पुना में विजय वल्लभ एजुकेशन सिटी , विजय वल्लभ नगर का होगा निर्माण

गुरु वल्लभ के संदेशों को चरितार्थ करने वाले शिक्षा मंदिर का निर्माण हेतु गुरु भक्तों की अनुमोदना : नित्यानंद सूरी 

ससेवाडी क्षेत्र में भूमिशुद्धि व खनन विधान द्वारा शुभारंभ 


पुना :-
गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी म.सा. की प्रेरणा से और उन्हीं की निश्रा में आचार्य श्री विजय वल्लभ राजस्थानी जैन विद्या प्रसारक ट्रस्ट के अंतर्गत ससेवाडी, पुणे में पहाड़ियों की गोद में 18 एकड़ भूमि पर विजय वल्लभ एजुकेशन सिटी का भूमिशुद्घि और खनन विधान अत्यंत आनंदपूर्ण माहोल में सम्पन्न हुआ । 

मुनिराज मोक्षानंदजी ने बताया कि 10 एकड़ भूमि के दानदाता खोड निवासी बादामी बाई केवलचंदजी तेलिसरा और नथाबाई साहिबरावजी यादव परिवार के हाथों से ये विधान संपन्न हुए और 8 एकड़ भूमि के अर्थ सहयोगी दान दाताओं के द्वारा भी ये विधान किया गया ।

मुख्य मार्ग से गाजते बाजते सभी कार्यक्रम स्थल वाली भूमि पर पहुंचे । वहां पर परमात्मा के समक्ष पाटला पूजन , क्षेत्रपाल पूजन आदि के बाद ये विधान शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हुए । गच्छाधिपति जी ने वासक्षेप किया।सहवर्ती साधु साध्वी जी ने भूमि पर वासक्षेप किया । कार्यक्रम में पुणे के अनेक प्रख्यात समाज सेवी , दानदाता और श्रद्धालु भक्त पधारे हुए थे । 

धर्मसभा में गुरुवंदन और मंगलाचरण के बाद संगीतकार तरुण मोदी ने भक्ति का रंग जमाया । संस्था की तरफ से राजू मुथा ने विद्या के प्रचार प्रसार क्षेत्र में विजय वल्लभ स्कूल्स की भूमिका के बारे में अवगत कराया और बताया कि गच्छाधिपति जी के आशीर्वाद से आज से विद्यालय अब महाविद्यालय की यात्रा के लिए आगे बढ़ने जा रहा है । रास्ते में जो भी रुकावटें आई वो हमारे लिए मोटिवेशन का काम कर गई । 

इस अवसर पर गच्छाधिपति गुरुदेव ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि 10 वर्ष पूर्व जब पहली बार ये भूमि देखने आया था तब तो रास्ता भी नही था । किंतु आज यहां आया अब मुझे विश्वास है यहां पर विजय वल्लभ एजुकेशन सिटी बनने से भविष्य में अनेक अनेक युवक युवतियों के जीवन उत्थान और कल्याण के रास्ते खुल जायेंगे । शिक्षा मात्र देना ही हमारी संस्थाओं का उद्देश्य नही है बल्कि संस्कार युक्त शिक्षा से सर्वांगीण विकास की धर्म यात्रा है । रूखे सूखे मरुधर में ज्ञान की गंगा बहाने वाले गुरु वल्लभ के उपकारों की स्मृति में ये एजुकेशन सिटी मील का पत्थर बनेगी । 

उन्होंने कहा कि गुरु समुद्र की प्रेरणा से गुरु वल्लभ की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में यहां गुरु वल्लभ के संदेशों को चरितार्थ करने वाले शिक्षा मंदिर का निर्माण करने की योजना बनी थी और विजय वल्लभ स्कूल की स्थापना हुई। गुरु इन्द्र ने महाविद्यालय की प्रेरणा दी। मुझे प्रसन्नता है कि मेरे पूना चातुर्मास में गुरुदेवो की भावना को पूरा करने का जो प्रण लिया था वो अब पूरा होने जा रहा है। गुरुदेव ने भूमि दाता और दानदाताओं का अनुमोदन किया और संस्था के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को खूब आशीर्वाद दिया । 

धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री मोक्षानंद विजयजी महाराज वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को संस्कारों के साथ जोड़ने की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि गुरु वल्लभ ने देश,धर्म और संस्कारों की रक्षा के लिए जैन समाज को 100 साल पहले ही जगा दिया था और तब सैंकड़ों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करके भारत के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।आज अपनी शिक्षण संस्थाएं तो बहुत कम हैं लेकिन दूसरे लोगों ने इस का भी व्यवसायिकरण कर दिया है जिस कारण बच्चों के संस्कारों के रक्षण तथा संवर्धन की तरफ उनका कोई लेना देना नही है । इस कारण समाज में संस्कारों का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है जिससे आने वाला समय और अधिक चिंताजनक होता जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि आज युवा वर्ग में चारों तरफ व्यसनों में फंसता जा रहा है।वातावरण बड़ा दूषित होता जा रहा है,इसलिए  अपनी धर्म मर्यादाओं को पुष्ट कर सके ऐसे शिक्षण संस्थाओं का निर्माण बहुत जरूरी है । इसके साथ साथ आडंबर और फजूलखर्ची से भी समाज को बाहर आना होगा और कुछ रचनात्मक व ठोस कार्य करने होंगे। पुणे के वल्लभ भक्तों ने अपनी गुरुभक्ति का आदर्श उपस्थित किया है । सभी बधाई के पात्र हैं ।अब शीघ्र ही इस भूमि पर आवश्यक कागजी करवाई पूरी करके निर्माण कार्य शुरू हों ताकि यहां शिक्षा और संस्कारों के सुमन खिल जाएं । गुरु नित्यानंद सूरि जी निरंतर गुरु वल्लभ के सपनों को साकार करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं । संघ , समाज और तीर्थ के उद्धार व विकास में उनकी प्रेरणाएं बहुत बड़ी ऊर्जा और शक्ति देती हैं ।

पुणे के अचलजी ने भी अपने मनोभाव व्यक्त करते हुए गच्छाधिपति जी के स्वप्न को साकार करने की दिशा में संस्था के प्रयास को सराहा।ऑल इंडिया जैन स्थानकवासी कॉन्फ्रेंस से अशोकजी ने भी इस स्थान पर बनने जा रहे एजुकेशन सिटी प्रोजेक्ट को सम्पूर्ण जैन समाज के लिए बहुत ही गौरवास्पद बताया ।  

कार्यक्रम में अखिल भारतीय श्री आत्म वल्लभ जैन महासंघ , विजय वल्लभ स्मारक , श्री आत्म वल्लभ एजुकेशन फैडरेशन के महासचिव , श्री आत्मानंद जैन सभा रोहिणी , दिल्ली के अध्यक्ष अशोक जैन विशेष रूप से इस अवसर पर पुणे पधारे । उन्होंने भी अपने वक्तव्य में सभी को बधाई दी । उन्होंने कहा कि संस्कारमूलक शिक्षा से सर्वांगीण विकास के मंत्र पर हमारी फेडरेशन काम कर रही है । हमने P Fog को शिक्षा पद्धति का फार्मूला बनाया है । जिसमें जैन नियमों को स्वीकार किया है । गुरु वल्लभ ने शिक्षा क्षेत्र में जो अद्भुत क्रांति की थी उस को वर्तमान वल्लभ गच्छाधिपति गुरुदेव ने पूरे भारत भर में फैला दिया है। जैन धर्म की आधार शिला को मजबूत रखने का काम जैन शिक्षण संस्थाओं के द्वारा बखूबी हो सकता है । 

इस कार्य के लिए अनेक भक्तों ने पिछले दस वर्ष से गुलाब जामुन और आम का त्याग किया था । गुरुदेव ने कहा कि वो संकल्प तो आज पूरा हुआ लेकिन अब आज एक नया संकल्प लेना है । जब तक एजुकेशन सिटी का निर्माण पूरा नहीं हो जाता तब तक रोज एक आयंबिल किसी न किसी का होना ही चाहिए । गुरुदेव को इस भावना को ट्रस्ट मंडल ने स्वीकार किया ।ट्रस्ट मंडल द्वारा गुरुदेव को कांबली ओढ़ाई गई और समस्त दान दाताओं का बहुमान किया गया ।

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