्रतिभाओं को पहचान दिलायी. महादेवी वर्मा को वे अपनी प्रेरणा मानती थीं और उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत थी.अभी कुछ माह पूर्व उनसे फ़ोन पर बात हुई थी तब कहा था जल्द मिलेंगे दीपक,तब किसे पता था कि वह दिन फिर नहीं आयेगा. न मिलने का अफसोस हमेशा रहेगा.आपकी पंक्तियां हमेशा स्मृति में रहेगी.
दीपक आर जैन,
संपादक
पत्रकार सुभाष पांडेय / भायंदर
 ' राष्ट्रभाषा परिषद ' की अध्यक्षा डॉ. शाकुन्तल पांडेय का मीरा रोड के वोकहार्ड अस्पताल में आज दिनांक 2 जुलाई 2020 को निधन हो गया। शाकुन्तल पांडेय मूलतः मध्यप्रदेश के भोपाल जिला से हैं। उनके दो बड़े बेटे संजय एवं संदीप तथा दो बेटियां जिनमे एक रूपल समेत नाती-पोते भरा पूरा परिवार छोड़कर हमेशा के लिए पंचतत्वों में विलीन ही गयीं।
     गौरतलब है कि, हिंदी की प्रख्यात साहित्यकार डॉ. महादेवी वर्मा की शिष्या डॉ. शाकुन्तल पांडेय मुम्बई महानगर,मीरा-भायंदर उपनगर आसपास साल में कई बार साहित्यिक कवि-सम्मेलन, विचार गोष्ठी किया करती थीं। उनके कार्यक्रम में देश भर के तमाम नामचीन हस्तियां शरीक हुवा करती थीं। उनके अचानक निधन से हिंदी के साहित्यकारों , पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गयी हैं। हाल ही में विश्व मातृ दिवस पर उनके द्वारा प्रस्तुत रचना देखें :
संकल्प दीप 
आज रात चौखट पर
हम दीपक एक जलायेंगें
               शक्ति एकता की हम
               दुनिया को दिखलायेंगें
घोर अंधेरे में आशा की
किरणें भी मुस्कायेंगी
               संकल्प दीप की ज्योति से
               घर-घर रोशन हो जायेंगे

उक्त कविता की पंक्तियां हमे कोरोना से लड़ने की शक्तियां देती हैं। ' शक्ति की देवी ' कलम की जादूगर अचानक हम सबके बीच से यूं चले जाएंगी। ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था।

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