नकल अच्छे काम की होनी चाहिए - जयंतसेन सूरीश्वरजी
नकल अच्छे काम की होनी चाहिए - जयंतसेन सूरीश्वरजी
दीपक आर जैन
भायंदर। देश का हिंदु समाज अपने सही लक्ष्य से भटक गया है इसका मूल कारण है कि समाज को सही मार्गदर्शक अौर सही ज्ञान देनेवाला नहीं मिल रहा है, क्योंकि लोग ज्ञानी लोगों के संपर्क में कम है उपरोक्त विचार राष्ट्रसंत, श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी सोश्यल फाउन्डेशन के आशीर्वाद दाता, त्रिस्तुतिक संघ नायक गच्छाधिपति प.पू. आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किये।
कर्नाटक के बीजापूर में सफल चार्तुमास की पूर्णाहूति के बाद 2000 कि.मी. से ज्यादा विहार कर विभिन्न क्षेत्रों में धर्मआराधना करते हुए वे मीरारोड आये हे जहाँ प्रतिष्ठा, अंजनशलाका व दीक्षा महोत्सव के लिए 25 अप्रैल तक रहेंगे।
विभिन्न विषयों पर फाउन्डेशन के संयोजक दीपक आर. जैन से चर्चा करते हुए उन्होंने कहां की शाकाहारी ही मानव का आहार है। बढ़ती पाशचात्य संस्कृति के प्रति उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की व कहा कि विदेशी हमारी अच्छी चीजों को अपना रहे है अौर हम उनकी बुराइयों को। उन्होंने कहां की विदेशियों ने सिर्फ हमारा वेश नही पहना बल्कि हमें उनका वेश पहना दिया। वे हमारे धर्म अौर संस्कृति के कायल होते जा रहे हैं अौर हमारा कुछ वर्ग उससे दूर हो रहा है। हमें वैसे भी नकल करना ज्यादा पसंद है इसलिए नकल अच्छे काम की होनी चाहिए बुरे की नहीं।
उन्होंने गौहत्या पाबंदी का सर्मथन किया व कहां की हर गलत मार्ग को सुधारने में थोड़ी तकलीफ तो पड़ती है लेकिन फिर सब सामान्य हो जाता है। जयंतसेन सूरी ने कहां की देश की 75 प्रतिशत गौशाला जैन चला रहे है इसलिए गायों के रख-रखाव की चिंता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहां हमे कंकर से ज्यादा गेहू पर ध्यान देना चाहिए। गुरुदेवन ने कहां कि हमारे सबसे बड़े पतन का कारण परंपराअों को छोड़ना है अौर हम इसकी विशेषताअों से भटक गये है तथा इसकी रही सही कसर अखबारों में छपते समाचारों अौर टीवी ने पूरी कर दी है। हम बूरी चीजें देखने के आदी हो गये है, धर्मसाधना के पथ पर बढ़ने के लिए है। अल्पसंख्यक की हमें कोई आवश्यकता नहीं है, उन्होंने कहां की भटके लोगों को सही राह पर लाने हेतु हमें उन्हें अच्छा साहित्य पढ़ाना होगा अौर अच्छे लोगों के संपर्क में रखना होगा।
उन्होंने गाड़ी से यात्रा (विहार) का विरोध किया व कहां की पैदल चलने से हर धर्म, संप्रदाय के लोंग संपर्क में रहते है व पथ-पथ, डगर-डगर लोंगो से मिलने पर उनकी समस्याअों का निराकरण कर उन्हें सही मार्ग दिखा सकते है।
उन्होंने कहां की जैन समाज एक है एक रहेगा इसमें एकता का कोई अभाव नहीं है, यह कुछ लोंगो का खड़ा किया हौवा मात्र है। गुरुदेव ने बाल दीक्षा को उचित बताया व कहां की दीक्षा की भावना हर व्यक्ति में नहीं होती यह तो पूर्व जन्म के संस्कार व पूण्योदय के बाद ही संभव होता है उन्होंने कहां की आडंबर में अनूचित पैसो का खर्च गलत है। बड़े कार्य करने से अनेक लोंग लाभांवित होते है। इस अवसर पर मुनि चारित्ररत्न विजयजी, मुनि नीपुणरत्न विजयजी, पत्रकार राकेश दुबे व फाउन्डेशन के अध्यक्ष दीपक आर. जैन उपस्थित थे।
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