स्वर्णिम इतिहास के साथ महाड़ चातुर्मास परिपूर्ण

रजतचंद्र विजयजी ने कहा धन्यवाद - महाड़ गुरुभक्तों की आंखे नम


महाड़ :-
100 वर्षों के इतिहास में भगवान वासुपूज्य स्वामी के सानिध्य में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड़ नगर में सभी समुदायों ने मिलकर कराया परोपकार सम्राट आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के सुशिष्य ओजस्वी वक्ता मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा.आदि ठाणा का यशस्वी,कभी ना भूलने वाला यादगार धर्म प्रभावना से युक्त भक्तिमय चातुर्मास स्वर्णिम इतिहास के साथ व तप जप ज्ञान ध्यान आराधना से परिपूर्ण सफलता के साथ परिपूर्णता की ओर है। 

महाड़ नगर श्री संघ द्वारा आयोजित विदाई समारोह में मानो पूरा महाड़ नगर उमड़ पड़ा था। सर्वप्रथम मुनि प्रवर को संघ ने गुरुवंदन किया। मंगलाचरण के बाद मुनिराज विजयजी ने कहा कि विदाई के क्षण बहुत भावुक व भारी होते हैं। प्रभु से विदाई गौतम सह ना पाये थे। वैसे ही श्रीसंघ भी संत की विदाई सह नहीं पाते क्योंकि 4 माह धर्म आराधना, तपोत्सव आयोजन आदि कार्यों द्वारा एक लगाव सा हो जाता है। मुनिश्री ने कहा कि मैं महाड नगर से बहुत खुश हूं‌। मेरी सारी भावना फलदायी बनी। चातुर्मास की मिठी मिठी यादो के साथ जैसे ही मुनिश्री ने श्रीसंघ को मिच्छामी दुक्कड़म् दिया वे पल बड़े ही भावुक बन पड़े। श्रद्धालुओं की आंखें झलक उठी। मुनिश्री के साथ में मंगल मुनि ने भी संतिकरम स्त्रोत श्रवण कराया। विदाई समारोह में श्रीसंघ के अनेकों वक्ता व गायक महानुभावों ने उद्बोधन दिया। श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप सुकलेचा व लादुलाल गांधी ने बताया अनेको विषेशताओं से हरा-भरा यह चातुर्मास ऐतिहासिक रहा। हम पुण्यशाली है कि गुरुदेवश्री को अनेकों विनंती होने के बाद भी महाड़ श्रीसंघ की झोली में 2022 का दुर्लभ चातुर्मास आया ये हमारा सौभाग्य है।

संतोषजी देरासरिया ने कहा कि चातुर्मास के चार माह में मेरी 3 कामनाएं पुरी की जिसमे चातुर्मास करने का योग बना,10 यतिधर्म तप एवं अट्ठम तप की मनोकामना पूर्ण हुई। ललिताबेन ओसवाल ने कहा मुनिश्री की वाणी ने मंत्र मुग्ध कर दिया। तीनों धाराओं को एक साथ लेकर चले। प्रभु स्तवन में एसे एकतान करते की बस उसी में डुबकी लगाते रहे। चातुर्मास कर गुरुदेव ने नगर को सुखे से हराभरा कर दिया। रोती आंखों से कहा माता पिता की तरह लाड दिया। निशाबेन, ममता, साधना,अनिता पुष्पा व पिंकी बेन ने विदाई गीत सुनाया। भगवतीलाल गांधी ने कहा गुरुदेव सभी को समभाव से लेकर चले। उनके प्रवचनों ने सभी का मन जीता ।श्रावक शब्द की व्याख्या व नवतत्व की बात कही। प्रमाद से बचे कषाय योग दूर करें गीत की पंक्ती भी सुनाई। महावीरजी देसरला ने रोते हुए कहा कि महाड़ में कुछ करना है एसी भावना थी वह पूर्ण हुई ।आगे भी संघ एसे ही हिल मिलकर कार्य करें। परोपकार सम्राट की भावना जैसे परोपकार के कार्य करें। मुनिश्री रजत बाबजी के चातुर्मास से RVgroup india यूट्यूब चैनल के माध्यम से पुरे भारत और विश्व के अनेक देशों में महाड़ संघ का नाम चमकने लगा। 

कार्यक्रम के बीच में इंदौर से पधारी दिक्षार्थी रानु पारसमल चंडालिया का बहुमान श्रीसंघ व चातुर्मास समिति ने किया। दिक्षार्थी बेन ने अपना उद्बोधन भी दिया। राजमल कोठारी ने कहा गुरुदेव का प्रवेश हुआ था स्वागत समारोह से तब सुखी हुए, आप विदाई समारोह में विदाइ की वेला से मन दुखी हो रहा है। 100 वर्ष के इतिहास में सर्वप्रथम चातुर्मास सफलता के साथ पुर्ण हुआ। मुनिश्री ने तार्किक बुद्धि से समय व समझ द्वारा कार्य किया। स्वयं का कार्य छोड़कर वे शासन के कार्य में जुड़े रहे ।नन्हे-मुन्ने बच्चों ने विदाइ नृत्य द्वारा सभी को भावुक बना दिया। पवन देसरला ने अपना प्रभावी उद्बोधन देते हुए कहा मुनिश्री के प्रवचन रोम रोम को खोल देते थे।अपने गीतों से प्रभु भक्ति के सागर में डुबो देते थे। ये मैनेजमेंट गुरु भी है हर कार्य को कुशलता से करवाया। श्रीसंघ भी इनसे प्रेरणा लेकर शिक्षा प्राप्त करें। गुरुदेव से एक ही बात कहना चाहता हूं 4 माह में इतना अटेचमेंट हो गया है आप अपने दिल से हमें दूर ना करना। नदी के पानी पर सभी का हक है वैसे ही संत पर भी सभी का हक है। अशोकजी,प्रवीणजी,निलेशजी आदि ने चातुर्मास में विशेष सेवा दि इस हेतु ये धन्यवाद के पात्र हैं। दिनेशजी गांधी सम्पत्तिजी देसरला बाबुलालजी मांडोत ने अपना उद्बोधन कर चातुर्मास की सफलता के यशोगान गाये। 

श्री राजेंद्र ऋषभ वाटिका भवन को चार माह उपयोग में देने हेतु प्रवीण भाई व उनकी धर्मपत्नी अरुणा बेन सेठ का बहुमान किया गया। उन्होंने कहा मुनिश्री के दर्शन से उनके तप तेजस्विता का अनुभव हुआ। मेरा घर मंदिर बन गया। पावन हो गया। मैं धन्य बन गया इस हेतु जैन समाज का धन्यवाद। पिछले छः माह से अखंड आयंबिल की कड़ी निरंतर जारी रही। मुनिश्री की प्रेरणा से उसे आगे भी जारी रखने का संकल्प धर्मसभा में लिया गया। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अशोक शाह ने कहा मुझे सभी ने सपोट किया इसलिए चातुर्मास सफल व यादगार बना। तीनों धाराओं के लोग मेरे साथ खड़े रहे। तन मन धन से सभी ने भाग लेकर चातुर्मास को चिरस्मरणीय बनाया 4 माह में हम बहुत नजदीक आये एसा माहौल हमेशा बना रहे। छोगमलजी प्रवीणजी कटारिया ने चातुर्मास परिवर्तन की विनंती अपने नुतन गृह निवास पर करने की विनती की। मुनिश्री ने स्वीकार कर उन्हें लाभान्वित किया । 

समारोह के अंत में निलेश ओसवाल ने अपने भाव रखें व क्षमापना की। मांगलिक से पूर्व हर किसी की जुबा पर यह गीत की पंक्ति थी गुरुदेव ना जाओ हमें छोड़कर जल्दी आना महाड़ लोटकर। परस्पर मिच्छामी दुक्कड़म् के साथ विदाई समारोह का समापन हुआ। समारोह मे तीनों गुरुदेव की आरती की गई।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम