मुख्यमंत्री पर विशेष लेख -

दूध बेचकर परिवार पाला, किराये पर रहे, अब भजनलाल शर्मा राजस्थान के मुख्यमंत्री

-राकेश दुबे


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जस्थान में भजनलाल शर्मा बीजेपी के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने उनको पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने शर्मा के साथ उनके सहयोगी के रूप में दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई। कभी अटारी गांव में दूध बेचने वाले और भरतपुर में दूसरों के मकान में किराए पर रहकर पढ़ाई करने वाले भजनलाल शर्मा अब जयपुर में 8 सिविल लाइंस बंगले में रहेंगे, जो मुख्यमंत्री का अधिकारिक निवास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्रियों सहित राजस्थान के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व बीजेपी राज आने के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने को बेताब रही वसुंधरा राजे भी इस शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित थे। शर्मा राजस्थान के 14वें और भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के बाद राजस्थान में बीजेपी से तीसरे मुख्यमंत्री होंगे। 15 दिसंबर भजनलाल का जन्म दिन हैं और इसी दिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

मोदी, शाह व नड्डा की पसंद है भजनलाल शर्मा

कुछ दिन पहले तक कोई नहीं जानता था कि भजनलाल शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी हैं और गृह मंत्री अमित शाह उनके चाहते हैं व बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उनके काम को पसंद करते हैं। राजस्थान की राजनीति के जानकार निरंजन परिहार कहते हैं कि राजनीतिक आसमान पर अब यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि प्रदेश के नए मुख्य़मंत्री भजनलाल शर्मा के बारे में बहुत पहले ही मोदी, शाह और नड्डा की जोड़ी ने फैसला ले लिया था। फिर संघ परिवार में भी वे लंबे समय से काफी पसंद किये जाते रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक परिहार कहते हैं कि  भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक खास रणनीति बता रहे हैं तो कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यह बीजेपी के सामाजिक समीकरण साधने की संघ परिवार की कोशिश है।

संघ का साथ, तो कोई चुनौती नहीं भजनलाल के लिए

किसी भी तरह का न तो कोई संसदीय राजनीति का अनुभव और न ही प्रशासनिक पकड़ के पैतरों की समझ। फिर भी मुख्यमंत्री का पद सीधे ही मिल गया, तो कुछ लोगों का मानना है कि भजनलाल  शर्मा को उसे संभालने में तकलीफ भी आ सकती हैं। मगर, राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार का मानना हैं कि भजनलाल शर्मा के हौसले बुलंद हैं, वे कभी हिम्मत नहीं हारे, तो संसदीय सियासत की समझ और प्रशासनिक पकड़ भी पा ही लेंगे। फिर उनको असफल करनेवालों को भी केंद्रीय नेताओं का बड़ा डर भी है। कुछ लोग भले ही कहते हैं कि भले ही अशोक गहलोत को 50 साल की राजनीतिक अनुभव था, लेकिन  शर्मा उन पर भी भारी साबित हो सकते हैं। लेकिन परिहार इसका तर्क देते हुए बताते हैं कि भजनलाल शर्मा को अपने किसी भी सहयोगी की तरफ से सचिन पाय़लट की तरह परेशानी खड़ी किए जाने का भी कोई डर नहीं है। परिहार कहते हैं कि वैसे भी बीजेपी की राजनीति में, और खासकर राजस्थान की राजनीतिक में कोई और नेता इतना बड़ा नहीं है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी कर सके। आखिर वे मोदी, शाह और नड्डा सहित संघ परिवार के आशीर्वाद प्राप्त मुख्यमंत्री हैं।

पिता मास्टर बनाना चाहते थे, दूध बेचकर घर चलाया

राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को उनके पिता किशन स्वरूप शर्मा मास्टर बनाना चाहते थे, क्योंकि परिवार में तीन बहनों को अकेला भाई अगर नौकरी नहीं करेगा, तो घर कैसे चलेगा। वे बेहद साधारण परिवार से निकल कर आगे आए हैं। शर्मा का शुरुआती जीवन काफी संघर्ष भरा रहा।
भजनलाल शर्मा का एक साधारण परिवार के सामान्य व्यक्ति से मुख्यमंत्री जैसे प्रदेश के सबसे बड़े पद पर पहुंचने का संघर्ष कोई बहुत आसान नहीं था। वे गाय पाल कर और उनका दूध बेचकर जीवन यापन करते थे। उन्होंने खेती में भी अपने पिता का हाथ बंटाया। अपने गांव अटारी से निकलकर भजनलाल शर्मा भरतपुर में पढ़ाई के साथ संघ से जुड़े और राजनीति में भी करके बीजेपी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में प्रवेश किया, जहां वे किराए के मकान में रहते थे। पिताजी की बेटे को मास्टर बनाने की इच्छा के कारण ही भजनलाल शर्मा ने बीएड की पढ़ाई की, डिग्री प्राप्त की। लेकिन इसके साथ ही वे राजनीति में आ गए थे।

चुनाव हारे मगर हौसला नहीं हारे, तो मिल गया मुकाम

सबसे पहले भजनलाल शर्मा सन 2000 में वे अपने अटारी गांव के सरपंच चुने गए। यहीं से उनकी राजनीतिक इच्छा कुलांचे मारने लगी और 2003 में उन्होंने नदबई सामाजिक न्याय मंच से राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ा। हालांकि वोट केवल 5 हजार के आसपास ही मिले, और भले ही इस चुनाव में उनकी हार हुई, मगर हौसला नहीं हारे। वे बीजेपी से जुड़े और सरपंच के बाद एक से एक उपर जिम्मेदारियों को निभाते रहे। सन 2016 में वे बीजेपी के प्रदेश महामंत्री बने और उसके बाद तो वे लगातार चार प्रदेश अध्यक्षों के साथ महामंत्री का काम संभालते रहे। हाल ही में 2023 का विधानसभा चुनाव सांगानेर से लड़ा और 48 हजार से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं व पहली बार जीतकर ही सीधे मुख्यमंत्री बने हैं।

किसी को अनुमान नहीं था, खुद शर्मा को भी नहीं

पॉलिटिकल साइंस में एमए करने वाले भजनलाल शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों के करीबी माने जाते हैं। भजनलाल शर्मा को जब जयपुर के सांगानेर से टिकट मिला था तब ये माना जा रहा था कि वे ज्यादा से ज्यादा मंत्रिमंडल में जूनियर मंत्री के रूप में शामिल किए जा सकते थे, लेकिन इस बात की भनक किसी को नहीं थी कि मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा।  प्रदेश बीजेपी के कार्यालय में भजनलाल शर्मा उस दिन विधायकों की मीटिंग में आखिरी पंक्ति में खड़े थे, तो किसी को भनक तक नहीं थी कि मुख्यमंत्री पद के लिए  उनके नाम की घोषणा होने वाली है। यहां तक कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के 3 दिसंबर को नतीजे आए, तो राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की जो सूची हर मोबाइल फोन में भटक रही थी, उसमें भजनलाल शर्मा का नाम तक नहीं था। लेकिन वसुंधरा राजे के हाथ में ही पर्ची थमा कर सबको चौंकाने की स्टाइल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके साथी अमित शाह की जोड़ी ने राजस्थान में भी कुछ वैसा ही चौंकाने वाला काम किया, जैसा वे उसके एक दिन पहले मध्य प्रदेश और उसके एक दिन पहले छत्तीसगढ़ में भी कर चुके थे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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