विद्यावाड़ी का नाम और चमकेगा :- चंद्रानन सागर
राष्ट्रसंत ने छात्राओं को संस्कार की प्रेरणा दी
रानी। राष्ट्रसंत आचार्य चन्द्रानन सागर सूरीश्वर महाराज ने कहा है विद्यावाड़ी संस्थान का बालिका शिक्षा के मामले में आज देश भर में बहुत बड़ा नाम है, जो आनेवाले समय में और चमकेगा। वे विद्यावाड़ी शैक्षणिक परिसर का अवलोकन करने के बाद छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विद्यावाड़ी के अध्यक्ष पोपट सुंदेशा, राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार सहित कई अन्य प्रमुख लोग विशेष रूप से उपस्थित थे।
विद्यावाड़ी पहुंचे राष्ट्रसंत चन्द्रानन सागर ने कहा कि जीवन में शिक्षा के बिना अंधकार है और शिक्षा ही जीवन के विकास की जननी है। इसलिए समाज में बालिका शिक्षा का सबसे ज्यादा महत्व है, क्योंकि बेटियां दो घरों की दीपक होती हैं। राष्ट्रसंत आचार्य चन्द्रानन सागर ने विद्यावाड़ी में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यावाड़ी राजस्थान की वह प्रख्यात शिक्षण स्थली है जहां से हर साल हजारों बेटियां शिक्षित होकर निकलने के बाद परिवार, समाज व राष्ट्र की सेवा का काम करती है। उन्होंने कहा कि विद्यावाड़ी जैसे शैक्षणिक संस्थानों के लगातार विकास और विस्तार की बड़ी जरूरत है। क्योंकि इस प्रकार के संस्कार पोषण कोशिश करने वाले शैक्षणिक संस्थान आज के समय में बहुत ही कम है।
राष्ट्रसंत चन्द्रानन सागर बिरामी से रानी होते हुए विद्यावाड़ी पहुंचे थे जहां पर ट्रस्ट मंडल के सदस्यों व संस्थान के अध्यक्ष पोपट सुंदेशा ने स्वागत किया। पूर्व विधायक अमृत परमार एनसी मेहता एवं आसपास के गांवों के जैन संघ के प्रमुख लोग भी उनके स्वागत में विद्यावाड़ी में उपस्थित थे। पूज्य गुरुदेव ने समाज में नारी शिक्षा के महत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि महिला शिक्षा में बढ़ोतरी के बाद में देश व समाज की परिस्थितियां तेजी से विकसित हुई है। जैसे-जैसे महिला में शिक्षा का चलन बढ़ता गया वैसे-वैसे समाज की भी प्रगति तेज हुई है। इस प्रगति में संस्कारों की स्थापना होनी चाहिए। क्योंकि बिना संस्कार के ज्ञान का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने बालिकाओं को धर्म व संस्कृति के प्रति समर्पित भाव से जीवन में कार्य करते रहने की प्रेरणा दी एवं कहा कि मनुष्यता से सबसे बड़ा कोई धर्म नहीं है एवं मनुष्यता ही सभी धर्मों की जननी है। विद्यावाड़ी से विहार करके चन्द्रानन सागर खिमेल पहुंचे जहां पर खिमेल जैन संघ की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया।
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