दीक्षा पथ पर ४-४ युवा मुमुक्षु अग्रसर
पुण्योदय से मिलता है संयम जीवन :- रश्मिरत्न सूरीश्वरजी
अहमदाबाद :- सूरि प्रेम- भुवनभानु समुदाय की शोभा समान तार्किक शिरोमणी परम पूज्य आचार्य श्री जयसुंदर, रविरत्न ,रश्मिरत्न, मुनिशरत्न, संयमरत्न सूरीश्वरजी महाराजा की पावनकारी निश्रा एवं गुरुगुण कृपापात्र आचार्य श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा.के मार्गदर्शन में आयोजित त्रिदिवसीय वीरपथ महोत्सव के दूसरे दिन ४-४ युवा मुमुक्षुओं की वर्षीदान यात्रा हुई!
मुमुक्षु राकेशभाई के निवास स्थान से यह यात्रा प्रारंभ हुई। शाहीबाग के विविध राजमार्गों से होते हुए यह शोभायात्रा ओसवाल भवन वीरपथ वाटिका में संपन्न हुई! सबके आगे शहेनाईया , तीन बगी में पू. प्रेमसूरिजी पू.भुवनभानुसूरिजी, पू. गुणरत्नसूरिजी की फ़ोटो फ़्रेम थी! शासनध्वज ,बेंड, नासिकढोलक व प्रभुजी का काष्टमय कोरणी वाला विराट् रथ वरघोडे की शोभा था! मुमुक्षु के दर्शन के लिए व इनके त्याग वैराग्य की क्षणो को बधाने चारों साईड भावुक खडे थे!
वीरपथ वाटिका में आचार्य भगवंतो का मांगलिक प्रवचन हुआ। जयसुंदर सूरीश्वरजी ने कहा संसार समुद्र है इसमें व्याधि ओर व्यथा की तरंगे उछल रही है । ऐसे संसार समुद्र तिरने संयम जहाज स्वरुप है। रश्मिरत्न ने कहा कि मोक्ष पुण्य से नहीं मिलता है , पुण्यानुबंधी पुण्य से मिलता है, पुण्यानुबंधी पुण्य होगा तो ही आज जब पुरा विश्व लक्ष्मी के पीछे दोड रहा है तब ये मुमुक्षु शूरवीरता से लक्ष्मी का त्याग कर रहे है ! प्रवचन के बाद ४ मुमुक्षुओंने प्रीति दान दिया। दोपहर में बहेनो की गाव सांजी हुई। रात को विदाई समारंभ हुआ जिसमें पारस गडा ने भक्ति की धूम मचाई।
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