घर घर गाय होने के साथ संस्कृति और संस्कार की रक्षा हो :- साध्वी आराधना जी

मीरा भायंदर में पहलीबार गौकथा का आयोजन


भायंदर :-
भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय के भीतर देवताओं का वास माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है।पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास माना गया है। गाय को किसी भी रूप में सताना घोर पाप है। उसकी हत्या करना तो नर्क के द्वार को खोलने के समान है, जहां कई जन्मों तक दुख भोगना होता है।

उपरोक्त विचार विश्व हिन्दू परिषद अंतर्गत गौ सेवा परिषद संचालित केशव सृष्टि गौशाला के सहायतार्थ 'गौ कृपा कथा' के लिए आयी पूज्य साध्वी आराधना गोपाल सरस्वतीजी ने व्यक्त किये।उनके मुखारविन्द से 14 से 16 अप्रैल तक कथा राधेश्याम डोम, मैक्सस मॉल के पीछे,अमृतवाणी रोड भायंदर - (पश्चिम) में शाम 4 से 7 बजे तक हैं।

साध्वीजी ने कहा कि ' गाय समृद्धि का मूल स्रोत है। गाय समृद्धि व प्रचुरता की द्योतक है। वह सृष्टि के पोषण का स्रोत है। वह जननी है। गाय के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट (उत्पाद) बनते हैं। गोबर से ईंधन व खाद मिलती है। जबकि गौमूत्र से दवाएं व उर्वरक बनते हैं और कई बीमारियों में यह काम आता हैं।वैज्ञानिकों ने भी माना है कि इससे अनेक बीमारियां ठीक होती हैं।

उन्होंने साक्षात्कार में बताया कि गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दूध देती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है, दरअसल मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है। गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।

उन्होंने बताया कि स्वामी गोपालानंद सरस्वतीजी के मुख से गौमाता की कथा सुनने के बाद प्रेरित हुई और 8 सालों से गौ कथा के माध्यम से गाय के महत्व को बता रही हैं।उन्होंने पंचगव्य में डिप्लोमा किया हैं।उनके जीवन का लक्ष्य है कि देश के हर घर मे पहले की तरह गाय हो।वे बताती है कि उनके गुरु स्वामी गोपालानंदजी की प्रेरणा से देशभर में गोशालाओं का निर्माण हुआ और यह निरंतर जारी हैं।2.5लाख से भी ज्यादा परिवारों ने गाय को अपने घर में स्थान दिया व अब भी जारी है।

साध्वीजी ने बताया कि उनके गुरु ने 31 वर्ष तक गौ पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा का संकल्प लिया हैं।इस यात्रा का उद्देश्य विश्व मे व्याप्त बुराइयों के नाश करने के अलावा जन जन तक गौमाता के महत्व को बताना है।इस यात्रा ने पिछले साढ़े दस सालों में राजष्ठान और गुजरात में जागरूकता अभियान चलाया हैं और अब 24 अप्रेल को इसका मध्यप्रदेश में प्रवेश होगा।यात्रा की शुरुआत वीरों की भूमि हल्दीघाटी से की गई थी जिसमे चार लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

उन्होंने मेरे भायंदर के जीवदया प्रेमियों से अनुरोध किया की वे दो दिन परिवार के साथ आकर गे की महिमा और महत्व को समझे और खासकर बच्चों को लेकर आए।यंहा एकत्रित धनराशि का उपयोग केशव सृष्टि गौशाला में दिया जाएगा।

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