सोचने के लिए मजबूर करने वाले मुद्दे हैं कहानी संग्रह वेश्या की बेटी में

पुस्तक समीक्षा

इसमें कुल 25 कहानियां हैं, हर कहानी पठनीय है


मुंबई :-
कहानी संग्रह वेश्या की बेटी में एक से बढ़कर एक कहानी है। इसमें कुल 25 कहानियां हैं। हर कहानी पठनीय है। एक कहानी पढ़ने के बाद दूसरी कहानी पढ़ने की लालसा बनी रहती है। हर कहानी की अपनी पृष्ठभूमि है। हरेक कहानी की अपनी सामाजिक संरचना है। भावनाओं और संवेदनाओं का संगम भी है। अलग-अलग कहानी में अलग-अलग मुद्दे हैं जो हमें सोचने के लिए मजबूर करते हैं। इन कहानियों में सामाजिक चिंतन है। कहानियों की यह भी विशेषता है कि इसकी भाषा बहुत सरल है जिससे कहानी पढ़ने में प्रवाह बना रहता है। एक सामान्य पाठक भी इसे पढ़ और समझ सकता है। हरेक कहानी का कैरेक्टर अपने आस पास का ही लगता है। इस किताब की एक और खासियत है कि इसकी प्रस्तावना फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने लिखी है।

लेखक पत्रकारिता क्षेत्र से आते हैं तो उनकी कहानियों में उसकी छाया है। खासकर विषयों को लेकर उनकी खोजपरक सोच दिखती है। कोरोना त्रासदी किसे याद नहीं होगा। उस त्रासदी को काफी संवेदनशील तरीके से कहानीकार ने पेश किया है। मुर्दाघर कहानी उसी त्रासदी की एक कहानी है। इसमें एक बेटे का अपनी मां के प्रति प्यार है जिसके लिए कोरोना के समय बेटे के अंदर मौत का खौफ खत्म हो गया है। वैसे भी मुर्दाघर लोग जाने से परहेज करते हैं। लेकिन एक बेटा इस मुर्दाघर में अपनी मां के लिए जो कुछ करता है वह सब इस कहानी में पढ़कर मानवीय त्रासदी को भी महसूस किया जा सकता है। कोरोना त्रासदी पर मुर्दाघर के अलावा एंबुलेंस को भी पढ़कर वह त्रासदी ताजा हो जाता है। 

कहानी वेश्या की बेटी में महिला और बेटी के दर्द को महसूस किया जा सकता है। समाज का ‌एक वर्ग किस तरह से महिलाओं को देखता है और उसकी नजर में औरत एक भोग की वस्तु है। लेकिन इस नरक में धकेली गई महिलाओं की छटपटाहट को देखने के साथ साथ स्त्री के मनोविज्ञान को भी समझा जा सकता है। एक वेश्या की अपनी बेटी को इस नरक से निकालने की संघर्ष की भी कहानी है। वह तमाम वेश्याओं की प्रतिनिधि हैं। उसका संघर्ष प्रेरणादायक है। उसकी बेटी ने शिक्षा का सहारा लिया और इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ शिक्षा को ही हथियार बनाया है। इसे आज की बेटियां इस्तेमाल करेगी। 

काली कहानी पढ़कर कोई भी भावुक हो सकता है। इसमें एक पशु और मनुष्य के बीच मानवीय रिश्ते को बताया गया है। इस रिश्ते को कोई भी महसूस कर सकता है। यह कहानी पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि मानवीय रिश्ते सिर्फ मनुष्य के बीच ही नहीं, पशुओं के साथ भी हो सकते हैं। काली गाय इस रिश्ते का एक उदाहरण बनी है। काली जिस परिवार में रहती है वहां तो उसका रिश्ता और अपनापन समाज को आकर्षित किया ही है और बाद में समाज ने इस रिश्ते को एक अलग रूप में स्थापित कर दिया। 

सुमेधा की जिद कहानी में सामाजिक विसंगतियां दिखती है। समाज में भेदभाव किस तरह से किसी का विकास रोक देता है उसे दर्शाया गया है। लेकिन सुमेधा ने अपनी जिद से जो राह चुनने का फैसला लिया है वह भी उसके समाज की महिलाओं को प्रेरित करने वाला है। किसी भी समाज में बदलाव के लिए ऐसे कठोर निर्णय लिए जाते हैं। सुमेधा ने बदलाव को एक नए राह पर लाने की कवायद की है। सरकार की बेरूखी से भी इसका समाजशास्त्र नहीं बदल रहा है। लेकिन सुमेधा ने बता दिया है कि समाज की लड़कियों को आगे आना ही पड़ेगा। सुमेधा की जिद एक परिवर्तनकारी निर्णय है। 


यह कहानी संग्रह नई दिल्ली के प्रकाशक न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। इसका कवर पेज आकर्षक है। यह किताब अमेज़न पर भी उपलब्ध है। प्रकाशक ने इसे खूबसूरत तरीके से प्रकाशित किया है। इसकी हर कहानी पठनीय है और उसमें ऐसा प्रवाह है कि पाठक खुद को शामिल करने के लिए विवश रहेगा। इस कहानी संग्रह की सभी कहानियों में गहराई है। कहानीकार ने सभी कहानियों में सामाजिक और मानवीय मूल्यों को बखूबी पेश किया है। यह किताब हर किसी को पढ़ना चाहिए।

पुस्तक-वेश्या की बेटी

लेखक-नवीन कुमार

प्रकाशक-न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली

मूल्य-399 रुपये

समीक्षक

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