पंन्यास कुलदर्शन विजयजी की ये 25 पुस्तकें किस लिए?

कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे आपको इन पुस्तकों में

नए साधु साध्वीजी के लिये होगी उपयोगी


मुंबई :-
तपागच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी म.सा.के आजीवन चरणोपासक परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय कुलचंद्र सूरीश्वरजी (K.C.) म.सा.के शिष्यरत्न पंन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजयजी म.सा. के संयम जीवन के 25 वर्षकी पुर्णाहुति पर उनके द्वारा संपादित 25 पुस्तकों का प्रकाशन किया गया हैं।

इन पुस्तकों में A to Z अल्फाबेट्स पर विस्तार से लिखा गया हैं।इन 25 पुस्तकों के प्रकाशन के बारे में उन्होंने बताया कि अहमदाबाद गौतम स्वामी संघ के प्रांगण में प्रायः चातुर्मास परिपूर्ण होने को आया था। ऐसे में एक दिन में गुरुदेव श्री के पास बैठा हुआ था, तभी पूज्यश्री ने मुझसे पूछा, 'बालमुनि, इस साल तुम्हारी दीक्षा के 25 साल पूर्ण हो रहे हैं तो तुमने कुछ सोचा है कि तुम इस अवसर पर विशेष तौर से क्या करोगे मैंने कहा, 'गुरुदेव जैसा आप आदेश करो।

उस समय गच्छाधिपति गुरुदेव श्री कुलचंद्र सूरीश्वरजी (K.C)म.सा.ने कहा कि तुम्हें 25 साल के हिसाब से 25 पुस्तक प्रकाशित करनी है और वह भी सभी तुम्हारे प्रवचन की होनी चाहिए। मैं तो विचार में पड़ गया और गुरुदेव से पूछा, 'यह कैसे संभव हो सकता क्योंकि मुझे यह कार्य सहज नही लग रहा। परंतु गुरुदेव ने बड़े प्रेम से और दृढ मनोबल के साथ मुझे यह आदेश दिया कि 'यह तुझे करना ही है और तू तो इस विषय पर काम करना शुरू कर दे।'

पूज्य श्री का आदेश था अतः इसमें अब सोचने वाली तो कुछ बात ही नहीं थी। उन्होंने बोला और में भी 'तहति' बोलकर वहां से खड़ा हुआ। जब मैं वहां से चलने लगा तब गुरुदेव में एक हृदयस्पर्शी बात कही उन्होंने मुझसे कहा कि, 'अगर तू इस दिशा में थोडी सी मेहनत करें तो कितने नए-नए पूज्य साधु- साध्वीजी भगवंतो के यह पुस्तक काम आ सकती हैं। कितने नए-नए प्रवचन तैयार हो पाएंगे, कितने सारे श्रावन श्राविकाओं को इन पुस्तकों के जरिए धर्म बोध मिलेगा और 25 वाँ संयम वर्ष इस रूप में मनाया जायें इससे तो कुछ अच्छी बात हो नहीं सकती। अतः तू तो इस दिशा में पूरी लगन के साथ मेहनत करना।'जब मैंने उनकी यह बात सुनी तो पूज्य गुरु भगवंत की दूरदर्शिता एवं पर हित चिंता के आगे नतमस्तक हो उठा।

आदेश और आशीर्वाद दोनों लेकर मैंने कार्य का शुभारंभ किया। एक तरफ विहार यात्रा भी शुरू हुई, जो कि 2000 कि.मी. से भी ज्यादा थी। आलस्यवश मैने सोचा कि कर लेंगे, अभी तो समय है, सब हो जाएगा परंतु गुरुदेव बार-बार याद करवाते और मुझे पूछते कि, 'बालमुनि ! कहां तक कार्य हुआ है जिनके पास गुजराती प्रवचनों का संग्रह था उनसे प्रवचन लिखवाकर बुक का काम शुरू करवाया

जितना सोचा था उससे कई गुना यह काम मुश्किल भरा था और समय लेने वाला भी था। क्योंकि बोलने और लिखने की भाषा अलग-अलग होती है और कई बार तो पूरा लेखन ही दोबारा करना पड़ा। गुरुदेव बार-बार टोकते रहते ताकि कार्य समय पर पूर्ण हो सके।

गुरुदेव का आदेश और भावना थी कि संयम रजत महोत्सव पर यानी 25 वें दीक्षा महोत्सव में यह सभी पुस्तकों का भी विमोचन हो जाएं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आते गए वैसे वैसे कार्य की गति भी बढ़ती गई और आनंद की बात है कि गुरुदेव के आशीर्वाद से यह कार्य पूर्ण कर पाया हूं। अपने हृदय की साक्षी से यह मानता हूं कि जो कुछ भी बोल पाता हूं अथवा लिख पाता हूं उसके पीछे केवल और केवल गुरु प्रेम और गुरु कुलचंद्रजी का अनन्य आशीर्वाद हैं,इसके अतिरिक्त कुछ भी करने की ना तो मेरी ताकत हैं ना मेरी हस्ती हैं।। अतः इन 25 पुस्तकों का पूरा श्रेय में गुरुदेव को देता हूं।

उन्होंने बताया कि पुस्तकों को तैयार करने में और इन प्रवचनों का प्रूफ संशोधन करने के सभी कार्यों में मेरे शिष्यरत्न मुनिश्री कुलरक्षित विजयजी म.सा., अनेको साध्वीजी भगवंत, प्रवचन लिखने वाली विशेष श्राविका बहनें और अनेक पंडितवर्यों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन सभी का मैं ऋणी रहूंगा।

इन 25 पुस्तकों में से 15 पुस्तक श्री गौतमस्वामी जैन संघ में श्री शांतसुधारस ग्रंथ आधारित दिए हुए प्रवचनों का संग्रह है। जिस तरह से बोला है इस तरह से प्रवचनों को लेखन रूप दिया गया है। अन्य 5 पुस्तकों में इन 25 वर्षों में मेरे मनपसंद 25 महापुरुष, 25 तीर्थ, 25 संस्कृत श्लोक आदि का संग्रह है। शेष में गौतमस्वामी संघ में चातुर्मास के दौरान दिए गए अल्फाबेट सीरीज के ऊपर प्रवचनों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त अन्य तीन हिंदी शिविर का भी समावेश करके इन 25 पुस्तकों को बहु उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है।

पूज्य श्री की प्रेरणा से इन 25 पुस्तकों के प्रकाशन का लाभ जिन्होंने भी लिया है उन सभी लाभार्थी परिवारों की हृदय से अनुमोदना करता हूं। इन पुस्तकों को अल्प समय में कलरफुल और बेहतरीन रूप देने के लिए Rare N Right के नितेशभाई एवं अंकितभाई को भी मेरा हृदय से धन्यवाद।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नवकार महामंत्र केवल जाप नही यह जीवन को दिशा देता हैं :- नरेंद्र मोदी

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

"ॐ ह्रीं श्रीं अर्हम् नमः के सवा लाख जाप