महिलाओं और बालिकाओं सहित समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ करें कार्यवाई :- अशोक गहलोत

 एफआईआर दर्ज कराने के लिए भटकना न पड़े

जयपुर :- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सख्त आदेश दिए हैं कि महिलाओं और बालिकाओं सहित समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में पुलिस पूरी तत्परता एवं संवेदनशीलता से कार्रवाई करे। हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि थानों में प्रत्येक फरियादी की आवश्यक रूप से सुनवाई हो और उसे एफआईआर दर्ज कराने के लिए भटकना न पड़े। 

मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था से जुड़े विभिन्न मुद्दों की समीक्षा की। करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में कानून-व्यवस्था, महिलाओं से संबंधित अपराधों, संगठित अपराधों, मादक पदार्थों की तस्करी रोकने, माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई तेज करने आदि विषयों पर गहन समीक्षा की और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।

राज्य सरकार ने प्रत्येक फरियादी की आवश्यक रूप से सुनवाई तथा एफआईआर दर्ज करने की नीति लागू की हुई है। उच्च स्तर से इसकी निरंतर मॉनीटरिंग की जा रही है। इसी का नतीजा है कि इस्तगासों के जरिए दर्ज होने वाले अपराधों में उल्लेखनीय कमी आई है। राज्य में अदालत के जरिए 156(3) के तहत दर्ज होने वाली एफआईआर की संख्या 31 प्रतिशत से घटकर मात्र 13 प्रतिशत रह गई है। 

महिलाओं से संबंधित अपराधों के लिए प्रदेश के सभी 41 पुलिस जिलों में गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट वूमन का असर है कि दुष्कर्म तथा पोक्सो केसेज की तफ्तीश में लगने वाले समय में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। पहले जहां इन अपराधों के अनुसंधान में पुलिस को औसत रूप से 278 दिन का समय लगता था वहीं इस यूनिट के गठन तथा मॉनिटरिंग के कारण इस समय में 40 प्रतिशत तक कमी आई है और अब 113 दिन का औसत समय लग रहा है।

निर्देश दिए कि राजस्थान सरकार ने जिस तरह से थानों में हर फरियादी की एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज करने की जो व्यवस्था की हुई है, उसी प्रकार की व्यवस्था सभी राज्यों में करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जाए।

इस दौरान थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण तथा जघन्य अपराधों की जांच के लिए गठित यूनिट की भी समीक्षा की। निर्देश दिए कि महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सहित अन्य संबंधित विभाग जागरूकता अभियान चलाएं। इसमें राजीविका से संबंधित महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी लाखों महिलाओं का सहयोग लिया जाए। कम्यूनिटी पुलिसिंग को और प्रभावी बनाने के लिए सीएलजी को और सक्रिय करने, ग्राम रक्षकों को प्रशिक्षित कर उनकी सेवाएं लेने के निर्देश भी दिए।

अलवर के थानागाजी में हुए बलात्कार प्रकरण में पुलिस द्वारा की गई तफ्तीश की सराहना भी की जिसके कारण अपराधियों को सींखचों तक पहुंचाने में सफलता मिली। 

बैठक में गृह विभाग के प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार ने बताया कि डूंगरपुर एवं उदयपुर जिले के खैरवाड़ा में बीते दिनों हुए घटनाक्रम से संबंधित सभी पहलुओं की जांच के लिए गृह विभाग के शासन सचिव एनएल मीणा को नियुक्त किया गया है।

बैठक में बताया गया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि एफआईआर दर्ज होने के आंकडों में वृद्धि का अभिप्राय यह नहीं है कि अपराधों में वृद्धि से नहीं लगाया जाना चाहिए। यह भी बताया गया कि राजस्थान के थानों में लंबित जांचों का प्रतिशत सबसे कम है।

बैठक में मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक  भूपेन्द्र सिंह, पुलिस महानिदेशक अपराध एम.एल. लाठर, एडीजी इंटेलीजेंस उमेश मिश्रा, एडीजी सिविल राइट्स  आरपी मेहरड़ा, एडीजी कानून-व्यवस्था सौरभ श्रीवास्तव, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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