50 हजार जैनों की विराट रथयात्रा व धर्मसभा रविवार को मुंबई में

200 जैन संघों के सहयोग से श्री मुंबई जैन संघ संगठन का विशाल आयोजन

जैन समाज की एकता का जबरदस्त प्रदर्शन साबित होगा यह आयोजन

धर्म, संस्कृति व सामाजिक सद्भावना का अनूठा अध्याय लिखेगी रथयात्रा


मुंबई।
जैन समाज की एकता का विराट प्रदर्शन अगले रविवार को दक्षिण मुंबई में देखने को मिलेगा। दक्षिण मुंबई के करीब 200 से अधिक जैन संघों की पर्युषण महापर्व निमित आयोजित ऐतिहासिक सामुहिक भव्य रथयात्रा 18 सितम्बर, रविवार को आयोजित की गई है। इस आयोजन में करीब 50 हजार जैन परिवारों के श्रद्धालु भाग लेंगे। विराट रथयात्रा के पश्चात विशाल धर्मसभा का भी आयोजन किया गया है। सामाजिक समरसता एवं विराट जैन एकता के अद्भूत संगम के रुप में आयोजन श्री मुंबई जैन संघ संगठन द्वारा किया जा रहा है। जैन समाज के सभी संप्रदायों के चारों फिरकों के महानुभाव इस रथयात्रा में जुडकर समाज की अटूट एकता के इस प्रदर्शन में सहभागी होंगे।

गच्छाधिपति आचार्य 102 वर्षीय तपस्वी श्री दौलतसागर महाराज, गच्छाधिपति राजेन्द्र सूरीश्वर महाराज एवं तपागच्छ प्रवर समिति के कार्यवाहक गच्छाधिपति आचार्य भगवंत विजय अभयदेव सूरीश्वर महाराज की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से 500 से अधिक धर्मगुरुओं एवं साध्वीजी की पावन निश्रा में इस विशाल रथयात्रा एवं धर्मसभा का आयोजन किया जा रहा है। अहमदाबाद में विराजमान तपागच्छाधिपति आचार्य श्री मनोहरकिर्ती सागर सूरीश्वर महाराज ने अपने मंगल आशीर्वाद संदेश में कहा है कि यह रथयात्रा जिन शासन का गौरव बढाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। 

मुंबई में जैन एकता के इस विराट ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने में श्री मुंबई जैन संघ संगठन के विरेन्द्रभाई शाह, राकेशभाई शाह, नितिनभाई वोरा, आशीषभाई शाह एवं मुकेश जैन की अग्रणी भूमिका है। इस आयोजन की सफलता में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगलप्रभात लोढा का भी विशेष सहयोग मिल रहा है। दक्षिण मुंबई के सीपी टैंक से रविवार की सुबह 9 बजे शुरु होकर यह रथयात्रा वीपी रोड, प्रार्थना समाज, ओपेरा हाऊस, सुखसागर, चौपाटी, भारतीय विद्या भवन, नाना चौक, अगस्त क्रांति मैदान स्थित गोवालिया टैंक पर मथुरादास हॉल में धर्मसभा के रुप में परिवर्तित होगी। पर्युषण महापर्व की आराधना में लीन दक्षिण मुंबई के 2 हजार विशिष्ट तपस्वी भी इस यात्रा में शामिल होंगे। 

मुंबई के विभिन्न जैन संघों के प्रमुख, पदाधिकारी, अग्रणी एवं शिक्षा, समाजसेवा, मेडिकल एवं धार्मिक क्षेत्रों में कार्यरत जैन समाज की विभिन्न संस्था के अग्रणी पदाधिकारीयों सहित मुंबई में राजनीतिक क्षेत्र से जुडे तमाम जैन बंधुओं के अलावा करीब 50 हजार से अधिक जैन परिवार इस आयोजन से जुड रहे है। मुंबई की 150 जैन पाठशालाओं के छात्र इस विराट रथयात्रा में जैन जयति शासनम की अनूगुंज के साथ चामर नृत्य करते हुए परमात्मा का आवाहन करेंगे। रथयात्रा में 100 से अधिक श्राविका मंडलों की बहने परंपरागत वेशभूषा में सज्ज होकर मंगल गीत गाती हुई इस रथयत्रा में शामिल होंगी। पूजन वस्त्रधारी हजारों श्रावक वितराग प्रभु के रजत रथ के संवाहक बनकर इस रथयात्रा में समिल्लित होंगे। इसी तरह 500 से अधिक बाईक सवार सामाजिक एकता के विभिन्न संदेशों के साथ अपने-अपने इलाकों में रथ यात्रा का संदेश देंगे। 

जैन संघों की इस रथयात्रा को लेकर सभी जैनों में यह विश्वास मजबूत हो रहा है कि धर्म संस्कार, संस्कृति एवं त्याग की भावना का व्यापक संदेश देते हुए यह विराट रथयात्रा सामाजिक एकता को मजबूत करने का महत्वपूर्ण साधन बनेगी एवं 20प से अधिक जैन संघों की एकता का नया अध्याय लिखने में सफल होगी। 50  फीट ऊँची शासन ध्वजा इस रथयात्रा की आकर्षण रहेगी। इसके अलावा रथयात्रा में शामिल हजारों धर्मप्रेमी, धर्मध्वज वाहक के रुप में सम्मिलित होकर जिन शासन के गौरव की स्थापना के गवाह बनेंगे। रथयात्रा जिन मार्गो से निकलेगी वहां पर प्रभुजी के रथोंपर पुष्प वर्षा का नजारा भी अद्भूत होगा। इस रथयात्रा में अलौकिक अनुभूति देने वाले नौ भव्य सजे हुए रजत रथ, गगन चुंबी इन्द्रध्वजा, 24 तिर्थकरों की प्रतिकृतियाँ, प्रभु भक्ति, वैराग्य एवं जीवदया सहित अनेक प्रकार की रचनाऐ एवं रथयात्रा के मार्ग में बनायी गई अनेक नयनाभिराम रंगोली इस धार्मिक आयोजन की विशेषता होगी। जिन शासन के गौरव में अभीवृद्धि करने वाली इस रथयात्रा में महापुरुषों की विभिन्न झॉकिया एवं आध्यात्म का समन्वय दर्शाने वाली अनेक झॉकिया भी विशेष आकर्षण होंगी। 64 इंद्र, 24 यक्ष, 24 यक्षिणी, 16 विद्यादेवी, 56 दिगकुमारीका, 1008 शासन ध्वज लेकर कदमताल करते नवयुवक, 108 गुण स्वरुप जैन युवकों का पुणेरी पथक, विभिन्न राज्यों की संस्कृति दर्शाने वाली नृत्य मंडलिया इस जैन समाज की गौरवशाली रथयात्रा के प्रमुख आकर्षणों को  विशिष्टता प्रदान करेंगे। यह विराट रथ यात्रा व विशाल धर्मसभा जैन समाज की यशोगाथा एवं गरिमापूर्ण समरसता तथा जैन  एकता का अद्भूत अध्याय साबित होगी।

टिप्पणियाँ

  1. Suresh Jain karad
    Vande viram,. Jainam jayati shashnam,. Subh karya ke liye khub khub anumodna

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  2. यह बहुत सुंदर बात है कि संपूर्ण श्वेतांबर जैन समाज को एक सूत्र में बांधा जा रहा है। अनुमोदना।

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