संस्कारयुक्त हो जीवन तो सुगति की प्राप्ति संभव :- युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

महातपस्वी महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पहुंचे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया


घोड़बंदर रोड (महाराष्ट्र) :-
भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई में आध्यात्मिकता रूपी धन से भी सुसम्पन्न बनाने के लिए मुम्बई के नंदनवन में चातुर्मास प्रवास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में असम के राज्यपाल  गुलाबचंद कटारिया सपरिवार उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री के वंदन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री की मंगलवाणी का श्रवण करने के उपरान्त नन्दनवन परिसर का अवलोकन किया।

रविवार का दिन होने व मुम्बई के ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों की विशेष उपस्थिति से नन्दनवन जनाकीर्ण-सा बना हुआ था। इस परिसर में बना विशाल तीर्थंकर समवसरण भी श्रद्धालुओं की उपस्थिति के सामने छोटा नजर आ रहा था। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के लिए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के मंचासीन होने के कुछ समय उपरान्त ही असम के राज्यपाल कटारिया भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंच गए। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन किया। नियमानुसार राज्यपाल के आगमन पर राष्ट्रगान का संगान हुआ।

तदुपरान्त साध्वीवर्या संबुद्धयशाजी व साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता सहित ज्ञानार्थियों को भी उद्बोधित किया। महातपस्वी आचार्यश्री ने समुपस्थित विराट जनमेदिनी व नौनिहालों को भगवती सूत्र के माध्यम पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि सौभाग्य से प्राप्त इस मानव जीवन में कोई ऐसा बुरा कार्य न करे, जिसके कारण उसे अधोगति या नरक गति में जाना पड़े। आदमी को अपने जीवन का मार्ग प्रशस्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। जीवन संस्कारों से युक्त हो। भावी पीढ़ी को अच्छा बनाने के लिए ज्ञानशाला के माध्यम से धार्मिक- आध्यात्मिक संस्कार और भी मााता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने का प्रयास करें।आचार्यश्री तुलसी के समय आरम्भ हुई ज्ञानशाला मानों भावी पीढ़ी को संस्कारवान बना रही है।

आचार्यश्री ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति भी सेवा का अच्छा माध्यम है। जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का प्रभाव बना रहे। स्वयं का खूब चारित्रिक विकास होता रहे।  कटारिया ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि मैं स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे पूज्य आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी और आचार्यश्री महाश्रमणजी के भी चरणों में बैठने का अवसर मिला है। यह मेरा परम सौभाग्य है कि राज्यपाल बनने के बाद आज पहली बार आपश्री के दर्शन का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं अपने कार्यों के साथ धार्मिक नियमों के पालन का भी प्रयास करता हूं। आपश्री ने पदयात्रा कर नेपाल, भूटान सहित भारत की मानों पूरी धरती माप ली। इस पदयात्रा के दौरान सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति संदेश दिया है, वह जन-जन का कल्याण कर रही है। मैं किसी भी पद रहूं, किन्तु उससे सबसे पहले मैं आपका श्रावक हूं। मुझे आपश्री का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता रहे।

कार्यक्रम में चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़,शांतिलाल नांदरेचा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथी सभा मुम्बई के कार्याध्यक्ष नवरतन गन्ना व ज्ञानशाला की आंचलिक संयोजिका  अनिता परमार ने अपनी अभिव्यक्ति दी। समुपस्थित मुम्बई ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी विविध प्रस्तुतियों के द्वारा अपने आराध्य की अभिवंदना की और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री के मंगलपाठ व राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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