विश्व के दिवट पर जगमगाता ज्योति दीप है- भारत

 अतुल्य भारत

"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" 
                      
 मुनि भरत कुमार

भारत एक प्राचीन भूमि है इस की महानता के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है।भारत देश सभी देशों के लिए आकर्षण का विषय रहा है इस देश की संस्कृति रीति नीति परंपरा कलाकृति प्रत्येक राज्य के त्यौहार रहन-सहन खान-पान व भाषा विशेष आकर्षण का विषय था, है, और रहेगा। क्यों है भारत देश का अतुल्य कुछ बिंदुओं पर ध्यान दें संस्कृत साहित्य में भारत देश की संस्कृति के बारे में सुंदर चित्रण किया गया है
 
शांत तुष्टं पवित्र॑ च, सानंदमिति तत्वतः ।।
 जीवनं जीवनं प्राहु, भारतीय सुंस्कृतौ ।।

अर्थ :- भारतीय संस्कृति में उस जीवन को श्रेष्ठ जीवन माना गया है जिसमें शांति,संतुष्टि , पवित्रता, एवं आनंद हो 
 
१. शांत संत जीवन का आधार- भारतीय संस्कृति का श्रंगार

भारत देश में है ऋषि संत
 जीवन में है अमम्य‌ आनंद।

 भारतीय परंपरा में ऋषि-मुनियों व संत सन्यासी का आकर्षण चक्रवर्ती, वासुदेव, सम्राट, राजा, महाराजा,मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व आम जनता सभी में दर्शन सेवा व आशीर्वाद का महत्व रहा है। ऋषि मुनियों के द्वारा हर एक जन मानस में नूतन संस्कारों का बीजारोपण सदैव होता रहा है। समाज व राष्ट्र में आने वाले असद संस्कारों को बचाने के लिए संत - संन्यासियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुनि गुरु व महंत ने भारतीय संस्कृति के गौरव को गौरवान्वित किया है ऋषि मुनियों के अव्वल नामों में गुरु नानक, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, कबीर, चाणक्य, भरत, भगवान ऋषभ, भगवान महावीर ,गुरु हेमचंद्रचार्य ,संत भिखण, गुरु तुलसी व महात्मा महाप्रज्ञ। वर्तमान में अनेकानेक संत मुनि अपनी वाणी लेखनी व कृतत्व, सौम्य व्यक्तित्व से जनमानस की सेवा में अहर्निश लगे हुए हैं।
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी, आचार्य विद्या सागर जी, संत ललित प्रभ जी, शिव मुनि जी, व स्वामीनारायण , श्री रविशंकर जी , आदि शंकराचार्य, डॉ सय्यदनासाहब, संत ऋषि परंपरा का महत्व बढ़ा रहे हैं उनके सज्जनत्व व अध्यात्म के धरोहर को यह धरती हमेशा स्मृति में रखेगी।

२. अनेक मजहब - एक हैं सब

भारत देश में धर्म की विभिन्नता हैं। अपने धर्म को अच्छा व दूसरे धर्म को बुरा, हीन बताने पर झगड़ा ,टंटा, लड़ाई आदि पर शांति कैसे रहे, भारत को तो शांति का सूचक माना गया है। इसीलिए अनेक धर्मों के लोग इस देश में शांति अमन व सुख से रहते हैं, कारण है अपने अपने धर्म गुरु अपने अनुयायियों को महत्वपूर्ण शिक्षा देते हैं।
अपने धर्म का पालन करते हुए दूसरे धर्म का आदर करो सम्मान करो।* गणाधिपति श्री तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ ने अणुव्रत के माध्यम से सर्वधर्म सम्मेलन-सर्वधर्म सद्भाव आदि कार्यक्रम कर अमन शांति व सुख को बढ़ावा दिया है, विकास हुआ है।
वर्तमान में धर्मगुरु महा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में सर्वधर्म सद्भाव कार्यक्रम में बौद्ध, सिख, ईसाई, ब्रम्हाकुमारी, मुस्लिम, बोहरा ,हिंदू ,जैन व स्वामीनारायण आदि धर्म के अनुयायियों ने शिरकत कर *अनेक मजहब - एक है सब, भगवान की दिशा में आगे बढ़े और सर्व धर्म सद्भाव को सफल बनाया है।

३. अनेक परंपरा - त्योहारों की धरा एकमात्र भारत देश है जहां पर हर रोज कुछ ना कुछ कार्यक्रम त्योंहार, व्रत, संस्कृति, पर्व होते रहते हैं। 1 वर्ष में 360 - 365 दिन होते है पर भारत वर्ष भर में त्यौहार 360 - 365 से ज्यादा होते हैं। कुछ परंपरा, मान्यता, मर्यादा, जन्म जयंती, आदि सभी की अलग-अलग चिंतन मंथन होने के कारण पर्व मनाए जाते हैं। जैसे महापुरुषों की जयंती, होली, दिवाली, चतुर्मास प्रारंभ - संपन्नता, रक्षाबंधन , संवत्सरी ,कुंभ मेला, वसंत पंचमी, मर्यादा महोत्सव ,लाभ पंचमी, मकर सक्रांति, रथयात्रा, ईद- रमजान,गणेश चतुर्थी ,नवरात्रि, दस लक्षण, गरबा, दुर्गा पूजा , छठ पूजा ,दशहरा ,गुड़ी पाड़वा ,आदि यह पर्व प्रमुखता से मनाए जाते हैं।

४. भारत एक - भाषा अनेक

 भारत हिंदू देश हैं । जन माननीय भाषा हिंदी है, पर हर प्रांत की भाषा, अलग-अलग बोली जाती है। एक सर्वे के अनुसार पता चला है, पूरे भारतवर्ष में 19500 से भी ज्यादा भाषा बोली जाती है। एक दोहे में कहां गया है- 
"१२ कोसा वाणी -बोली पलटे - वन फल पलटे पाका।
 जरा आया केश पलटें - लक्षण नहीं पलटें लाखा"।।

 कहने का तात्पर्य इतना ही है 12 कोस मतलब 36 से 40 किलोमीटर के बाद भाषा बदलती रहती है। भारत में भाषाएं हिंदी, मराठी, तेलुगू, उड़िया, मारवाड़ी, बंगाली, असम, गुजराती ,मलयालम, पंजाबी, हिंदी ,तमिल, आदि अनेक 22 भाषाएं प्रमुखता से बोली जाती है।

५. अलग-अलग खानपान - पहनावे से बड़ी शान

भारत जहां में जितनी संस्कृति उतनी ही पहनावे की आकृति। भारत के हर क्षेत्र में विभिन्नता लिए हुए है। रहन-सहन, खान-पान, गान भाषा संस्कृति आदि विभिन्नता के लिए प्रसिद्ध है। हर प्रांत का मजा अलग है जहां पर यात्री जाकर उस संस्कृति का आनंद लेते हैं। जैसे गुजरात का खान पान में ढोकला व पहनावे में चनिया चोली है। क्रोनो केडीयु काठियावाड़ी ड्रेस, राजस्थान का खानपान दाल, बाटी,चूरमा तो पहनावा पगड़ी साफा, धोती, कुर्ता अंगरखा। कर्नाटक में खानपान में बिसमिला भात, पांची शर्ट, मैसूर बेटा साड़ी। उड़ीसा खानपान चन्ना पोडा, रहन सहन में धोती कुर्ता गमछा सलवार कमीज, महाराष्ट्र में पूरण पोली व मिसलपाव, धोती व ९ वार साड़ी, लुगड़ा, कुर्ता आदि सभी प्रांतों की विशेषता रहती है 28 राज्य व 8 केंद्र शासित राज्य की विशेषता रही है जहाँ पर अधिकतर भात चावल प्रधान व पहनावे में धोती व साड़ी प्रधान रही है।

६. आयुर्वेद का वरदान - भारत देश महान

 पुराने जमाने में भारतवर्ष ऋषि सन्यासी हिमालय, गुफा, जंगल पहाड़ आदि पर साधना करते थे घर से दूर उस समय स्वास्थ्य की चिकित्सा कौन करे। कौन ध्यान देवे। भारत में धनवंतरी का जन्म इसलिए हुआ कि आयुर्वेद का विज्ञान भारत देश से ही प्रसिद्ध हुआ है। आयुर्वेद से हर व्यक्ति स्वास्थ्य का लाभ ले सकते हैं पेड़ पौधे से दवाई का निर्माण होता है इसका दवाई का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है भारत देश के लिए यह वरदान ही है।

७. भारत देश को मिला विश्व गुरु का दर्जा

 इस महान भूमि पर धर्मगुरुओं ने शिक्षा, समीक्षा , परीक्षा अध्यात्म व संस्कार की शिक्षा दी जाती हैं। उसका परिणाम यह हुआ भारत को विश्व गुरु बनने में अहम भूमिका निभाई गई है। संस्कृत- धर्म-संस्कार-संस्कृति जीवन दर्शन ने अहम पहलु हैं। इस अहम पहलुओं को समझाना व सिखाना तक्षशिला विश्वविद्यालय व नालंदा यूनिवर्सिटी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पायथो गोरस भी यहीं से पढकर पूरे विश्व में विख्यात हुआ। इस युनिवर्सिटी में पढ़ने विदेशों के लोग आते थे। वहां पर व्याकरण राजनीति, वेद- वेदांत, धर्म, संस्कृत, अर्थशास्त्र व युद्ध विद्या जैसे ६० से भी ज्यादा विद्याओं का अध्ययन कराया जाता था। अनेक विदेशों में भारत की संस्कृति सभ्यता दर्शन रहन-सहन देखने को मिलती हैं। इसीलिए भारत विश्व गुरु हैं।

८. भारत की उपलब्धियां* बढ़ाई व्यक्ति विशेष ने निधियां

 भारत जहां की कोई भी देश बराबरी नहीं कर सकता। इस देश ने सर्वांगीण विकास किया है। इस देश का बच्चा बुड्ढा जवान सभी जन भारत माता की जय हो ,वंदे मातरम ,कहीं नहीं है दूसरा हिंदुस्तान , हिंदुस्तान हमारा है। के नारों से बुलंद है। इस देश के गौरव को बढ़ाने में ऋषि मुनि तो है ही, साथ में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर, गूगल के निर्माता सुंदर पिचाई, विश्व कप को जीतने वाले सिकंदर एम एस धोनी है, गायिका लता मंगेशकर व आशा भोंसले, जावलिन थ्रो में जीतने वाले नीरज जैन व चैस विजेता विश्वनाथ आनंद, बैड मिन्टन में जीतने वाली पीवी सिंधु, टेनिस बॉल में गोल्ड मेडल जीतने वाली सानिया मिर्जा , अमेरिका में प्रबंधन को सुदृढ़ करने वाली कमला हसन ,पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट, दौड़ में अव्वल रहने वाली महिला पीटी उषा, मंगल ग्रह पर पहला यान पहुँचाने वाला भारत, चंद्र पर पहली महिला जाने वाली कल्पना चावला, जैन धर्म, बौद्ध धर्म का उद्भव भारत के भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, रविंद्र नाथ टैगोर, अमिताभ बच्चन ऐश्वर्या राय आदि ने लेखक ,कवि, गायक खिलाड़ी, अभिनेता, आदि *यह अतुल्य भारत की शान भारत देश महान*

९.शान्ति की पहल चल रही है- अविरल

शान्ति-शान्ति चाहने वाला सिर्फ भारत देश है। यह देश की नीति साफ है। चलाकर संघर्ष, आक्रमण,लड़ाई-झगड़ा व अशांति नहीं करना।
भारत देश को कहा गया 'सोने की चिड़िया' शान्ति की मशाल भारत। आज तक का इतिहास है महात्मा गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक कभी संघर्ष को बढ़ाया नही इसकी बजाय शांत करने में शक्ति का उपयोग किया।
जैन धर्म मे दर्शन पद्द्ति को भारत के प्रमुख नेता ने अपनाकर शान्ति की मिशाल कायम की है।
गुजरात मे रथ यात्रा का आयोजन था तब दंगे होने की संभावना थी। वहाँ मुख्यमंत्री नरेंद्र साहब व तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने शान्ति का संदेश दिया जिससे यह संभव हुआ। रथयात्रा अमन शान्ति से सम्पन्न हुई।

१०."आस्थाओं का महल- भारत में है अनेका अनेक धार्मिक स्थल"

 भारतवर्ष में अनेकानेक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,चर्च, भवन, उपाश्रय व भवन आदि है। जिसकी जैसी मान्यता धर्म की आस्था होती है उतनी ही धर्म करने के लिए स्थान होते हैं। एक सर्वे के अनुसार ज्ञात हुआ भारत में दो करोड़ से ज्यादा मंदिर है। तीन लाख से ज्यादा मस्जिद हैं। अतुल्य भारत में भाईचारे के कारण सभी मान्यताओं को लोग एक दूसरे के चर्च मंदिर मस्जिद में गुरुद्वारा देखने जाते हैं। इसीलिए अतुल्य भारती की सौगात है।

 ११. भारत में है अमूल्य विशेष दर्शनीय स्थल:-

भारत की साख हमेशा से रही है। यहां पर दर्शनीय व अतुल्य स्थान हैं। जिससे भारत का महत्व दिन 2 गुना चार चौगुना बढ़ रहा है। देश विदेशों से भारत को देखने के लिए लाखों की तादाद में लोग साल भर आते रहते हैं। और भारत को देखकर दाँतो तले उंगली दबाते है।
सभी यात्रियों को यह देखकर आश्चर्य होता है सभी कहते हैं- "ग्रेट इंडिया" द ग्रेट इंडिया जैसे प्रसिद्ध स्थल गेटवे ऑफ इंडिया, ताज महल, लाल किला, पुरी का जगन्नाथ मंदिर ,
गोल्डन प्लेस, अमृतसर का गुरुद्वारा , जयपुर का हवामहल, अजमेर की दरगाह ,जैन धर्म का सम्मेद शिखरजी तिर्थ, जैन विश्व भारती लाडनूं ,ख्वाजा साहब, जंतर मंतर दिल्ली, विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ कुतुब मीनार, मदुरई मीनाक्षी देवी का मंदिर, हैदराबाद का चारमीनार आदि इस कारण से भारत में हमेशा खुशहाली की डाली हरी भरी है। यह अतुल्य भारत अमूल्य हैं।

१२. अतुल्य भारत में- अणुव्रत का साथ

अतुल्य भारत की अस्मिता व शक्ति को और बढ़ाना हो, तो भगवान महावीर के तीन सिद्धांत अहिंसा, अनेकांत व अपरिग्रह को अपनाना होगा। 
 जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के अध्यात्म नेता आचार्य श्री तुलसी जिन्होंने संपूर्ण विश्व को संयम - सादगी का संदेश दिया उस संदेश का नाम है- अणुव्रत।
अणुव्रत छोटे- छोटे नियम हैं। इसे अपनाने से झगड़े लडाई समाप्त हो जाते हें।अणुव्रत जहाँ समाज की हिंसक और अनैतिक प्रवृत्तियों में सुधार ला रहा है,वही विद्यार्थियों में प्रमाणिकता का निखार लाता है। अणुव्रत का संदेश हैं - समस्त धर्मों का सम्मान करते हुए हम मानव जाति का गौरव बढ़ाए। 
अणुव्रत का स्वरूप है- मैत्री का अनंत प्रवाह।
  अणुव्रत के साथ जीवन विज्ञान- हम कैसे जीवन जीएं ।
प्रेक्षाध्यान- योग- ध्यान से हम अपनी बुरी आदत में परिष्कार करें। योग शरीर मन स्वस्थ रहे।
    इस त्रिवेणी से शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ पुष्ट हो सके।

" सुधरे व्यक्ति समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा"
का स्वर पूरे भारतवर्ष में गूंजेगा ।
वर्तमान में जैन श्वेतांबर तेरापंथ के शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी मानव जाति को स्वस्थ - मस्त - अलमस्त का संदेश देकर अतुल्य भारत की गरिमा को और बढ़ा रहे है।

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