अंधकार को समाप्त करते है गुरु
गुरु पूर्णिमा पर विशेष:-
श्रीप्रकाश के जालुका
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
गुरु अर्थात जो अंधकार को समाप्त कर दे किंतु यह अंधकार वह नहीं जो अंधेरी रात में या अंधेरी गुफाओं में पाया जाता है, यह तो प्रतिक है हमारे अज्ञान का, अहंकार का, जिसका अपनी ज्ञानरूपी मशाल से हमारे गुरुओं ने अंत किया है।
गुरु की महिमा अनंत है अपार है कबीर दास जी ने लिखा है
सब धरती कागज करूं लेखनी सब बन राय । सात समुद्र की मसि करूं गुरु गुण लिखा न जाए।।
अर्थात समस्त धरती को कागज बना दिया जाए, समस्त वृक्षों की कलम बनाकर तथा सात समुद्र की मसि (स्याही) बनाकर लिखने पर भी गुरु की महिमा नहीं लिखी जा सकती।
गुरु तत्व हम सबके भीतर हैं आवश्यकता है तो उसे जागृत करने की ।आइए इस गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हम प्रण लें कि हम अपने अंदर के गुरु तत्व को जागृत करेंगे, साथ ही साथ हमारे अंदर के उस शिष्य को भी सदैव जागृत रखेंगे जो सीखने एवं स्वयं के उद्धार के लिए के लिए सदैव तत्पर रहें।
जय गुरुदेव।
लेखक माइंड एंड मेमोरी कोच ग्राफ़ोलॉजिस्ट( हैंडराइटिंग एंड सिगनेचर एनालिस्ट)】
Great sir!
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