पृथ्वी पर एकमात्र जीवित देवता हैं हनुमान जी: श्री गुर्वानंदजी स्वामी

                                       पृथ्वी पर एकमात्र जीवित देवता हैं हनुमान जी:  श्री गुर्वानंदजी स्वामी
राकेश दुबे 
मुंबई। सिद्धि सम्राट विश्वसंत ब्रह्मर्षि श्री गुर्वानन्दजी स्वामी ने कहा कि श्री हनुमानजी सभी सिद्धियों को  पूरा करने वाले हैं, वे इस पृथ्वी पर एकमात्र जीवित देवता हैं। वे ही सब की मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। श्री गुर्वानंदजी स्वामी शनिवार को आजाद मैदान में आयोजित हनुमान जयंती महामहोत्सव में बोल रहे थे। इस आयोजन में हजारों की संख्या में उपस्थित जन समुदाय को  
संबोधित करते  हुए श्री गुर्वानन्दजी स्वामी ने कहा कि माता - पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें संस्कारित भी करें। अपनी अमृतवाणी से लोगों को भावविभोर  करते हुए श्री गुर्वानंद स्वामी ने उपस्थित लोगों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। अपनी अमृतवाणी के दौरान उन्होंने कई यादगार प्रसंगों को प्रस्तुत किया और कई प्रेरणादायक कहानियां भी सुनाईं। अपने ओजस्वी भाषण में उन्होंने हनुमान चालीसा का सविस्तार अर्थ प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर डॉ. लव और कुश चतुर्वेदी के निदेंशन में मथुरा के कलाकार सुंदर काण्ड की नाट्यमय मंच प्रस्तुति पेश की। मुंबई शहर में पहली बार सुंदर काण्ड की नाट्यमय प्रस्तुति लोगों को  देखने को मिली। महामहोत्सव के प्रायोजक भवन निर्माता श्रीपति ग्रुप के राजेंद्र चतुर्वेदी और तेजस चतुर्वेदी के अलावा विधायक राज के. पुरोहित, विश्व धर्म चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम मोदी और मुंबई अध्यक्ष जे  बी जैन समेत मंच के राष्ट्रीय प्रग्रामिंग चेयरमैन धीरज कोठारी, कुमार पाल गांधी, अनूप गोयल, राजेंद्र मेहता, मुंबई संयोजक सुरेन्द्र मेहता एवं मीडिया प्रभारी गजेंद्र भंडारी तथा समाज के विभिन्न क्षेत्रों के शलाका पुरुष और  गणमान्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। राजेंद्र मेहता द्वारा आश्रम में जैन मंदिर के निर्माण की घोषणा की गई।  श्रीमती सीतादेवी एवं रामचंद्र चतुर्वेदी चैरिटेबल ट्रस्ट, ताड़देव (मुंबई) ने इस महामहोत्सव का आयोजन किया था।
महायोगी ब्रह्मर्षि श्री गु्र्वानन्द स्वामी को अनेकों सिद्धियां प्राप्त हैं। विश्व धर्म चेतना मंच और श्री ब्रह्मर्षि आश्रम के संस्थापक श्री गुरुदेव ने आध्यात्मिक खोज के साथ - साथ अपनी सप्त कुंडलिनी जागृत कर प्रबल शक्तियां प्राप्त कर शिव, विष्णु और ब्रह्म लोक का अनुभव प्राप्त किया है। त्याग, सहनशीलता, धैर्य प्रेम और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति वे एक ऐसे मसीहा हैं जिन्होंने मानव कल्याण के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया है। जिनकी एक दृष्टि जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है।

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