मुस्लिमों के लिए कब्रिस्तान की मांग

                                   
           

दीपक आर जैन 
भाईंदर
मीरा भाईंदर शहर की तेजी से बढ़ रही आबादी में मुस्लिमों की जन संख्या में भी वृद्धि हुई है। भाईंदर पश्चिम में रहने वाले मुस्लिमों के लिए सिर्फ पांच गुंठे की जमीन ही कब्रिस्तान के लिए उपलब्ध है। कब्रिस्तान में जगह की कमी के कारण शव को दफनाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विगत कई वर्षों से मुस्लिम संगठनो द्वारा कब्रिस्तान के लिए जगह की मांग की जा रही है। अब वर्ष २०१७ में मीरा भाईंदर शहर के नए विकास प्लान को मंजूरी मिलने वाली है। इसको देखते हुए पुनः कब्रिस्तान के जगह की मांग जोर पकड़ने लगी है। नए विकास प्लान में कब्रिस्तान की जगह आरक्षित करने की मांग विभिन्न मुस्लिम संगठनो ने मनपा प्रशासन सहित मुख्यमन्त्री और पालक मंत्री से भी की है।
   ज्ञात हो की भाईंदर पूर्व और पश्चिम में रहने वाले मुस्लिमो के लिए सिर्फ भाईंदर पश्चिम के महेश नगर में आठ गुंठे क्षेत्रफल की एक ही कब्रिस्तान है। जिसमे से कुछ जमीन रोड विस्तारीकरण में चले जाने से प्रत्यक्ष में पांच गुंठे की ही जगह बची हुई है। उसमे भी बच्चों के शव को दफनाने के लिए भी कुछ हिस्से को आरक्षित कर दी गई है। साथ ही रेल दुर्घटना में मृत लावारिस शवों को भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया जाता है।आलम यह है की कई बार शव को दफनाने के लिए कब्र खोदते समय पुराने शव की मानवी अंग बाहर आ जाते हैं। जिससे भावनाएं आहत होती है। वहीं मनपा प्रशासन द्वारा कब्रिस्तान के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नही कराये जाने के आरोप भी मुस्लिम संगठनो द्वारा लगाये जाते रहे हैं।
    युवा सेकुलर राज के अज़ीम तम्बोली ने मुख्यमन्त्री,मीरा भायंदर की महापौर गीता भारत जैन और आयुक्त अच्युत हांगे को पत्र लिख कर मीरा भाईंदर शहर के २०१७ में बनने वाले नए विकास प्लान में भाईंदर पश्चिम के लिए स्वतंत्र दफन भूमि देने की मांग की है 
2011 से इस दफ़नभूमि के लिए तांबोली पत्रवेव्हार कर रहे है तांबोली ने कहा है की जगह जल्द से जल्द उपलब्ध करायी जाये नही तो हम लोकशाही मार्ग से आदोलन करेंगे.उन्होंने कहा बड़े दुःख की बात हैं कि पालिका प्रशासन इस संबंध में निर्णय नहीं ले रहा हैं जबकि इस मुद्दे को वे कईबार पालकमंत्री रहे गणेश नाईक के जनता दरबार मे कईबार उठा चुके हैं परन्तु अफ़सोस की अबतक कुछ नहीं हुआ. 
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अगर पालिका प्रशासन कुछ नहीं कर रहा हैं तो राज्य सरकार ने हस्तक्षेप कर इस समस्या का समाधान करना चाहिए. अगर इस पर जल्द ही निर्णय नहीं हुआ और हमे अगर दफनभूमि के लिए जगह नहीं दी गयी तो हम आंदोलन करेंगे. 2017 के नए विकास प्लान में कब्रिस्तान के लिए जगह आरक्षित की जानी चाहिये.  
अज़ीम ताम्बोली 
युवा सेक्युलर राज  

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