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बेहोशी के कारोबार: उधारी का साम्राज्य

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उधारी के जाल से बाहर निकलना जरूरी भरतकुमार सोलंकी आ ज के व्यापार जगत में ऐसे कई महारथी मिल जाएंगे जो दिन-रात जागते हुए भी असल में बेहोशी में जी रहे हैं। वे आपको बड़े गर्व से बताएंगे कि उनका कारोबार फल-फूल रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि उनकी दुकान, मुनाफे से नहीं, बल्कि उधारी की बैसाखियों पर खड़ी है। इन बेहोश व्यापारी बंधुओं की दुनिया में, मुनाफे का कोई अस्तित्व नहीं, सिर्फ उधार का खेल चलता है। कई वर्षों से यह 'महानुभाव' एक-दूसरे से पैसे मांगकर अपने कारोबार की गाड़ी खींच रहे हैं। दिन में बड़ी-बड़ी बातें, रात को उधारी की गिनती—यही उनकी दिनचर्या है। एक हाथ से उधार लेते हैं, दूसरे हाथ से किसी और को उधार दे देते हैं। अब आप इसे व्यापार कहें या उधारी का साम्राज्य, फर्क कौन समझे! दरअसल, यह उस चूहेदानी जैसा खेल है जिसमें खुद भी फंसे हैं और दूसरों को भी फंसा रहे हैं।  इनसे पूछो कि आपके व्यापार में असली मुनाफा कहां है, तो जवाब में बड़ी-बड़ी बातें सुनने को मिलेंगी। "देखिए, बिजनेस ग्रोथ के लिए इन्वेस्टमेंट जरूरी है," और यह इन्वेस्टमेंट?—वह भी दूसरों के पैसे से! असल में, ये व्यापारी

धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी की निश्रा में धर्म आराधना की धूम

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लुधियाना में पर्व पर्युषण संपन्न लुधियाना : - श्री आत्मानंद जैन सभा (रजि.) के तत्वावधान में संघ में पर्व पर्युषण की आराधना हर्षोल्लास के साथ हुई।इस संघ में श्री आत्म वल्लभ समुद्र इंद्रदिन्न रत्नाकर सूरीश्वरजी के क्रमिक पट्टधर पंजाब केसरी, गुरु वल्लभ समुदाय के वर्तमान  गच्छाधिपति श्रुतभास्कर, आचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी म.सा. आदि साधु साध्वीजी की पावन निश्रा में सर्वाधिक तपस्या हुई। मिली जानकारी के अनुसार गुरुदेव की निश्रा में 5 मासक्षमण, 178 अठाई के अलावा 6 मासक्षमण (32 उपवास) 5 पासक्षमण (15 उपवास),178 अठाई  (8/9 उपवास),150/ छ्ट अठ्ठम (तेला) एवं 44 अक्षयनिधी के तपस्वी थे।गुरुदेव ने तप की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला व कहा कि पर्वों का पर्व मतलब पर्वाधिराज पर्युषण।अत्यंत भाग्यशाली हैं वो जिन इन दिनों में तप कर अपने कर्मो को खपाते हैं। पारणा के लाभार्थी बाबू राम चमनलाल किशोर कुमार राजिंद्र  कुमार राकेश कुमार राजेश कुमार  (थड़े वाले परिवार) जैन होजरी लुधियाना ने  संघ की आज्ञा से तपस्वियों के पारणा का लाभ लिया।इस अवसर पर संघ अध्यक्ष राकेश जैन नारोवाल, आदि गणमान्य व्यक्ति व सं

राष्ट्रभाषा हिंदी और मातृभाषा में शिक्षा समय की मांग :- मुनि श्री अक्षयसागर

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14 सितंबर, हिन्दी दिवस पर विशेष हिन्दी जन -जन की भाषा  रा ष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास 14 सितंबर, 1949 से शुरू होता है। इस दिन, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। हिंदी दिवस को मनाने के पीछे एक कारण यह है कि देश में अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की उपेक्षा को रोकना है। आपको बता दें कि महात्मा गांधी ने हिंदी को जन-जन की भाषा भी कहा था। जॉर्ज ऑखेरू, प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखक ने लिखा है- किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है , उसकी भाषा को हीन बना देना। जयप्रकाश नारायण ने लिखा था कि- मेरा सुनिश्चित मत है कि विदेशी भाषा अनिवार्य रहते हमारे शिक्षार्थियों में स्वाभिमान का विकास नहीं हो सकता। स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी को अनिवार्य रखना राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतिकूल है। सुप्रसिद्ध पत्रकार और लेखक डॉ वेदप्रताप वैदिक ने अपने एक लेख में लिखा कि- स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी के एकाधिकार शाही को छोड़कर अन्य विदेशी भाषाओं का सम्मान किया होता तो हमारा व्यापार कम से कम दस गुना अधिक होता, देशी

220 वर्षों से भी ज्यादा समय से भायंदर का नाईक परिवार निभा रहा अनोखी परंपरा

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नई गणेश मूर्ति का होता हैं अगले साल विसर्जन भायंदर :- शहर के प्रतिष्ठित नाईक परिवार के घर में गणपति का आगमन तो हर साल होता है, लेकिन पूजा एक साल बाद होती है। भायंदर पश्चिम में स्टेशन रोड पर स्थित चंद्रकांत निवास में नाईक परिवार पिछले 220 साल से यह अनोखी परंपरा निभाता आ रहा है। परिवार के छोटे बेटे एंड सचिन नाईक ने बताया कि हर साल गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की नई मूर्ति लाई जाती है और इसी दिन घर में रखी पुरानी मूर्ति की पूजा शुरू होती है, जो पूरे 10 दिन चलती है और उसका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन कर दिया जाता है। इसके बाद नई मूर्ति साल भर उसी जगह पर रखी रहती है लेकिन उसकी पूजा नहीं की जाती है। उसकी बगल में दाहिने सूंड वाली सिद्धिविनायक की छोटी सी मूर्ति है, जिसका हर महीने की संकष्टी चतुर्थी को जलाभिषेक किया जाता है। सचिन बताते हैं कि शुरू से ही उनके यहां इको फ्रेंडली (सांडू मिट्टी) की मूर्ति ही आती है और सज्जा लकड़ी की होती है। औरंगाबाद से मुंबई आया था नाईक परिवार दरअसल इस घर के गणेश उत्सव की कहानी ऐतिहासिक व अनूठी है। परिवार के बड़े बेटे योगेश नाईक बताते हैं कि उनके पूर्वज रणछोड़ न

महाकाल की नगरी उज्जैन में पहलीबार 80 सिद्धितप

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23 अगस्त से 9 सितम्बर  तक महोत्सव का आयोजन संदेश - पूजा तलेरा को सिद्धितप उज्जैन :- श्री अवंती पार्श्वनाथ भगवान,   श्री श्रेयांशनाथाय भगवान के सानिध्य में व परम पूज्य आचार्य श्री विजय राजेन्द-धनचन्द्र भूपेन्द्र यतीन्द-विद्याचन्द्र-जयन्तसेनसूरि सदगुरुभ्यो के दिव्य आशीष से अवंतिका नगरी की पुण्य भूमि उज्जैन नगर के इतिहास में पहली बार 88 सिद्धितप तपस्वी अमृतमय पारणा के अवसर पर सप्तान्हिका महोत्सव का आयोजन किया गया है।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उज्जैन नगर धर्ममय हो गया है। श्री सौधर्मवृहत तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ शुध्धोऽहं साध्य वर्षावास समिति नयापुरा, के तत्वावधान में इस अवसर पर 23 अगस्त  से 9 सितम्बर  तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन परम पूज्य प्रातः स्मरणीय कलिकाल कल्पतरु दादा गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी म. सा. के पट्टधर परम पूज्य राष्ट्र संत आचार्य देवेश पूण्यसम्राट श्री विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर परम पूज्य गच्छाधिपति वर्तमान आचार्य श्री विजय नित्यसेन सूरीश्वर जी म. सा.एवं आचार्य देवेश श्री विजय जयरत्न सूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवर्ती  गुरुवर्या साध्वी श

होशपूर्वक जीवन: जैन धर्म की शुद्धता और अहिंसा का मार्ग

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साधना जैन धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा मुनि महात्मानंद जै न धर्म की परंपराएं और सिद्धांत मानव जीवन को शुद्ध और संयमित बनाने पर केंद्रित हैं। भगवान महावीर ने अहिंसा और शुद्धता के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाया हैं, जिसे जैन धर्मावलंबी प्रतिदिन के जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। सामायिक-प्रतिक्रमण, जैन साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, वचनों और कर्मों की समीक्षा करता हैं और आत्मा की शुद्धि का प्रयास करता हैं। इस साधना के दौरान, व्यक्ति को हर गतिविधि को होशपूर्वक करने की सलाह दी जाती हैं, यहां तक कि छींकने जैसी स्वाभाविक क्रियाओं को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता हैं। जैन परंपरा में छींक को बेहोशी की निशानी माना जाता हैं, विशेष रूप से प्रतिक्रमण के समय। छींकने के पीछे की प्रक्रिया अनियंत्रित होती हैं, जो ध्यान और जागरूकता की कमी को दर्शाती हैं। जैन साधना में व्यक्ति को हर क्षण होशपूर्वक जीने की प्रेरणा दी जाती हैं ताकि वह अपने कर्मों और विचारों पर पूर्ण नियंत्रण रख सके। इसलिए, प्रतिक्रमण के दौरान छींकने से बचने का उद्देश्य यह हैं कि साधक पूरी तरह से अप

गुरु राजेंद्र की क्रियोद्धार भूमि तप शूराओ की नगरी जावरा में 240 सिद्धितप

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धर्ममय हुई जावरा नगरी तपस्वियों का विजय तिलक,वरघोडा एवं पारणा का भव्य आयोजन ओनिष दिलीप पगारिया भी सिद्धितप के तपस्वी जावरा (मध्यप्रदेश) :-  श्री आदिनाथ भगवान, श्री शांतिनाथ भगवान, आचार्य श्री राजेंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के सानिध्य में शासन आराधक, शासन प्रेमी, शासन रक्षक 25वें तीर्थंकर तुल्य सकल श्री संघ की परम पावन पुनित सेवा में श्री सौ.वृ.त. त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ एवं आत्मशुद्धि चातुर्मास समिति 2024-जावरा, मध्यप्रदेश के तत्वावधान में पहलीबार 240 सिद्धितप की अद्भुत तपस्या हर्षोल्लास के साथ चल रही हैं। ज्ञात होभारत की चैतन्यमय दिव्यवसुंधरा पर मध्यप्रदेश में गुरुदेव राजेंद्र सूरीश्वरजी म.सा.की क्रियोद्धार भूमि जावरा नगर एक व्यापारिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर से सुशोभित है। धन वैभव के साथ ही धर्म वैभव से परिपूर्ण संप आस्थावान एवं सुज्ञ श्रावकों का भण्डार स्थल है। किन्तु जैसा कि प्रत्येक नगर में गाया जाता है कि युवाओं में धर्म के प्रति बढ़ रही सुषुप्ता को जागृति में परिवर्तीत करने के लिए संघ किसी चेतना पुरुष की दीर्घ नाह देख रहा था। संघ के अनुसार यह किसी अभिनव युग के स्वर्णिम इतिहास के

पेशवाओं के 9 वंशज डॉ. उदय सिंह पेशवा को श्रद्धांजलि

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सफाई अभियान का आयोजन भायंदर :-  उत्तन स्थित जंजीरे धारावी किले में नरवीर चिमाजी अप्पा मेमोरियल के पास, पेशवाओं के 9 वंशज डॉ. उदय सिंह पेशवा को श्रद्धांजलि दी गई।रविवार को आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित मेहमानों ने उनके कार्यों को याद किया।साथ ही उनकी याद में किले पर सफाई अभियान भी चलाया गया।इस अभियान में गढ़प्रेमियों के अलावा, कातकरी समाज के महिला-पुरुष, विधायक गीता जैन और मीरा भायंदर महानगर पालिका के उपायुक्त संजय दोंदे उपस्थित थे।