लाडनूं की इन्द्रमणी गंगवाल दीक्षा बाद आर्यिका उत्कृष्ट मती माता ननी

दोसो से अधिक साधु साध्वी की उपस्थिति


सम्मेद शिखरजी :-
दिगंबर जैन समाज, लाडनू की त्यागी, व्रति, धर्मपरायण श्राविका इंद्रमणि गंगवाल ने तीर्थराज सम्मेदशिखर में महातपस्वी मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज से जैन ईश्वरी दीक्षा धारण कर मोक्ष मार्ग ग्रहण किया। दीक्षा बाद वे आर्यिका उत्कृष्टमति माता बनी। ज्ञात हो  उनके साथ तीन और आर्यिका दीक्षा संपन्न हुई। सभी दीक्षार्थियों ने सांसारिक मोह-माया, सुख-सुविधाओं को त्याग कर, आत्म कल्याण के लिए अहिंसा आदि महाव्रतों को अंगीकार किया तथा अपने जीवन का सार समझते हुए समता भाव पूर्वक अपरिग्रहमयी जीवन को स्वीकारारा।

यह दीक्षा संस्कार समारोह मुनि श्री पीयूषसागर महाराज सहित दोसो से ज्यादा मुनि, आर्यिका एवं सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में संपन्न हुआ। बताया जाता है कि गंगवाल का पूरा जीवन व्रत उपवास व त्याग को समर्पित रहा।

दीक्षा संस्कार के साक्षी बने
इस समारोह में दिगंबर जैन समाज, लाडनू के अध्यक्ष एवं मयंक ग्रप, कोलकाता के चेयरमेन सुभाषचंद बड़जात्या, पवन गंगवाल, महेंद्र पाटनी, सुरेश सेठी, पुखराज बड़जात्या, राजेंद्र पाण्ड्या (लाबू जी) अनिल बड़जात्या, राजेश जैन, वीरेंद्र पाण्डया, संजू महेंद्र जैन, संजय पाटनी, श्रवण कासलीवाल, नागर गंगवाल, संतोष सेठी, श्रीमद् कुमार सेठी, पंकज बड़जात्या, सुशील बड़जात्या, राजेश पहाड़िया, लाडनूं से अशोक सेठी,  धर्मचंद गोधा, महेंद्र गंगवाल, शंभू जैनाग्रवाल, राजकुमार जैनाग्रवाल, भागचंद जैन, सुजानगढ़, पारिवारिक सदस्य एवं पुत्र-पुत्रवधू अर्जुन, शर्बती गंगवाल, संतोष, समता गंगवाल, पुखराज, राजश्री गंगवाल आदि लोगों ने उपस्थित होकर त्याग तपस्या की अनुमोदना की।

इस अवसर पर आर्यिका चेतनामति माता एवं आर्यिका संघ ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सीए महेंद्र पाटनी, कोलकाता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैन धर्म में त्याग, तपस्या का बहुत महत्व है। तथा आत्म कल्याण एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए जैनेश्वरी दीक्षा धारण करना आवश्यक है। 
पूज्य आर्यिका माता के माता पिता बनने का सौभाग्य (पुत्र-पुत्रवधू) संतोष गंगवाल, समता गंगवाल, लाडनूं ने प्राप्त किया। आर्यिका माता को पिच्छी भेंट करने का सौभाग्य पवन गंगवाल, जयपुर, कमंडल भेंट करने का सुअवसर केपी अशोक पाटनी, सीए महेंद्र पाटनी, कोलकाता को प्राप्त हुआ। राजेश, वर्षा पहाड़िया ने आर्यिका माता को वस्त्र भेंट किए तथा शास्त्र भेंट करने का पुण्यार्जन सुरेश सेठी कोलकाता, हनुमान प्रसाद काला को प्राप्त हुआ। प्रिया, रिंकू गुवाहाटी, राजमती, पदम पाटनी जयपुर, नीलम, रिची दिल्ली ने चौक पूरने का संस्कार किया।
आर्यिका दीक्षा समारोह में सम्मलित होंने लोग दूर दूर से आये। दीक्षा के निमित्त से सैकड़ों लोगों के मन तीर्थराज की वन्दना के भाव उत्पन्न हुये और सभक्ति वंदना पूर्व कर धर्म लाभ लिया।
दीक्षा समारोह का संयोजन ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी ने किया। दीक्षा पूर्व रात्रि को श्रावक श्राविकाओं एवं परिवार सदस्यों द्वारा गोद-भराई की गयी। तदोपरांत भजन संध्या का आयोजन संगीतकार संजय जैन, जयपुर के मधुर गीतों के साथ संपन्न हुआ

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