ईमानदार और निष्ठावान कार्यकर्ता भाजपा से नाराज हैं :- ओमप्रकाश गाड़ोदिया (अग्रवाल)

भाजपा के पूर्व नगरसेवक ने राजन विचारे को जिताने की अपील 


भायंदर : भायंदर
 (वेस्ट) में 15 वर्षों तक भाजपा के नगरसेवक रहने वाले ओमप्रकाश गाडोदिया (अग्रवाल) को आज की बदलती राजनीति रास नहीं आ रही है। उनका मानना है कि आज की राजनीति व्यवसाय हो गई है जिसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसलिए ईमानदार और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को कोई पूछ नहीं रहा है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में आप अपनी पार्टी भाजपा को किस तरह से सहयोग कर रहे हैं?

इस सवाल पर उनके चेहरे पर थोड़ी उदासी छा जाती है और वह कहते हैं कि मैं आरएसएस का पुराना स्वयंसेवक हूं और भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं। लेकिन आज हमारी पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा हैं। में 12 वर्ष से नगरसेवक नहीं हूं। इतने वर्षों के बीच पार्टी के किसी नेता ने मुझसे संपर्क नहीं किया। जाहिर सी बात है कि जब पार्टी में ईडी की जांच में फंसे नेताओं को शामिल किया जा रहा है तो मेरे जैसे ईमानदार कार्यकर्ता की उनको जरूरत नहीं है। बावजूद इसके मुझसे अब कहा जा रहा है कि महायुति के उम्मीदवार को मदद करूं। लेकिन संघ से जो मुझे संस्कार मिला हैं उस वजह से मेरे लिए किसी बाहरी उम्मीदवार को सहयोग करना मुश्किल हो रहा है।

संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरूजी और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के आदशों पर चलने वाले ओमप्रकाश के पिता गंगाधर गाडोदिया ने भायंदर में संघ, जनसंघ और भाजपा की जमीन मजबूत की थी। अयोध्या के रामजन्मभूमि के लिए कारसेवक के रूप में भी अपना योगदान दिया था। ओमप्रकाश कहते हैं कि यह दुर्भाग्य की बात है कि संघ और भाजपा ने भायंदर के कारसेवकों को भुला दिया। राम मंदिर के निर्माण के लिए भायंदर के शिवसेना के शिवसैनिकों का योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है।महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बीच भाजपा-शिवसेना के गठबंधन टूट गया।

बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी पार्टी में विभाजन करा दिया गया। इसे आप किस तरह से देखते हैं? 

अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने वाले ओमप्रकाश इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि वाजपेयी और ठाकरे ने जिस ताकत को एकजुट किया था वह खत्म हो गई हैं।अब वो विचारधारा भी नहीं रही। भाजपा के कार्यकर्ता तो बस अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए काम ही कर रहे हैं और पार्टी में बाहर से आने वाले लोग मलाई खा रहे हैं।

ऐन लोकसभा चुनाव के समय मिरा-भायंदर में माहौल थोड़ा बिगाड़ने की कोशिश हुई। मिरा-भायंदर में हुए कथित हिंदू-मुस्लिम विवाद को आप किस तरह देखते हैं?

सभी धर्म के लोगों के बीच एकता बनाए रखने का प्रयास करने वाले इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए ओमप्रकाश ने कहा कि यह निंदनीय घटना है। यहां सामाजिक सौहार्द का माहौल रहा है। 50 वर्षों में कभी भी ऐसी घटना नहीं घटी है। अगर ऐसी घटना कोई राजनीतिक लाभ के लिए करता है तो यह हमारे शहर के लिए अच्छा नहीं है।

मीरा-भायंदर उपनगर मुंबई से सटा हुआ है। लेकिन यह ठाणे लोकसभा क्षेत्र में आता है जिससे यह उपनगर विकास के लिए तरसता रहा है? 

इस पर ओमप्रकाश का कहना है कि ठाणे लोकसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति अलग है। इसलिए अब तक ठाणे के सांसदों का प्रयास यहां के लिए कम ही रहा है। 

उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के वर्तमान सांसद राजन विचारे ने मीरा-भायंदर के लिए क्या काम किया है? 

थोड़े उत्साहित होकर ओमप्रकाश कहते हैं कि भाजपा नेता राम कापसे के बाद राजन विचारे ही ऐसे सांसद मिले जिन्होंने मिरा-भायंदरवासियों के दुख-दर्द को समझा है और विकास के कई काम भी किए हैं।

• मिरा-भायंदर रेलवे की बड़ी समस्या है जिसके लिए राजन विचारे ने बहुत मेहनत की है। लोकल ट्रेनों के अलावा बाहर गांव जाने वाली ट्रेनों में भी वृद्धि करवाई है।

मच्छीमारों के लिए समुद्री किनारों पर भी कार्य किया है।

 • सूर्या डैम से पीने का पानी उपलब्ध कराने में योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने सीआरजेड और नमक उत्पादकों की समस्याओं को लेकर भी काम किया है।

लेकिन मेरी निजी राय है कि अगर मिरा-भायंदर क्षेत्र को उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया तो इस क्षेत्र का और ज्यादा विकास हो सकता है।एक सांसद के तौर पर राजन विचारे ने मिरा-भायंदर के लोगों को भेदभाव के बिना न्याय दिलाया है और वह हर संकट की घड़ी में साथ खड़े रहे हैं।


राजन विचारे इस समय महायुति में नहीं हैं तो क्या मिरा-भायंदर के लोग उन्हें फिर से अपना सांसद चुनेंगे? 

इस पर ओमप्रकाश कहते हैं कि हमें तो मीरा-भायंदर के विकास की चिंता है। इसलिए में निष्पक्ष तौर पर व्यक्तिगत रूप से लोगों से अपील कर रहा हूं कि मीरा-भायंदर के बेहतर भविष्य और विकास के लिए राजन विचारे को चुनना चाहिए। में उनकी ईमानदारी और उनके काम करने के तौर-तरीके से वाकिफ हूं। राजन विचारे एक विशाल कार्यकर्ता हैं। इसलिए ऐसे कर्मठ कार्यकर्ता को सांसद चुनकर संसद में भेजना हमारी भी जिम्मेदारी है। मैंने किसी पार्टी या अन्य पक्ष में प्रवेश नहीं किया है। में अपनी पुरानी विचारधारा से जुड़ा हुआ हूं। लेकिन एक जागरूक नागरिक के रूप में अपना धर्म निभाते हुए में राजन विचारे को जिताने की अपील कर रहा हूं।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम