नित्यानंद सूरीश्वरजी का मेरठ में भव्य प्रवेश

उत्तरप्रदेश सरकार ने की सुरक्षा प्रदान


मेरठ :- 
हस्तिनापुर तीर्थ के तलहेटी मंदिर श्री शांतिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर जैन नगर मेरठ में गच्छाधिपति गुरुदेव आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म. सा. आदि ठाणा का मंगल प्रवेश बहुत ही धूम धाम से हुआ।

 उनके साथ मुनिराज श्री मोक्षानंद विजय जी म.सा. , मुनि श्री ज्ञानानंद विजय जी म. , मुनि श्री मोक्षयश विजय जी म. सा. आदि ठाणा पधारे। पांच वर्षों बाद गुरुदेव के आगमन से स्थानीय जैन समाज के लोगों में भारी उत्साह है । गुरुजनों के स्वागत और दर्शन के लिए अनेक शहरों से श्रद्धालुओं का भी आगमन हुआ। 

मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी महाराज ने बताया कि गच्छाधिपति जैनाचार्य ने 56 वर्षों के साधु जीवन में पूरे देश में करीब पौने दो लाख किलो मीटर की पद यात्रा की है । मात्र पौने नो वर्ष की अल्प आयु में अपने माता पिता और दो बड़े भाइयों के साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश के बड़ौत नगर में जैन दीक्षा अंगीकार करके साधु जीवन ग्रहण कर लिया था । 

जैनाचार्य के काफी वर्षों बाद उत्तर प्रदेश आगमन पर स्थानीय सरकार और प्रशासन द्वारा उन्हें वी आई पी प्रोटोकॉल के तहत पद यात्रा में सुरक्षा प्रदान की गई है ।

आचार्य श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैन धर्म में चोबीस तीर्थंकर हुए हैं । अधिकांश तीर्थंकरों का आविर्भाव उत्तर प्रदेश की धरती पर ही हुआ है । जिनमें से 13वें तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान के चार कल्याणक यानि च्यवन ,जन्म , दीक्षा और केवलज्ञान कंपिल में हुए हैं इसलिए जैन धर्म में यह बहुत बड़ा तीर्थ माना गया है । तीर्थ यात्रा करने से पापों का नाश होता है और भव सागर से पार उतार कर आत्मा को मुक्ति तक पहुंचाने में तीर्थों की यात्रा का बड़ा महत्व होता है उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पूर्व जैनाचार्य के सान्निध्य में राष्ट्र संत आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की सबसे बड़ी मूर्ति स्टेच्यू ऑफ पीस का ई लोकार्पण किया था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीआदित्य योगीनाथ ने अपनी मंगल कामनाएं वीडियो संदेश द्वारा प्रेषित की थी ।

उन्होंने कहा कि जैन संत जीवन पर्यंत पैदल ही चलते हैं और भगवान महावीर के अहिंसा , सत्य , अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों व जिओ और जीने दो , प्रेम , करुणा , दया , सेवा जैसे संदेशों को जन जन तक पहुंचाते हैं । जैन साधु का जीवन कठोर तप त्याग से मंडित होता है । मोह माया से सर्वथा दूर रहकर वह आत्म साधना करते हैं तथा साथ ही लोक कल्याण के कार्यों के लिए उपदेश देते हैं ।

धर्मसभा के बाद श्री सिद्धचक्र महापूजन हुआ। जिसका लाभ कपूरचंद कुलजीत कुमार, आदर्श जैन, राजीव जैन,मुकेश जैन, अजय जैन परिवार ने लिया। मध्य प्रदेश से आए नितेश भाई ने पूरी विधि के साथ महापूजन करवाया। गुरुदेव के दूज पर हो रहे 31वे आचार्य दिवस एवम परिवार में खुशी भरे प्रसंग निमित यह पूजन हुआ।

गुरुदेव ने पूजन की प्रणाली की सही विधि-विधान का विस्तार से मार्गदर्शन प्रदान कर भावार्थ भी समझाया और कहा कि सिद्धचक्र महापूजन से जीवन सार्थक होता है। पूजन का फल कभी निष्फल नहीं जाता है। इसके वाचन और श्रवण से आत्मा और मन पवित्र होता है। इसका फल आत्म कल्याणकारी होता है। इससे रोग ठीक होते हैं और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। पूजन से काम क्रोध से भटके को रास्ता मिल जाता है। 

गुरुदेव ने कहा कि परमात्मा गुरु के दर्शन करें प्रदर्शन नहीं करें। हम सत्संग के साथ आगे बढ़े नवपद आराधना से जीवन सार्थक हो जाता है। अपने आचरण को सरल बनाना चाहिए। सम्यक दर्शन मन में रहेगा तो पाप नहीं होगा। किसी की भलाई के लिए हमें त्याग करना पड़े तो करना चाहिए। सम्यक दृष्टि आत्मा को संसार कैदखाना दिखता है। पूजा से कष्टों का निवारण होता है। धार्मिक अनुष्ठान में मातृशक्ति रंग बिरंगे परिधानों में सहभागी बनी।

इसके बाद रात में युवक मंडल के 25 वर्ष पूर्ण होने पर एवम मंडल सदस्य निखिल भाई के वर्षीतप अनुमोदर्थ भक्ति भावना का कार्यक्रम हुआ। जिसमे वरघोड़ा से जलूस मंदिर जी आया। इसमें जयपुर से आए अभिषेक भाई एंड अंकुर भाई पार्टी ने बहुत सुंदर भजन बोले जिसमे ऋषि भाई ने साथ दिया।

19 को गुरुदेव अंसल सुशांत सिटी सेक्टर 5 में श्वेतांबर मंदिर  का भूमि शुद्धि विधान करवाकर हस्तिनापुर तीर्थ की ओर विहार करेंगे।

इन सब कार्यक्रमों में सुभाषजी, देवेंद्रजी, रजनीशजी, केवलजी, प्रवीणजी, नीरजजी, अजयजी, निखिलजी, शशांकजी, भावेशजी आदि का पूर्ण सहयोग रहा।

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