असरदार पत्रकारिता के सारथि राकेश दुबे
हिंदी जिनके रोम रोम में बसी हैं
हिंदी पत्रकारिता की प्रत्येक विद्या में अपनी कलम चलानेवाले राकेश दुबे का जन्म उत्तर प्रदेश केजौनपुर जिले के विश्व विख्यात नेवढ़िया बाजार (हिमताज तेल) स्थित बहरी गांव में हुआ। 35 वर्षों से अधिक का पत्रकारीय अनुभव रखने वाले राकेश दुबे ने अपने कैरियर की शुरुआत 1985 में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में की,तब वे कॉलेज छात्र हुआ करते थे। पत्रकारिता की लगभग सभी विधाओं में काम कर चुके राकेश दुबे ने मुंबई से प्रकाशित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक जनसत्ता में सबसे अधिक 12 वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया। मुंबई से दैनिक प्रातः काल को प्रकाशित करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने बतौर सहायक संपादक कार्य किया।
इसके अलावा पत्रकारीय व साहित्य का लंबा अनुभव हैं जिसमे उप संपादक एवं संवाददाता – हिंदी साप्ताहिक प्रॉफिट (सन् 1986 से 1987 तक),उप संपादक एवं संवाददाता – राष्ट्रीय हिंदी पाक्षिक सूरज समाचार विचार (सन् 1987 से 1989 तक),संवाददाता एवं मुख्य उप संपादक – राष्ट्रीय हिंदी दैनिक जनसत्ता (सन् 1989 से 2000 तक),सहायक संपादक – हिंदी पाक्षिक पत्रिका उत्साह ज्योति (सन् 2000 से 2001 तक)स्थानीय संपादक – हिंदी दैनिक प्रातःकाल (सन् 2002 से 2004 तक),कार्यकारी संपादक – राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका संतुलन (सन् 2004 से 2007 तक),महाराष्ट्र ब्यूरो – राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका लोकमाया (सन् 2007 से 2011 तक),महाराष्ट्र ब्यूरो – राष्ट्रीय हिंदी दैनिक सन स्टार (सन् 2012 से अनवरत)कार्यकारी संपादक – हिंदी मासिक पत्रिका ज्वेल ट्रेड्स (सन् 2015 से अनवरत),संपादक – हिंदी वेब पोर्टल एवं अर्धवार्षिक पत्रिका साहित्य गंगा (सन् 2017 से अनवरत),देश के विभिन्न वेब पोर्टलों पर अनवरत स्तंभ लेखन के अलावा देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों दैनिक जागरण,जनसत्ता,नवभारत टाइम्स जैसे अनेक प्रतिष्ठित अख़बारों में समसामयिक लेख प्रकाशित हुए हैं।
उनके कुछ चुनिंदा विशेष लेखों, फीचर एवं विश्लेषणों का शीर्षक में विक्टोरिया टर्मिनस – भव्यता में नजाकत का नायाब नमूना,मलाई से मुन्ने के मखमल से साथी,एक ऐसे गगन के तले,हैलो अंकल मैं मोगली बोल रहा हूं,कटघरे में खिलौनों का संसार,स्वर में लिपटी भजन की पवित्रता,काम से बढ़ा कद – डॉ. मोहन पटेल (शिक्षाविद),बंबई के सड़कों से लुप्त होती विक्टोरिया,गोविंदा पर व्यावसायिकता का रंग गहराया,सुंदर लिखावट अच्छे व्यक्तित्व की निशानी,सूखी धरती प्यासे होंठ,बंबई का डिज्नीलैंड – ऐसलवर्ल्ड,काल और कला का आईना एलीफेंटा,याद के चांद दिल में उतरते रहे,चेतावनी – कम हो रही हैं महिलाएं,तो आप तैयार हैं आत्महत्या के लिए,आजादी के 48 साल बाद भी नहीं बदला भारतीय नारी का चेहरा,बच्चों के लिए कितने जरूरी हैं खिलौने,मनुष्य के रूप पर मार्क्सवादी विचारधारा,राजस्थानी विद्यार्थी गृह – जहां सपने होते हैं साकार,शरीर के लिए नुकसानदेह है विदेशी कपड़ा,सिकुड़ गया है कपड़ा बाजार में निवेश,बदरंग हो रही है फैशन स्ट्रीट के हॉकरों की जिंदगी,जहां अब मौत के बाद का सन्नाटा है,बिना टांके जख्म भरने की तकनीकलीलावती – मुंबई में बना एक अत्याधुनिक अस्पताल,कला प्रेमियों को फिर लुभाएगा आर्ट प्लाजा,कोलाबा में लालबत्ती गैंग का आतंक,हिंदी पुस्त
क प्रेमियों को निराश करेगा बांबे बुक बाजार आदि प्रमुख हैं.
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उनके लिए गए साक्षात्कार (इंटरव्यु) में मुंबई समेत देश की विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक हस्तियों का साक्षात्कार। जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव, तत्कालीन गृहमंत्री शंकरराव चव्हाण, तत्कालीन रक्षा मंत्री शरद पवार, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, भारतीय पत्रकारिता के अग्रज आर के करंजिया, प्रभाष जोशी, उद्योगपति विजयपत सिंघानिया, स्वाद की दुनिया के सिरमौर सतीश अरोरा, सत्य साईं बाबा (सत्यनारायण राजू), मानस मर्मज्ञ रामकिंकर उपाध्याय, ख्याति प्राप्त डायलॉग लेखक राही मासूम रजा, मशहूर नाटककार विजय तेंडुलकर, गायक शब्बीर कुमार, भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता राकेश पांडेय, कुणाल, रवि किशन, मनोज तिवारी, मार्शल आर्ट की दुनिया की एक अहम शख्सियत शिनसाई परवेज मिस्त्री, भारत माता मंदिर के संस्थापक सत्यमित्रानंद गिरि, योगाचार्य महावीर सैनिक, अपराध की दुनिया के डॉन हाजी मस्तान, अरुण गवली, रामानंद सागर के मेगा सीरियल रामायण और बी आर चोपड़ा की महाभारत के लगभग सभी पात्रों, लेखक, निर्देशक, संवाद लेखक, बॉलीबुड की तमाम हस्तियों, पार्श्वगायक आदि इत्यादि का समावेश हैं.
सबसे विशेष भारतीय जनता पार्टी के 2006 में मुंबई में आयोजित तीन दिवसीय रजत जयंती अधिवेशन की संपूर्ण कवरेज, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था – अंधेरा छटेगा – सूरज निकलेगा – कमल खिलेगा... उनकी यह बात 2014 में चरितार्थ हुई.
जनसत्ता की मशहूर साप्ताहिक पत्रिका सबरंग के लिए कई कवर स्टोरियों का लेखन, उनमें चुनिंदा छू लिया आसमान – उद्योगपति विजपत सिंघानिया के हैरतअंगेज कारनामों का विवरण,जेआरडी टाटा – सबसे बड़े व्यावसायिक घराने टाटा समूह के सीएमडी से मुलाकात और उनकी बातों का विश्लेषण,खेल खिलौने – देश के नौनिहालों के मूलभूत अधिकार पर पैनी नजर,क्राय – बच्चे पुकारते हैं – अनाथ और बेसहारा बच्चों को सहारा देनेवाली संस्था पर फोकस,मुंबादेवी – बंबई की कुलदेवी मुंबादेवी पर विशेष कवरेज,
इसके अलावा महालक्ष्मी मंदिर, इस्कॉन, हाजी अली, माहिम दरगाह, हाजी मलंग और मुंबई के विभिन्न गुरुद्वारों तथा विविध धार्मिक स्थलों पर फोकसपारसिका – पारसी समुदाय के लोगों का जीवन और उनके अतुलनीय योगदान की जानकारी,मुंबई के सुरक्षा रक्षक – सुरक्षा रक्षकों की दशा और दिशा पर पैनी नजर,
मुंबई के शिक्षा संस्थान – मुंबई विश्वविद्यालय, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय के साथ ही एमडी शाह महिला कॉलेज, एमडी कॉलेज, हिंदुजा कॉलेज, केसी कॉलेज, रॉयल कॉलेज समेत विभिन्न महाविद्यालयों तथा अनगिनत विद्यालयों की कवरेज आज भी स्मरणीय हैं.
दुबे ने पिछले लगभग 30 वर्षों से देश के विभिन्न दर्शनीय, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और पर्यटन स्थलों पर आओ घूमने चलें नामक स्तंभ, देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में समसामयिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक पहलुओं पर लगातार लेखन. राष्ट्रीय दैनिक जनसत्ता के साप्ताहिक स्तंभ चौपाटी और उसी की तर्ज पर दैनिक प्रातःकाल के चौबारा में कई वर्षों तक अनवरत लेखन किया हैं और यह आज भी विभिन्न पत्रिकाओं में अनवरत जारी हैं.
देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख, संस्मरण, रिपोर्ताज, साक्षात्कार, सत्य घटनाओं पर आधारित कहानियां प्रकाशित, इनमें प्रमुख हैं -
साप्ताहिक हिंदुस्तान,सरिता,मुक्ता,गृहशोभा,मनोहर कहानियां,संतुलन,लोकमाया प्रमुख हैं. प्रिंट मीडिया के अलावा आकाशवाणी - पिछले 34 वर्षों से वार्ताआज की सबसे बड़ी समस्या – पर्यावरण प्रदूषण,इंदिरा गांधी और गुट निरपेक्षता,विश्व का बदलता अर्थतंत्र,बाजार व्यवस्था में आम आदमी,बच्चों के लिए पोषाहार योजना,छठ पूजा का महत्व,भारतीय ग्राहक दिवस,वृक्षारोपण कार्यक्रम और हमारा दायित्व,टीआरपी से प्रभावित समाचार जगत,डिजास्टर मैनेजमेंट और हमारा दायित्व,विकास योजनाएं और सामाजिक न्याय
सद्भावना दिवस,बजट 2006 पर पैनी नजर,साक्षरता का अर्थ के अलावा आकाशवाणी के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी
समन्वित ग्रामीण विकास योजना – स्वच्छता अभियान,फ्लैगशिप प्रोग्राम – राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन,बच्चों के सर्वांगीण विकास की योजना,आज के परिवेश में जागरूक मतदाता
इस तरह के महत्वपूर्ण और अनछुए पहलुओं पर रेडियो वार्ता के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रदान कर इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए अपने स्तर पर योगदानके सिवाय
आकाशवाणी के लिए कई रूपक और रेडियो फीचर का निर्माण, जिनमें मुख्य हैं –रूपक – बसेरा तथा रेडियो फीचर में मौन की दुनिया – (मूक – बधिरों पर फोकस) - रापा पुरस्कार प्राप्त व जिंदगी की शाम – मुंबई के वृद्धाश्रमों पर फोकस यादगार हैं. साथ ही साथ दूरदर्शन पर सन् 1989 में भाई – बहन के पवित्र रिश्ते से जुड़ा त्योहार रक्षा बंधन पर आधारित लाइव परिचर्चा का हिस्सा बने. न्यूज चैनल पर सन् 1994 में सिटी केबल पर प्रतिदिन सुबह दिखाए जाने वाले शो मार्निंग हेडलाइन शो का अनवरत लगभग एक वर्षों तक निर्माण, संपादन एवं प्रस्तुतिकरण हैं.
राजभाषा हिंदी पर मुंबई और देश के विभिन्न शिक्षा संस्थानों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों में हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी माह के उपलक्ष्य में आयोजित हिंदी कार्यशालाओं में हिंदी भाषा, हिंदी व्याकरण, सरकारी कार्यालयों में हिंदी में काम करने के आसान तरीके आदि विषयों पर समय – समय पर व्याखान देकर संघ की राजभाषा हिंदी के प्रचार – प्रसार एवं विकास की दिशा में अपने दायित्व का निर्वाह. इसके साथ ही विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि, सम्माननीय अतिथि, कार्यक्रम प्रस्तोता, संचालक आदि की भूमिका प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. .
पत्रकारिता और अनुवाद
मुंबई के नामी केसी कॉलेज के स्नातकोत्तर पत्रकारिता पाठ्यक्रम को शुरू करने में अहम भूमिका.
लगातार दो वर्षों तक व्याख्याता के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन
मुंबई की एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के साथ – साथ अनुवाद विषय पर पिछले कई वर्षों से अतिथि व्याख्याता के तौर पर उपस्थिति
पुस्तक, संपादन और प्रकाशन
सुदर्शनम,दर्शन कृपा,एक संत – एक राष्ट्र,शिखर पुरुष – कनकराज लोढ़ा,हिंदी पत्रकारिता – सरल परिचय (मार्गदर्शन एवं सहयोग)अंतर – एक विश्लेषण,बाबा लौहार देव – अतीत और वर्तमान,मेरे हमदम – पुस्तक का प्रकाशन
देश के विभिन्न वेब पोर्टलों पर स्तंभ लेखन (कुछ चुनिंदा शीर्षक)
संतों की भूमि भारत में मंदिर बंद, खुले मदिरालय,बैर बढ़ाते मंदिर - मसजिद, मेल कराती मधुशाला,कोरोना काल में इतने मजबूर क्यों हैं मजदूर,गांव बुलाता है, मां रोती है,फिर उड़ चला जहाज,संकट से जूझती भारतीय भाषाएं,कहां से चली और कहां पहुंच गई हिंदी पत्रकारिता,कमाऊ पूत मौसी के घर, बेघर अपने घर,कैसे बचेंगी भारतीय भाषाएं,उन्नीस नदियों के सहारे यूपी आए मजदूर बेचारे,भारत को भारत ही रहने दें,दिल्ली बचाओ – दिल्ली बची तो सब कुछ बचेगा,मौलिक अधिकार नहीं तो खत्म क्यों नहीं होता आरक्षण,किसकी नजर लग गई मुंबई पर,तमाम उपलब्धियां भी खुदकुशी से नहीं रोक पाईं सुशांत सिंह राजपूत को,क्या हो गया है मुंबई को,आज जैसी है वैसी कभी न थी मुंबई,अब तो डराने लगी है मुंबई
सम्मान एवं पुरस्कार
पत्रकारिता के क्षेत्र में अमूल्य और विशिष्ट योगदान के लिए विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित कर पुरस्कार प्रदान किये है जिसमे समाज गौरव सम्मानउत्तर भारतीय रत्न सम्मान,प्रतिभा सम्मान,कारगिल युद्ध के महानायक कर्नल ललित राय के हाथों विशिष्ट सम्मान,टेपाश्री सम्मान – व्यंग्य विधा हेतुरोटरी क्लब – पत्रकारिता सम्मान
लायंस इंटरनेशनल – पत्रकारिता सम्मान,इसके अलावा देश की विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और धार्मिक संस्थाओं द्वारा समय – समय पर सम्मान
असरदार पत्रकारिता से समाज को नई दिशा देनेवाले व्यक्तित्व को सलाम
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