मकर संक्रांति कब मनाई जायेगी 14 या 15 जनवरी ?

मकर संक्रांति कब मनाई जायेगी 14 या 15 जनवरी ? 

पंडित सुरेंद्र कटारे


कर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, जाप करने का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में अपनी यात्रा आरंभ करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इस बार मकर संक्रांति की तिथियों को लेकर उलझन है. आइये जानते हैं कि मकर संक्रांति इस बार 14 या 15 जनवरी मे से कौन से दिन है।

लोग इस बार भी मकर संक्रांति पर दो तिथियों को लेकर  उलझन में हैं. हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव एक राशि से दुसरी राशि मे प्रवेश करतें हैं. इस बार सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि मे  पञ्चाङानुसार 14 जनवरी की दोपहर  01 बजकर 56 मिनट पर गोचर कर रहें हैं. ज्योतिष के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे, तो इसी दिन पुण्यकाल रहेगा।

अब आतें हैं कि पुण्य काल इसी दिन क्यों और कब तक??

मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्य संक्रांति के समय से जो दोपहर 01:56 पर है उससे 16 घटी यानि (06 घन्टा 24 मिनट) पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है. इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 20 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो रात्रि को 8;बजकर 20 मिनट तक रहेगा. अतः मकर संक्रांति पर्व इस बार 

पौष शुक्ला द्वादशी तिथि वार शुक्रवार 14 जनवरी 2022 को होगी इस दिन स्वस्थ मन से स्नान, दान, जाप कर सकते हैं. 

मकर संक्रांति को क्या करें?

इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें.  संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. इस दिन शनि देव के लिए दिपदान  दान करना भी बहुत शुभ होता है.

(09004569837)

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