बाली को जिला नहीं बनाने से क्षेत्र की जनता में भारी निराशा

  बाली जिला बनाओ संघर्ष समिति ने सीएम के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौपा

नारे लगाते हुए ज्ञापन देने पहुंचे अधिवक्तागण


देसूरी :- 
बाली जिला बनाओ संघर्ष समिति ने मंगलवार को देसूरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम उपखण्ड अधिकारी श्रीमती देवयानी को एक ज्ञापन सौपकर बाली को पाली जिले से अलग कर नया जिला बनाने की चिरप्रतीक्षित मांग को दोहराया और कहा कि जिला नहीं बनाने से क्षेत्र की जनता में भारी निराशा व्याप्त हैं।

संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट हीरसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व व वकील मण्डल अध्यक्ष जगतसिंह राजावत की मौजूदगी में संघर्ष समिति के बैनर तले जिला बनाने की मांग को लेकर नारे लगाते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचे। 

 आंकड़ों के साथ दोहराई मांग'

इसी के साथ एसडीएम को सौपे गए ज्ञापन में कहा गया कि प्रस्तावित बाली जिला बाली, सुमेरपुर, देसूरी व रानी तहसील का कुल क्षेत्रफल 3996.9 वर्ग किमी है। जो मौजूदा जिलो धौलपुर दौसा, प्रतापगढ, डूंगरपुर, राजसमंद जिलो से अधिक समकक्ष हैं। प्रस्तावित बाली जिले की कुल जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार 8 लाख के करीब है। जो जैसलमेर जिले की वर्तमान जनसंख्या से अधिक है। ज्ञापन के मुताबिक प्रस्तावित बाली जिले में 4 तहसीले बाली, देसूरी, सुमेरपुर व रानी, 3 उपतहसीले- नाना, बेडा व खिवाड़ा, 4 पंचायत समितियाँ बाली, देसूरी, सुमेरपुर व रानी हैं । 121 ग्रामपंचायतें जिसमें 12 पूर्णतः आदिवासी बहुल गाम पंचायतें हैं जो इसमें सम्मिलित हैं। स्पष्ट है कि बाली जिला होने की हर पात्रता को पूर्ण करता हैं ।पाली जिले में 9 नगरपालिकाओं में से 6 नगरपालिका, बाली, फालना, सादडी. रानी, सुमेरपुर, तखतगढ प्रस्तावित बाली जिले में आती है।

'छोटे जिले आमजन के लिए लाभकारी'

ज्ञापन में बताया गया कि प्रस्तावित बाली जिले में राणकपुर, परशुराम कुण्डधाम, सोनाणा खेतलाजी, आशापुरा माता नाडोल, जैन स्वर्ण मंदिर फालना, निम्बेश्वर महादेव, चामुण्डा माता मुण्डारा, रातामहावीर, मुछाला महावीर जवाई बांध जैसे पर्यटन व ऐतिहासिक स्थल हैं। बाली जिले में सम्मिलित यह क्षेत्र सांस्कृतिक-भौगोलिक दृष्टि से 'गोडवाड' नाम से जनविख्यात हैं । इस क्षेत्र की पृथक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत हैं ।

ज्ञापन में कहा गया कि बाली को जिला बनाना  उचित हैं। छोटे जिलो का निर्माण आमजन के लिए व प्रशासनिक दृष्टि से लाभकारी होता है। विकास की रोशनी आसानी से खेत व खलिहान तक पहुंचती हैं। केन्द्र व राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओ का लाभ अंतिम आदमी तक सहज ही पहुंच जाता हैं। अतः बाली जिले का निर्माण तर्कसंगत हैं।'

मानदंड पूरे,लेकिन जिल नही बनाने से निराशा'

ज्ञापन में कहा गया कि बाली जिले का निर्माण इस क्षेत्र की जनआकांक्षा है, स्वाभिमान का परीचायक हैं, चिरप्रतीक्षित स्वप्न हैं, इस हेतु स्थानीय जनता पिछले कई वर्षों से संघर्षरत हैं, नये जिलो के पुनर्गठन हेतु बनी कमेटी को भी समुचित माध्यम से मांगपत्र पूर्व में दिया जा चुका हैं, तथा बाली को जिला बनाने के तमाम दस्तावेज हमारी समिति द्वारा कमेटी को प्रस्तुत किये जा चुके हैं। जिलो के पुनर्गठन की कमेटी ने इस संदर्भ में अपनी जाँच भी कर ली थी। हाल ही में 19 जिलों की घोषणा में बाली को जिला नहीं बनाने से क्षेत्र की जनता में भारी निराशा व आक्रोश भी हैं, सभी मानदण्ड पूरे करने के बावजूद भी हमारे बाली जिला की घोषणा नहीं होने से क्षेत्र के आमजन के साथ भारी अन्याय हुआ हैं तथा इस क्षेत्र की विकास की गति को रोक दिया गया है, जो न्यायहित में नहीं हैं ।

'ज्ञापन देते वक्त ये थे मौजूद'

 इस दौरान पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रमोद पाल सिंह मेघवाल,एडवोकेट सुधीर श्रीमाली,श्रवणसिंह सोलंकी,गजेंद्रसिंह राजावत,चंदनसिंह,प्रदीपसिंह, शंकरलाल मीणा,प्रदीप मीणा,रमेश कोलर,देवदत्त, लालाराम मीणा,योगेश शर्मा,रतन कुमार,मानाराम देवासी,मुकेश श्रीमाली,प्रेम मेघवाल,नारायणसिंह भाटी,पंकज मेघवाल,बादशाह अली,भवानीसिंह कुंपावत,भंवरी चौधरी,प्रवीण रावल,कपिल त्रिवेदी, सुशील दवे,मनोहरदास वैष्णव,भरत सोलंकी, यशपालसिंह राव,दीपक श्रीमाली,हुकमसिंह सोलंकी,राजेंद्रसिंह राजपुरोहित,संजय बोहरा,एडवोकेट शेषाराम कुमावत,हितेश कुमावत, समाजसेवी गुलाबसिंह राजपुरोहित आना,नैनाराम, पुष्पेंद्रसिंह चारण,तनवीरसिंह राजपुरोहित,शरीफ सहित कई लोग मौजूद थे।

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