दुनिया में दो ही तत्त्व जीव और अजीव :- युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

आपकी करुणादृष्टि ने किया है प्रभावित : अभिनेता उत्कर्ष शर्मा


घोड़बंदर रोड, ठाणे (महाराष्ट्र) :-
भारतीय फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों का गढ़ भी है भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई। शनिवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में मशहूर युवा अभिनेता उत्कर्ष शर्मा भी पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ ही आचार्यश्री की अमृतवाणी का भी श्रवण किया। शांतिदूत आचार्यश्री ने उन्हें अपने जीवन में उत्कर्ष करते रहने का पावन आशीर्वाद प्रदान कर सेवा का अवसर भी प्रदान किया। महासंत की सन्निधि में पहुंचकर युवा अभिनेता उत्कर्ष भी मानों अपने जीवन को धन्य महसूस कर रहे थे। 

तीर्थंकर समवसरण में समुपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र के आधार पर पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में जीव भी हैं तो अजीव भी हैं। दुनिया में जो कुछ भी है जीव है या अजीव, मूर्त या अमूर्त। भगवती सूत्र में परमाणु पुद्गलों के संदर्भ में प्रश्न किया गया कि परमाणु पुद्गल शाश्वत हैं या अशाश्वत? इसका उत्तर प्रदान करते हुए भगवान महावीर ने कहा कि परमाणु पुद्गल कुछ शाश्वत भी है तो कुछ अशाश्वत भी है। जैन दर्शन में पदार्थों को शाश्वत और अशाश्वत दोनों माना गया है। जो पदार्थ नित्य है, अनित्य भी है। वह शाश्वत भी है और अशाश्वत भी है। पर्याय का परिवर्तन अवश्य होता है। 

द्रव्य की दृष्टि से परमाणु पुद्गल शाश्वत हैं और पर्याय परिवर्तन की दृष्टि से परमाणु पुद्गल अशाश्वत भी होते हैं। जैन दर्शन संसार में नित्य को भी मानता है और अनित्य को भी मानता है। एकांत नित्य और एकांत अनित्य को नहीं मानता। जैन दर्शन नित्यानित्यवाद को मानता है, इसलिए परमाणु पुद्गल शाश्वत भी हैं और अशाश्वत भी हैं। आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त कालूयशोविलास का सरसशैली में वाचन किया। 

मुनि विजयकुमारजी की आत्मकथा ‘परम पथ का पथिक’ पुस्तक जैन विश्व भारती द्वारा आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की गई। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा मेधावी छात्र सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। इस संदर्भ में डॉ. वंदना डांगी ने अभिव्यक्ति दी। इस छात्र सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में हिन्दी सिनेमा जगत के युवा अभिनेता उत्कर्ष शर्मा भी उपस्थित हुए। आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल प्रवचन को सुना। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अभिनेता उत्कर्ष शर्मा ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज जब मैंने पूज्य संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन किए तो आपकी करुणा दृष्टि को से प्रभावित हो गया। मेरा मन ऐसा कह रहा है कि मैं आपके रोज दर्शन करने आऊं, कुछ देर आपके पास बैठूं। मुझसे मेधावियों को प्रेरणा मिले तो सौभाग्य की बात होगी। आप जैसे महासंत के दर्शन कर मेरा जीवन धन्य हो गया। 

मेधावी छात्र सम्मान समारोह के संदर्भ में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि रजनीश कुमारजी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में किशोरावस्था बड़ी महत्त्वपूर्ण होती है। यह विकास के लिए महत्त्वपूर्ण अवस्था है। सभी की बुद्धि समान नहीं हो सकती। बुद्धि, प्रतिभा का बल महत्त्वपूर्ण होता है। मेधावी विद्यार्थियों ने कुछ विशेष प्रयास किया है। जीवन में बुद्धि और ज्ञान के विकास के साथ अहिंसा, संयम और तप भी पुष्ट रहे। आज उत्कर्ष शर्मा भी आए हैं तो इनके जीवन में भी उत्कर्ष होता रहे। जिस क्षेत्र में हैं, इनसे जनता को अच्छा संदेश मिले। मेधावियों को भी उत्कर्ष के द्वारा कोई उत्कर्ष की प्रेरणा मिले। आचार्यश्री से मंगल आशीष प्राप्त कर मेधावी और अभिनेता आभभूत नजर आ रहे थे। डॉ. वन्दना डांगी ने भी अपनी पुस्तक ‘यूं ही नहीं बन जाते महावीर’ को पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। 



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