आचार्य श्री गुणरत्न सूरीश्वरजी की गुणानुवाद सभा

त्रिदिवसीय कार्यक्रम 26 जुलाई से


भायंदर :-
परम पूज्य 451 दीक्षा दानेश्वरी सुरि प्रेमलब्धप्रसाद आचार्य श्री गुणरत्न सूरीश्वरजी महाराजा की चौथी वार्षिक पुण्यतिथि के अवसर पर त्रिदिवसीय गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया है।

श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय जैन संघ के तत्वावधान में 26 से 28 जुलाई तक धर्म आराधना भवन, भायंदर (वेस्ट) में परम पूज्य आचार्य श्री संयमरत्न सूरीश्वरजी म.सा.पंन्यास प्रवर श्री हीररत्न विजयजी,पंन्यास प्रवर श्री चारित्ररत्न विजयजी म.सा.आदि ठाणा की निश्रा में सुबह 9 बजे से होंगे।

चारित्ररत्नजी ने बताया कि इस अवसर पर सभी संघों में बिराजमान साधु - साध्वीजी भगवंतों को आमंत्रित किया गया है।28 जुलाई को सामुहिक आयंबिल तप की आराधना होगी।ज्ञात हो 1932 में राजस्थान के पारली, जिला जालौर में हुआ था. दीक्षा दानेश्वरी आचार्य सांसारिक नाम गणेशमल हीराचंद था। उनके पिता हीराचंद जेरूपभाई और माता माता मनुबाई हीराचंद थीं। विक्रम संवत 1989, पोष सुद 4, ई. सन 1932 में पादरली, जिला जालोर, राजस्थान में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने विक्रम संवत 2010, महा सुद 4, ई. सन 1954 में मुंबई में आचार्य विजय जितेन्द्र सूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली और बड़ी दीक्षा विक्रम संवत 2010, महावद 7, ई. स 1954 में मुंबई में ली थी। उनको सन 1985 में अमदाबाद में गणि पद, पंन्यास पद सन 1988 में जालोर राजस्थान में प्राप्त हुआ।

1988 में उन्होंने आचार्य पद पादरली, राजस्थान में प्राप्त किया था। 21 वर्ष की युवास्था में उन्होंने सगाई छोड़कर कर दीक्षा ली थी। श्री जीरावला तीर्थ में 3200 व्यक्तियों की सामूहिक चैत्री ओलीजी की आराधना की। आचार्य 28 युवक- युवतियों की सूरत में, 38 युवक-युवतियों की पालिताणा में सामूहिक दीक्षा के साथ अभी तक कुल 451 दीक्षाओं के दीक्षादाता रहे। श्री शंखेश्वर महातीर्थ में 4700 अठ्ठम और 1700 आराधकों का ऐतिहासिक उपधान तप का श्रेय भी उन्हें है। इसके अलावा पालिताणा घेटी की पाग के बीच 2200 आराधकों की नव्वाणं यात्रा की उपलब्धि है। वहीं सूरत दीक्षा में 51000, पालिताणा दीक्षा में 52000 और अमदाबाद में 55000 युवाओं की समूह सामायिक का श्रेय भी है। आपके शिष्य परिवार में आचार्य रविरत्नसूरी, आचार्य रश्मिरत्नसूरी, आचार्य पुण्यरत्नसूरी, आचार्य यशोरत्नसूरी, आचार्य जिनेशरत्नसूरि आदि शामिल हैं।




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