नित्यानंद सूरीश्वरजी की निश्रा में होगी आकाश की दीक्षा

 महाकाल की नगरी उज्जैन में होगी दीक्षा


उज्जैन :-
पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में महाकाल की नगरी उज्जैन में युवा आकाश लोढ़ा की दीक्षा संपन्न होगी।उनकी दीक्षा को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है।

जन्मतिथि : 16 मार्च 1997 (फाल्गुन सुद अष्टमी)

परदादा - परदादी : स्व. कन्हैयालाल सोहन देवी लोढा

दादा - दादी :  यशवंत सिह , सरोज देवी लोढा

माता पिता : विनीता राजबहादुर सिंह लोढा

नाना नानी : स्व लीला देवी शांतिलाल कोचर

बहन : अमीषा

धार्मिक अभ्यास : पंच प्रतिक्रमण और नवस्मरण 

व्यवहारिक अभ्यास : बी.काम

तपस्या : वीस विहरमान तप, उपधान तप, मासखमण, वीस स्थानक तप, वर्धमान तप का पाया, नवपद की ओलीजी, 84 आंयबिल

यात्रा : पालीताणा महातीर्थ में दो बार नवाणु यात्रा, 21 बार फागन तेरस की यात्रा एवं अन्य अनेक तीर्थ यात्राएं

परिवार से दीक्षाएं : साध्वी श्री राजेन्द्र श्री जी म. सा., साध्वी श्री नरेन्द्र श्री जी म. सा , साध्वी श्री देवेन्द्र श्री जी म. सा. , साध्वी श्री शीलधर्मा श्री जी म., साध्वी  श्री शीलपूर्णा श्री जी म. सा. साध्वी श्री चेतन प्रज्ञा श्री जी म. सा. साध्वी श्री शील रत्ना श्री जी म. सा.

आपको बचपन से ही धार्मिक संस्कार से और सदा गुरु भगवत का सानिध्य प्राप्त हुआ। आप बहुत ही विनयवान, सरल, मिलनसार और व्यवहारिक है। पढ़ाई के साथ साथ छोटी उम्र में व्यापार में लग गए तथा साथ ही धार्मिक  क्रिया मे भी परिवार के साथ सदा सहभागी बने रहते है।

माता पिता के संस्कारों का निर्वहन करते हुए बाल्यकाल से ही अनुकुलता हो या प्रतिकुलता  स्नात्र पूजन और प्रभु की फुलो से अंगरचना नियमित करते है। आपकी बहन भी बहुत धार्मिक है, दोनों भाई बहन एक दूसरे के कल्याण मित्र की भांति सदा साथ साथ ही तप जप करते। परिवार से दीक्षित साध्वीजी भगवंतों के द्वारा प्रदत धर्म संस्कारों के कारण मनोभूमि मे वैराग्य के बीजो का वपन हुआ।

पंजाब केसरी आचार्य श्री वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. के दिव्य आशीष से  वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य भगवन् श्री नित्यानंद सूरीश्वर जी, तत्त्वचिंतक आचार्य श्री विजय चिदानंद सूरीश्वर जी, युवा प्रेरक, कार्यदक्ष मुनिराज श्री मोक्षानंद विजय जी म.सा. की धर्मप्रेरणा से वही बीज अंकुरित होकर पुष्पित और पल्लवित हुआ। फलस्वरूप संसार की असारता का बोध प्राप्त होते ही अपने संसार को दीक्षा की ओर अग्रसर किया। 

आपका संयम जीवन उज्ज्वल बने व जिनशासन की अभूतपूर्व सेवा करे, यही सकल संघ  और शांति वल्लभ टाइम्स की शुभकामनाएँ


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