तीर्थ बनेगा आचार्य विजय धर्म सूरीश्वरजी का समाधि स्थल शिवपुरी:- आचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी

सौ वर्ष पूर्व देश-विदेश में ख्याति प्राप्त आचार्य विजय धर्मसूरिजी ने शिवपुरी में ली थी समाधि 

 

भक्ति सूरीश्वरजी / कुलचंद्र सूरीश्वरजी

शिवपुरी :-
हमारे कुल गुरु और देश विदेश में अपने आध्यात्मिक ज्ञान के बलबूते ख्याति प्राप्त करने वाले प्रसिद्ध जैनाचार्य विजय धर्म सूरीश्वरजी म.सा. ने सो वर्ष पूर्व शिवपुरी की पुण्य धरा को समाधि के लिए चयन कर अंतिम सांस ली थी। उनकी समाधि के लिए तैयारियां अंतिम स्व.जीवाजीराव सिंधिया ने भूमि दान की थी,लेकिन तब से अब तक आचार्य विजय धर्म सूरीश्वरजी की समाधि गुमनामी के अंधेरे में थी, लेकिन अब समाधि भूमि का जीर्णोद्धार जोरों पर है। आचार्यश्री के समाधि लेने के शताब्दी वर्ष में उनका भव्य शताब्दी महोत्सव 9 सितम्बर से 19 सितम्बर तक बीटीपी स्कूल समाधि मंदिर प्रांगण में भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है। शताब्दी महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और इस अवसर पर 11 दिन तक अनेक धार्मिक और सामाजिक आयोजन किए जाएंगे।यह जानकारी जैनाचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी (के सी) म.सा.के शिष्य पन्यास प्रवर कुलदर्शन विजयजी (के डी) म.सा.ने दी।

उन्होंने बताया कि समाधि स्थल पर जीर्णोद्धार कार्य तीव्रगति से चल रहा है और 200 से अधिक कारीगर और मजदूर दिन-रात इस कार्य में जुटे हुए हैं। शताब्दी महोत्सव के बाद आचार्य विजय धर्म सूरीश्वरजी का समाधि स्थल तीर्थ के रूप में तब्दील होगा। समाधि स्थल पर भव्य जैन मंदिर, धर्मशाला, साधु भगवतों के स्वाध्याय कक्ष, लाइब्रेरी और भोजनशाला आदि का निर्माण किया जा रहा है।

चातुर्मास समिति के संयोजक तेजमल सांखला ने बताया कि आचार्य विजयधर्म सूरिजी महाराज के समाधि स्थल का जीर्णोद्धार कार्य उनकी कुल परम्परा से जुड़े आचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी (के सी) म.सा. और पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी (के डी) म.सा. की प्रेरणा से किया जा रहा है।गुरूदेव के चमत्कारिक प्रभाव और पुण्य कर्मों के कारण सालों में होने वाला जीर्णोद्धार के कार्य महज दो माह में हो तूफानी गति से पूर्ण हो गए हैं।इस अवसर पर श्वेताम्बर समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला, चातुर्मास कमेटी के उप संयोजक मुकेश भांडावत, प्रवीण लिगा, जैन समाज के सचिव विजय पारख, लाभचंद जैन आदि उपस्थित थे।

20वीं सदी के महानायक थे आचार्य विजय धर्म सूरीश्वरजी म.सा.

यह गुरु कृपा का ही प्रभाव था कि अपना सांसारिक नाम मूलचंद ठीक ढंग से ना लिख पाने वाले आचार्य विजयधर्म सूरि जी को काशी नरेश ने शास्त्र विशारद जैनाचार्य की मानद उपाधि से सम्मानित और अलंकृत किया। उन्होंने अनेक तीर्थ, पाठशाला, पुस्तकालय आदि का निर्माण कराया। उनकी वक्तृत्व कला का लोहा देश और विदेश के विद्वान मानते थे। माँ सरस्वती की उन पर आसीन अनुकंपा थी। जहां तक शिवपुरी से उनका सबंध है तो शिवपुरी उनकी कर्मभूमि नहीं रही 100 वर्ष पहले आगरा चातुर्मास के लिए जाते समय शिवपुरी में उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और तीन दिन की समाधि लेकर उन्होंने यहां अपना शरीर छोड़ा। शिवपुरी में सिधिया परिवार के सौजन्य से उनकी समाधि का निर्माण उनके शिष्य विद्या विजयजी म.सा. ने किया और अब आचार्य | विजयधर्म सूरि जी की कुल परम्परा के आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने उनके अधूरे काम को पूर्ण कर शिवपुरी को अपनी कर्मस्थली बनाया और यहां उनकी प्रेरणा से आचार्य विजयधर्म सूरि जी की समाधि का जीर्णोद्वार हुआ।

निकली भव्य रथयात्रा

पन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि पहले दिन 9 सितंबर को सुबह 9 बजे से महोत्सव का मंगलमय प्रारंभ हुआ। इसमें नूतन संकुल का उद्घाटन, जिनालय से समाधि स्थल तक भव्य रथयात्रा और सामूहिक गुरुधर्म पादुका महापूजन हुआ। शाम 7 बजे से समाधि मंदिर में गुरु भक्ति, 10 को 1000 पुलिस बधुओं का सम्मान , 11 की सुबह 9 बजे से डॉक्टर्स मीट तथा मेडिकल कैम्प, रात्रि में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, 12 को सुबह 9 बजे 1000 शिक्षकों का सम्मान समारोह और रात्रि 8 बजे से भव्य भक्ति सध्या, 13 को सुबह 8.30 बजे से व्यापारियों हेतू व्यापार वृद्धि लक्ष्मी कलश अनुष्ठान का आयोजन होगा व रात्रि में 8 बजे  बच्चों की प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम, 14 को युवा सम्मेलन व रात्रि में भक्ति संध्या, 15 को भारत भर के 100 से अधिक पंडित वरयों का सम्मान व रात्रि में गुरुदेव के जीवन पर आधारित भव्य नाटिका, 16 को सुबह 9 बजे से सर्वधर्म सम्मेलन और रात्रि में भक्ति संध्या, 17 को सुबह 9 बजे से नवगृह शांति अनुष्ठान और रात 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम, 18 को सुबह 9 बजे से 24 तीर्थंकरों की माता का भव्य कार्यक्रम और रात्रि 8 बजे से पहली बार 100 कलाकारों द्वारा भव्य म्यूजिक सिम्फनी का आयोजन होगा। शताब्दी महोत्सव अंतिम दिन 19 को सुबह 9 बजे से समाधि मंदिर पर तपागच्छाधिपति आचार्य प्रेम सूरीश्वरजी म.सा की छठी पुण्यतिथि मनाई जाएगी, जिसके निमित्त देशभर के 100 संघो का आगमन होगा तथा आचार्य विजयधर्म सूरि जी और उनके शिष्यों द्वारा लिखित 100 पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा। रात्रि 8 बजे से सामूहिक आरती के पश्चात कार्यक्रम का समापन होगा।

महोत्सव में होंगे अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम

कार्य कुशल आचार्य श्री कुलचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.ने बताया कि इस दौरान सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और रात 7 बजे से 10 बजे तक धार्मिक और सामाजिक आयोजन होंगे। रात्रिकालीन कार्यक्रमों में भक्ति संध्या, कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक प्रतियोगिता, 100 कलाकारों द्वारा भव्य म्यूजिक सिम्फनी के कार्यक्रम होंगे।

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