एक ऐसी दादीमां जिनकी सक्रियता युवाओं को थका दें
सोहनी देवी जैन: 96 वर्ष की आयु में भी सक्रिय और प्रेरणादायक व्यक्तित्व
मुंगेर (बिहार) :- सोहनी देवी जैन एक ऐसी दादी मां हैं जो अपनी सक्रियता और अनवरत काम करने के चलते अपने सभी हम उम्र और युवा लोगों के लिए एक जीवंत प्रेरणा हैं। 96 वर्ष की आयु में भी वह अपने हाथों से क्रोशिए (ऊन) के मोजे और अन्य ऊनी कपड़े तैयार करती हैं और ग्राहक इनके बनाये उत्पादों को हाथों हाथ लेते हैं।
एक अनोखी प्रतिभा
सोहनी देवी जैन की कला और क्राफ्ट की प्रतिभा अद्वितीय है। वह अपनी कल्पना से ऊन पर सुंदर डिजाइन देती हैं और भगवान राम की कथाओं को अपने मोजों में उतारती हैं। उनके बनाये उत्पादों को देश के कई नामचीन हस्तियों ने पहना है, जिनमें आचार्य महाश्रमण, आचार्य नयपद्मसागर, आचार्य चंदना मां और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसे लोग शामिल हैं।
एक प्रेरणा
सोहनी देवी चाहती तो इस उम्र में सिर्फ और सिर्फ आराम की जिंदगी जी सकती थी आखिर इनके छह बेटे हैं और ये छहों बेटे अपने अपने प्रोफेशन में देश में एक बड़ी पहचान रखते है। इनके सबसे बड़े बेटे विजय जैन जो कि फेमस फोटोग्राफर हैं, आज से चालीस साल पहले वर्ल्ड जापान कैनन गोल्ड अवार्ड विनर बन चुके हैं वहीं एक बेटे पद्मश्री बिमल जैन बिहार में समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं। एक बेटा जैन कमल देश के कला जगत में ख्याति प्राप्त हैं ,तो एक निर्मल जैन विविध भारती रेडियो भागलपुर पर क्लासिक कार्यक्रम करते हैं। वहीं दो और बेटे संतोष जैन व दीपक जैन व्यवसायी हैं
इनके बेटे मशहूर कला संपादक, अक्षर सम्राट जैन कमल बताते हैं कि क्रोशिए के अलावा वे कढ़ाई की चादर और साड़ियां भी कुछ समय पहले तक तैयार करती थी लेकिन यह कार्य बारीकी से होने और आंखों पर जोर पड़ने के कारण अभी वह सिर्फ क्रोशिया ही चलाती हैं।क्रोशिए से ऊन पर अपनी कल्पना से सुंदर डिजाइन देना इनकी कला को और निखार देता है। इन्होंने भगवान राम द्वारा गिलहरी पर हाथ के स्पर्श को मोजों में उतारा है व कुछ दूसरी पौराणिक कथाएं भी इनके बनाये ऊनी वस्त्रों में स्थान पाती हैं।अपने बेटों की उपलब्धियों व सफलताओं से बेखबर होकर वह तो बस अपने धार्मिक कार्यों और अपने हुनर को सही दिशा देने में तल्लीन रहती हैं।
उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और हम अपने जुनून और प्रतिभा के साथ जीवन को खूबसूरती से जी सकते हैं। वह अपने जीवन के हर पल का सार्थक उपयोग करती हैं और अपने पति 98 वर्षीय भंवरलाल जी (आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता) के जन्मदिन पर अनाथालय में जाकर बच्चों को स्वेटर दान करती हैं।
निष्कर्ष
सोहनी देवी जैन की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में उम्र कोई बाधा नहीं है और हम अपने जुनून और प्रतिभा के साथ जीवन को सफल बना सकते हैं। उनकी इस अनोखी प्रतिभा और जुनून को हम सभी के लिए एक प्रेरणा के रूप में देख सकते हैं। सोहनी देवी जैन आज भले ही अपने ख्यातनाम बच्चों की मां के रूप में पहचानी जायें लेकिन इनके बच्चों की सफलता के पीछे भी कहीं न कहीं इनकी इस मेहनत, जुनून और जज्बे की परछाई ही है।
आज भी सोहनी देवी अपनी कल्पना से ऊन के कपड़ों में नये - नये रंग भर रही हैं और व्यस्त रहकर समय के हर एक पल का सार्थक उपयोग कर रही हैं। सोहनी देवी जैन आज भले ही अपने ख्यातनाम बच्चों की मां के रूप में पहचानी जायें लेकिन इनके बच्चों की सफलता के पीछे भी कहीं न कहीं इनकी इस मेहनत, जुनून और जज्बे की परछाई ही है,और इस उम्र में ऐसी कारीगरी का काम सभी के लिए प्रेरणा हैं।
(इनपुट्स :- स्वाती जैन/हैदराबाद)

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