जीवन में तपस्वी की अनुमोदना करने मिले वह सबसे बड़ा सौभाग्य कहलाता हैं :- श्री नम्रमुनि

गिरनार भूमि पर रचा समग्र जैन समाज का वन्दनीय इतिहास


विशुद्धिजी महासतीजी का मुक्तावली महातप - 285 उपवास का पारणा महोत्सव संपन्न

दुनिया की 600 करोड़ आबादी में 'मुक्तावली तप' करनेवाले एक ऐसे विरांगना जैन साध्वी रत्ना को क्षत्रिय, पटेल, ब्राह्मण, लोहाणा, अहिर, सोनी, भानुशाली, वणिक, आदि समाज के भाविकों ने कराया पारणा

जैन समाज के 500 वर्ष के इतिहास में पहली बार मुक्तावली तप करके 22 वर्ष के महातपस्वी साध्वी रत्ना ने समग्र जैन समाज में एक गौरवान्वित विक्रम स्थापित किया।

मुक्तावली तप - 285 उपवास करनेवाले महातपस्वी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड।,

 समग्र गोंडल संप्रदाय की ओर से महासतीजी को ' 'महातपस्वी' का बिरूद अर्पण

वो नयन धन्य बने जिन्होंने तपस्वी के दर्शन किए वो मस्तक धन्य बने जो तपस्वी के सामने नत मस्तक हुए।

हर दो पांच दुकान में से आहार की दुकान होने वाले इस जगत में तपस्वी के तपश्चर्या का मॉल,तप का तेज प्रसरा रहा है।

तपस्वी का जयकार जो करते हैं वो स्वयं के अवगुणों पर जय पाते।

तप मे आनंद और पारने मे प्राब्लम का अनुभव करते हैं वो तपस्वी होते हैं।

तपस्वी की तपश्चर्या ऐसी होती है जिसे देखकर अनेक लोगों में तप के भाव जाग जाते हैं।,

इस काल में 285 उपवास के साथ "मुक्तावली महातप" की उग्राति उग्र साधना करके समग्र जैन समाज का गौरव बढ़ाने वाले जैन धर्म गुरु राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब की सुशिष्या पूज्य श्री परम विशुद्धिजी महासतीजी के महान तप साधना की पूर्णता पर उनके पारणा अवसर पर आयोजित तपोत्सव विश्व के लाखों भाविकों को वंदित अभिवंदित कर गया।

गिरनार (गुजरात) अति प्राचीन तीर्थ गिरनार की धन्य धरा पर केवल 22 वर्ष की उम्र में मात्र 18 महीने के संयम पर्यायी, महातपस्वी पूज्य श्री परम विशुद्धिजी महासतीजी की तप की अनुमोदना करने के लिए पूज्य श्री कल्पनाबाई महासतीजी, आदि की पावन उपस्थिति के साथ देरावासी पंथ के आचार्य भगवंत श्री जय सुरिश्वरजी महाराज, आचार्य भगवंत श्री हेमवल्लभ सुरिश्वरजी महाराज के संत और वैसे ही जूनागढ़ में स्थित विविध आश्रमों के महंत श्री इंद्रभारती बापू ,महामंडलेश्वर श्री राहुलेश्वरानंदजी आदि के साथ क्षत्रिय समाज, ब्राह्मण समाज, सोनी समाज,अहीर समाज,सिंधी समाज,भानुशाली समाज, लोहाणा समाज, कडवा पटेल समाज, लेउआ पटेल समाज, सरदार पटेल एज्युकेशन ट्रस्ट, वणिक समाज, जैन सोश्यल ग्रुप, जैन जागृति ग्रुप के हजारों भाविकों के साथ समग्र सौराष्ट्र के श्रीसंघ, गुजरात, कोलकाता, मुंबई महाराष्ट्र के श्रीसंघ, अनेक संस्थाएं साथ में विधायक संजय कोरडिया, डेप्युटी मेयर गिरीश कोटेचा, डिस्ट्रिक्ट जज नरेश जैन एवम् विविध क्षेत्रों से पधारे भाविकों के साथ देश विदेश के मिलाकर हजारों भाविक लाइव के माध्यम से इस ऐतिहासिक अवसर से जुड़कर धन्य धन्य बनें।

गिरनार भूमि पर नवनिर्मित पारस धाम के प्रांगण में गत् बहुत दिनों से गुंजित तपोत्सव के अंतिम चरण स्वरूप 

महातपस्वी महासतीजी के पारणा अवसर पर उनके तप की अनुमोदना करती भव्यातिभव्य शोभा यात्रा पारसधाम के प्रांगण से प्रारंभ होकर अनेक विविधताओं से सुशोभित सर्वत्र तप धर्म की जय-जयकार के विजयवंत नाद के साथ नेम दरबार के विशाल शामियाने में पधारते ही देव विमान समान शिविका में विराजमान हुए महातपस्वी महासतीजी का अत्यंत अहोभाव से स्वागत किया गया।

जिनशासन के अविभाज्य तत्व ऐसे तप धर्म और तपस्वी आत्मा के पुरुषार्थ की प्रशस्ति करते हुए इस अवसर पर परम गुरुदेव ने बोध वचन फरमाते हुए समझाया कि, इस जगत में थोड़े-थोड़े अंतर से आहार की दुकानें जब दुनिया के लोगों को आहार की लोलुपता से आकर्षित करती है ऐसे समय में तपस्वी आत्मा तपश्चर्या मॉल का सर्जन करके तप का तेज प्रसार रहे हैं। ऐसे आहार संज्ञा के त्यागी तपस्वी आत्मा के दर्शन से नयन धन्य बन जाएं, उनके प्रति अहो भाव से जुड़े कर धन्य बन जाएं और उनके प्रति नतमस्तक बने मस्तक धन्य बन जाएं। ऐसे तपस्वी आत्मा का जो जयकार करें वो स्वयं के अवगुणों पर जय पा जाएं।

तपस्वी महासतीजी की दीर्घ तपश्चर्या की अनुमोदना रूप आजीवन फ्रिज के ठंडे पानी का त्याग करने की परम गुरुदेव की प्रेरणा से हजारों भाविकों ने महातपस्वी परम विशुद्धिजी महासतीजी के श्रीमुख से प्रत्याख्यान ग्रहण करते ही जयकार गूंज उठा।

इस अवसर पर सनातन परंपरा के जूनागढ़ के महंत श्री इंद्रभारती बापू ने तपस्वी महासतीजी के प्रति वंदित भाव से उनके तप की अनुमोदना की थी,श्री राहुलेश्वरानंदजी ने महातपस्वी महासतीजी के कुल,संप्रदाय, गुरु और गुरुणीमैया के गौरव बढ़ाने वाली आत्मा रूप पहचान करवाकर शुभेच्छा वंदना दी थी।सर्वत्र आनंद और हर्ष का गौरवनाद गूंज उठा जब वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम की ओर से परम विशुद्धिजी महासतीजी की तपश्चर्या को वर्ल्ड रिकॉर्ड में रजिस्टर कर उन्हें सर्टिफिकेट अहोभाव से परम गुरुदेव के कर कमलों में,गोंडल संप्रदाय द्वारा प्रदान किया गया।

उपस्थित विशाल जन समुदाय नतमस्तक बन गया जब सुंदर रूप से सजाई गई डोली में अहोभाव से शाल की मंगलमय बधाईयां लेकर लाभार्थी अवंतीभाई कांकरिया परिवार और  हितेनभाई महेता परिवार द्वारा महातपस्वी महासतीजी को अंतर के उल्लास आनंदपूर्वक शाल की अर्पणता की गई। तपोत्सव पारणा के इस अवसर पर उपस्थित अनेक श्री संघ और संस्थाओं के पदाधिकारियों ने शाल अर्पण कर महातपस्वी महासतीजी की अनुमोदना करते ही हर्ष हर्ष का जयनाद गूंज उठा।

सविशेष यह कि इस धन्य घड़ी में धन्य पल आ गई जब सबके हृदय से सबके मुख से प्रकट हुए जय-जयकार के नाद और अहोभाव के भक्ति गान के बीच हजारों भाविकों ने स्वयं के घर से लाएं शक्कर के पानी से महातपस्वी परम विशुद्धिजी महासतीजी को पारणा करवाया गया।

सोने में सुगंध मिले इस प्रकार इस तपोत्सव के अवसर पर जूनागढ़ चातुर्मास में विराजमान पूज्य श्री भविताबाई महासतीजी एवं पूज्य श्री जयणाबाई महासतीजी के 25 उपवास का पारणा होते ही नेम दरबार में हर्षोल्लास छा गया।

नूपुर अकैडमी राजकोट द्वारा सुंदर नृत्य प्रस्तुति के साथ तप धर्म की अनुमोदना की गई। पधारे हुए हजारों भाविकों के लिए नवकारसी भोजन उसी के साथ बहुमूल्य प्रभावना अर्पण करने का लाभ श्री अवंतीभाई कांकरिया परिवार - पारसधाम द्वारा लिया गया था।

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