हाथरस के हाथों राजस्थान की लाज लूटने का षड़यंत्र !

अपराध और अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता

निरंजन परिहार

जयपुर। आप जब यह पढ़ रहे होंगे, तब तक राजस्थान के बारे में शुरू किए गए दुष्प्रचार की पोल खुल चुकी होगी। दरअसल, हाथरस के वीभत्स बलात्कार कांड को हथियार बनाकर एक षड़यंत्र के तहत राजस्थान को दुर्भाग्य के दानावल में झोंकने का अपवित्र प्रयास किया जा रहा था। लेकिन राजस्थान सरकार ने इस षडयंत्र को समय रहते समझ लिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कमान संभाली, तो मामला भी संभल गया। लेकिन सोशल मीडिया व सरकारी हाथों के खिलौना मीडिया में पतित प्रचार जारी है। हजार हॉर्स पॉवरवाले दिलों को भी झकझोर देनेवाले हाथरस के सामूहिक बलात्कार कांड और सरकारी पुलिस द्वारा रात तीन बजे लाश का अंतिम संस्कार किए जाने की बेशर्मी की तुलना राजस्थान की घटना से किए जाने के कुत्सित प्रयास को जनता समझ गई है। तस्वीर साफ है कि राजस्थान के राजनैतिक दुश्मनों का दुष्प्रचार चरम पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसीलिए इसका विरोध किया है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने एक पर एक लगातार तीन ट्वीट करते हुए कहा कि हाथरस में हुई घटना बेहद निंदनीय है। उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान के बारां में हुई घटना की तुलना हाथरस की घटना से की जा रही है। जबकि बारां में बालिकाओं ने स्वयं मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए 164 के तहत दिए बयानों में अपने साथ ज्यादती नहीं होने एवं स्वयं की मर्जी से लड़कों के साथ घूमने जाने की बात कही है। बालिकाओं का मेडिकल भी करवाया गया है एवं अनुसन्धान में सामने आया कि लड़के भी नाबालिग हैं। जांच आगे भी जारी रहेगी। घटना होना एक बात है और कार्यवाही होना दूसरी। घटना हुई तो कार्यवाही भी तत्काल हुई। इस केस की मीडिया का एक वर्ग और विपक्ष हाथरस जैसी वीभत्स घटना से तुलना करके प्रदेश और देश की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान से सबकुछ साफ हो गया, इसीलिए राजस्थान को बदनाम करने की राजनीतिक चाल सफल नहीं हुई।

दरअसल, यह षड़यंत्र एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। राजस्थान की घटना की आड़ में उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार की गलतियों को छुपाने, पुलिस के अपराध पर परदा डालने और उत्तर प्रदेश सरकार की इज्जत बचाने की कोशिश में राजस्थान की लाज लूटने का षड़यंत्र किया गया। बारां की घटना से हाथरस कांड की तुलना करके राजस्थान को बदनाम करने का पतित प्रचार शुरू किया गया। यह अपने आप जाहिर हो गया है कि यह षडयंत्र राजस्थान के राजनैतिक दुश्मनों की तरफ से संचालित हो रहा था। जबकि दोनों घटनाओं की कोई तुलना ही नहीं हो सकती।

यहां हाथरस की बेटी के साथ हुआ बलात्कार और सरकारी साये में पुलिस द्वारा परिवार को धोखे से रखकर किया गया उसका अंतिम संस्कार या राजस्थान के बारां जिले की वह अभागी युवती मूल विषय नही है। मूल विषय है हमारी राजनीति में छिपी वह बेशर्मी और हर घटना के जरिए अपने अपराध पर परदा डालनेवाली देने वाली वह कोशिश, जिसकी वजह से हाथरस में दुर्भाग्यवश मरी और आधी रात को जला दी गई एक अभागी युवती राजनीतिक षड़यंत्र का पात्र बना दी जाती है। उत्तर प्रदेश के हाथरस हुए दुर्दांत सामूहिक बलात्कार कांड व सरकार की उसे दबाने की कोशिशों की जितनी निंदा की जाए। लेकिन उससे भी ज्यादा निदा देश भर में इस बात की की जा रही है कि हाथरस कांड के जरिए राजस्थान को बदनाम करने का षड़यंत्र सजाया गया, जो कि सफल नहीं हो सका।

जिस तरह से हम सुनते रहे है कि अपराध और अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता, उसी तरह से बलात्कार और बलात्कारियों का भी कोई धर्म नहीं होता। बलात्कार जघन्य अपराध है और बलात्कारी घनघोर अपराधी। लेकिन राजस्थान की घटना को उत्तर प्रदेश के वीभत्स बलात्कार कांड से केवल जोड़ा जाए ताकि उत्तर प्रदेश के बेशर्मी भरे अपराध को कम आंका जा सके, यह तो और भी बड़ा अपराध है। इसीलिए, राजस्थान के राजनैतिक विरोधियों ने यह अपराध शुरू किया ही था कि जनता समझ गई। लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया सहित विजुअल मीडिया पर अब भी यह पतित प्रचार अब भी जारी है। लेकिन ये पब्लिक है, सब जानती है, इतनी भी नादान नहीं है। 

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